नई दिल्ली। 21 मई 1991 को जब तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक आत्मघाती बम हमले में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या कर दी गई थी, तब उनके साथ-साथ 13 अन्य लोगों की भी जान चली गई थी। और जब कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी सहित राजीव गाँधी के परिवार ने दोषियों को ‘माफ’ कर दिया और कहा कि हत्यारों को रिहा करने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, तो राजीव गाँधी के साथ मरने वालों के परिजन उनके इस कदम से खुश नहीं थे। राजीव गाँधी के साथ जान गँवाने वालों 13 लोगों के परिजनों की तरफ से सोनिया गाँधी या उनके बच्चे कैसे फैसला ले सकते हैं?
बता दें कि जब तमिलनाडु सरकार ने 2018 में मामले में सात आजीवन दोषियों को रिहा करने की सिफारिश की, तो परिवार के सदस्यों ने तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से मुलाकात की और उनसे सहमति न देने का आग्रह किया।
एस अब्बास, जिनकी माँ की मौत राजीव गाँधी के साथ विस्फोट में हुई थी, ने 2018 में कहा था, “हम सभी को मेरी माँ के टुकड़े खून से सने कंबल में लिपटे हुए मिले थे। राजीव गाँधी पर हमले ने मुझे और मेरे भाई-बहनों को अनाथ कर दिया। 12 अन्य परिवार भी इसके शिकार हुए। लेकिन राजनेता इस आघात को उस तरह से नहीं देखते, जिस तरह से हम देखते हैं। वे हत्यारों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए रिहा करना चाहते हैं और हम सभी इस बात की निंदा करते हैं।”
राजीव गाँधी की हत्या के दौरान मारे गए अलग-अलग परिवारों के दर्द को आप राजनीतिक नजरिए से नहीं देख सकते। सोनिया गाँधी या राजीव गाँधी के परिवार के सदस्यों ने पूर्व प्रधानमंत्री के उन हत्यारों पर फैसला लिया, जिन्होंने उसी विस्फोट में अन्य 13 लोगों को भी मार डाला। उन्होंने ये फैसला लेकर दिखा दिया कि कैसे नेहरू-गाँधी परिवार के सदस्यों के लिए आम आदमी की भावनाएँ मायने नहीं रखतीं। उन्होंने भले ही पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारों को माफ कर दिया हो, लेकिन उन परिजनों का क्या, जिन्होंने इस आत्मघाती बम धमाके में अपनी जान गँवाईं? उनका क्या, जिन्हें विस्फोट में अपनों को खोने के बाद सालों तक संघर्ष करना पड़ा?
अब, सुप्रीम कोर्ट की वकील इंदिरा जयसिंह ने आग्रह किया है कि 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली सामूहिक बलात्कार पीड़िता निर्भया की माँ को भी सोनिया गाँधी के नक्शेकदम पर चलना चाहिए और बलात्कारियों को क्षमा करना चाहिए, जिन्होंने उसकी बेटी के साथ क्रूरता से बलात्कार किया।
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप केस के चारों दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी किया है। अब उन्हें 1 फरवरी सुबह 6 बजे फाँसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि उन्हें पहले 22 जनवरी को फाँसी दी जानी थी, लेकिन एक दोषी ने दया याचिका दायर की थी। उसकी दया याचिका खारिज होने के बाद प्रक्रिया के तहत नया डेथ वारंट जारी करना पड़ा और फाँसी की तारीख बढ़ानी पड़ी। जिसके बाद निर्भया की माँ आशा देवी ने कहा कि किस तरह से राजनेताओं के लिए उनकी बेटी के साथ हुआ बलात्कार एक राजनीतिक हथकंडा बन गया है। जिसके बाद जयसिंह ने मौके का फायदा उठाते हुए उन्हें नैतिकता का पाठ पढ़ाया।