बीजिंग। कोरोना वायरस महामारी के चलते चीन में अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुंची है, जिसके बाद सरकार की आलोचना होने लगी है। ऐसे में संभावित खतरे को देखते हुए बीजिंग पुलिस ने सोमवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कट्टर आलोचक को गिरफ्तार कर लिया है।
शिंघुआ विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर जू झंगरून को उस समय पुलिस ने गिरफ्तार किया, जब वह बीजिंग स्थित अपने घर पर थे। यह जानकारी उनकी दोस्त झेंग जियाओनान ने प्रोफेसर की पत्नी, बच्चे के हवाले से दी। उन्होंने बताया कि उन्हें विश्वास है कि जू की गिरफ्तारी पिछले महीने न्यूयॉर्क में प्रकाशित एक पुस्तक से जुड़ी हुई है, जिसमें शी जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी के शासन की तीखी आलोचनाएं की गई थीं।
जू को शी जिनपिंग के ‘वन-मैन’ नियम की आलोचना करने वाले एक निबंध को प्रकाशित करने के बाद घर में नजरबंद कर दिया गया था। इसके जरिए उन्होंने बताया था कि इसकी वजह से ही कोरोना वायरस संकट पैदा हुआ। मई में एक अन्य निबंध में, जू ने कहा था कि चीन दुनिया में अलग-थलग पड़ गया है। उन्होंने आगे लिखा था कि चीन के लिए अब समय आ गया है कि गलत को सही दिशा में मोड़ा जाए। इसके अलावा आधुनिक संवैधानिक लोकतंत्र की राह पर लौटने का समय है।
वहीं, बीजिंग में हो रही प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन से जब इस मामले को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें कोई जानकारी नहीं है। जू की गिरफ्तारी की खबर तब आई जब लीगल डेली ने बताया कि राजनीतिक सुरक्षा पर एक विशेष कार्य समूह को कानून प्रवर्तन कार्य बल में जोड़ा गया, जो वायरस के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया से उपजी किसी भी सामाजिक अशांति को रोकने के लिए था। लेख में कहा गया है कि समूह ने हाल ही में बीजिंग में अपनी पहली बैठक बुलाई थी।
बैठक में, इस बात पर जोर दिया गया कि ‘पॉलिटिकल सिस्टम की सुरक्षा की रक्षा करना’ और ‘शासन की सुरक्षा को सुरक्षित रखना’ पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अधिकारियों ने घुसपैठ, तोड़फोड़, आतंकवाद, जातीय धर्मनिरपेक्षता और चरम धार्मिक गतिविधियों सहित अन्य कई गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त सावधानी बरतने और कदम उठाने की बात की।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कोविड-19 संकट की शुरुआत में ही चेतावनी दी थी कि महामारी ने ‘सामाजिक स्थिरता’ के लिए खतरा पैदा कर दिया है। इसके बाद से चीन लगातार अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित विभिन्न देशों की आलोचनाओं का सामना कर रहा है। शी जिनपिंग सरकार ने बार-बार संदेह व्यक्त किया है कि दूसरे देश विघटन फैला रहे हैं और चीन के भीतर अशांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।