अयोध्या के विवादित ढाँचे बाबरी के विध्वंस के आपराधिक मामले में लखनऊ की विशेष अदालत 30 सितंबर तक फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई कर रहे स्पेशल जज एस. के. यादव की रिपोर्ट देखने के बाद ट्रायल को पूरा करने की समय सीमा को और एक महीना बढ़ाकर 30 सितंबर तक कर दिया है।
बता दें कि इस केस में भाजपा के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और अन्य कई नेताओं को आरोपित बनाया गया है। विशेष अयोध्या न्यायाधीश के अनुरोध पर पिछली समय सीमा को न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा बढ़ाया गया है। न्यायाधीश ने मामले में प्रगति रिपोर्ट SC में दाखिल करने के साथ ही आवेदन पत्र देते हुए मुकदमे को समाप्त करने के लिए कुछ और समय देने की माँग की थी।
पीठ ने 19 अगस्त को अपने आदेश में कहा, “विद्वान विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव की रिपोर्ट को पढ़कर, और यह देखते हुए कि प्रोसीडिंग अपने अंतिम चरण में पहुँच रही हैं, हम एक महीने का समय देते हैं। जिसका मतलब है, 30 सितंबर, 2020 तक का समय कार्यवाही पूरी करके निर्णय देने के लिए दिया जाता है।”
इस संबंध में आखिरी आदेश मई में आया था, जब पीठ ने सीबीआई अदालत को विशेष न्यायाधीश के एक ऐसे ही अनुरोध पर ध्यान देने के बाद 31 अगस्त, 2020 तक निर्णय देने का निर्देश दिया था।
इस मामले में मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती भी अपना बयान दर्ज करा चुके हैं और खुद को निर्दोष भी बता चुके हैं। जोशी ने उस वक्त केंद्र की तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए झूठे सबूत पेश करने की बात भी कही।
गौरतलब है कि अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को ‘कारसेवकों’ ने विवादित बाबरी मस्जिद के ढाँचे को गिरा दिया था। उनका दावा था कि मस्जिद की जगह पर राम का प्राचीन मंदिर हुआ करता था। राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले लोगों में आडवाणी और जोशी भी शामिल थे।