उन्होंने कहा कि यही सोचकर मैं उसे फुटबॉल से क्रिकेट में लाया। अपने उस फैसले पर मुझे हमेशा नाज रहेगा। उन्होंने कहा कि कैप्टन कूल धोनी बचपन से ही बहुत शांत था और उसमें गजब की सहनशीलता थी। उन्होंने कहा कि सफलता के शिखर तक पहुंचने के बाद भी उसकी यह खूबी बनी रही जो काबिले तारीफ है। स्कूली दिनों का एक किस्सा याद करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार हमारी टीम जीता हुआ मैच हार गई तो मुझे बहुत गुस्सा आया और मैने कहा कि सीनियर खिलाड़ी बस में नहीं जाएंगे और पैदल आएंगे। वह कुछ और सीनियर के साथ दो तीन किलोमीटर पैदल चलकर आया और कुछ नहीं बोला। चुपचाप किट बैग लेकर घर चला गया।
यूएई में इंडियन प्रीमियर लीग खेलने के लिए चेन्नई रवाना होने से पहले धोनी ने बनर्जी से बात की थी लेकिन उसमें क्रिकेट का जिक्र नहीं था। उन्होंने कहा कि हमारी बात हुई लेकिन वह निजी बात थी। क्रिकेट की कोई बात नहीं हुई। जब वह रांची में रहता है तो क्रिकेट की बात कम करता है। बनर्जी ने कहा कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड को चाहिये कि उसकी असाधारण प्रतिभा का इस्तेमाल करे। उन्होंने कहा कि धोनी जैसी क्रिकेट की समझ बहुत कम क्रिकेटरों में होती है। मैं चाहूंगा कि बीसीसीआई उसकी असाधारण प्रतिभा का इस्तेमाल करे। विकेटकीपिंग, बल्लेबाजी, कप्तानी, निर्णय क्षमता सभी में माहिर ऐसा पूरा पैकेज ढूंढने से नहीं मिलेगा।