नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट कहा है कि भारतीय सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन मिले, महिलाओं को कमांड पोस्टिंग का अधिकार मिले. कोर्ट ने कहा कि सेना में महिलाओं को लेकर सोच बदलने की जरूरत है. सेना में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार मिले. सरकार महिलाओं को कॉम्बैट रोल देने का फैसला और सेना करें. कोर्ट ने यह भी कहा कि स्थाई कमीशन पर 3 महीने में फैसला लागू हो. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्वीट के जरिये अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “मैं पूरे दिल से माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं. पीएम मोदी ने 2018 के अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में सेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन के विचार का समर्थन किया था और नीति में बदलाव की घोषणा की थी.”
राजनाथ ने अपने एक अन्य ट्वीट में कहा, “सेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन का ऐतिहासिक निर्णय आने से पहले पूर्व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि महिलाओं को मिलिट्री पुलिस में शामिल किया जाएगा. भर्ती की प्रक्रिया 2029 में शुरू हो चुकी है.” रक्षा मंत्री ने आगे कहा, “2019 में, रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना की सभी 10 शाखाओं में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन की अनुमति दी थी जिसमें सिग्नल सैन्य दल, इंटेलीजेंस, विमानन, इंजीनियरिंग, सेवा सैन्य दल और सामान्य सैन्य दल शामिल है.”
अपने एक अन्य ट्वीट में राजनाथ ने कहा, “जून 2019 तक, समय-समय पर तय किए गए नियम व शर्तों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना की सभी 10 शाखाओं में महिलाएं शामिल की गईं. भारत सरकार सशस्त्र सेनाओं में ‘स्त्री शक्ति’ को सशक्त करने के लिए काम कर रही है और हम इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”
महिलाओं को बराबरी के हक का रास्ता साफ
14 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद थलसेना में महिलाओं को बराबरी का हक मिलने का रास्ता साफ हो गया है. अभी तक आर्मी में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन में सेवा दे चुके पुरुष सैनिकों को ही स्थाई कमीशन का विकल्प मिल रहा था, लेकिन महिलाओं को यह हक नहीं था. वायुसेना और नौसेना में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन मिल रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसले में कहा कि उन सभी महिला अफसरों को तीन महीने के अंदर आर्मी में स्थाई कमीशन दिया जाए, जो इस विकल्प को चुनना चाहती हैं. अदालत ने केंद्र की उस दलील को निराशाजनक बताया, जिसमें महिलाओं को कमांड पोस्ट न देने के पीछे शारीरिक क्षमताओं और सामाजिक मानदंडों का हवाला दिया गया था.