लखनऊ। कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में विकास दुबे से दोस्ती के शक में चौबेपुर थाने में तैनात सभी दरोगा, हेड कांस्टेबल और सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया गया था। इसमें 60 पुलिस कर्मी शामिल थे। इन सभी की भूमिका की जांच अब एसआईटी करेगी। वहीं जेल में बंद जय बाजपेई के अपराधिक इतिहास और सम्पत्ति से जुड़े सभी दस्तावेज पुलिस ने ईडी को सौंप दिए गए हैं।
विकास दुबे से थाना पुलिस के गठजोड़ पर पूर्व एसएसपी दिनेश कुमार पी ने पूरे थाने को लाइन हाजिर कर दिया था। उसके बाद इन सभी पुलिस कर्मियों की जांच एसपी ग्रामीण को सौंपी गई थी। मगर अब इस पूरे मामले की जांच एसआईटी करेगी। मामले में गठित एसआईटी को सोमवार को पुलिस कर्मियों की जांच से जुड़े सभी दस्तावेज पहुंचा दिए गए हैं। अब पुलिस कर्मी लखनऊ जाकर एसआईटी के सामने बयान देंगे।
एसओ और इंस्पेक्टर हो चुके हैं गिरफ्तार :
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की तलाश में छापा मारने गए बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्र और शिवराजपुर एसओ महेश यादव समेत 8 पुलिसवालों को विकास और उसके गुर्गों ने मौत के घाट उतार दिया था। इस दौरान विनय पर गांव की बिजली कटवाने और मुठभेड़ के दौरान पीछे रहने की बात सामने आई। दरोगा कुंवर पाल सिंह, केके शर्मा और सिपाही राजीव को भी डरने और लापरवाही बरतने पर सस्पेंड किया जा चुका है। एसओ और इंस्पेक्टर दोनों गिरफ्तार भी हो चुके हैं। दोनों दरोगा और सिपाही बिकरू गांव के बीट इंचार्ज रह चुके हैं। इन सभी पर विकास की मदद का आरोप है। अपने बयान में केके शर्मा ने स्वीकार किया था कि विकास ने एक दिन पहले ही फोन पर धमकी दी थी कि उनके यहां कोई आया तो जिंदा बचकर नहीं जाएगा।
यह जानकारी उन्होंने विनय तिवारी को दी लेकिन कोई सतर्कता नहीं बरती गई। उच्चाधिकारियों को सूचना नहीं दी गई। जांच में यह भी पता चला कि छापेमारी की सूचना शाम को 8 बजे ही विकास दुबे को चौबेपुर थाने से किसी भेदिए ने दी, उसने मौका पाकर हथियारबंद लोगों को अपने घर में जमा किया और पुलिस पर हमला बोल दिया। एसएसपी दिनेश कुमार पी ने चौबेपुर थाने पर तैनात 13 दरोगा, 10 मुख्य आरक्षी तथा 45 आरक्षियों को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर करने का निर्देश दिया।