लोक जनशक्ति पार्टी दिग्गज नेता और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान नहीं रहे. बेटे चिराग पासवान ने उनके निधन की जानकारी दी. रामविलास पासवान एक गरीब परिवार से राजनीति के शिखर तक पहुंचे थे. इसलिए वो हमेशा गरीबों और पिछड़ों की बात किया करते थे. ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ योजना को लागू करने में रामविलास पासवान की बड़ी भूमिका थी.
दरअसल, योजनाबद्ध तरीके से पूरे देश में ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ योजना को लागू करने का श्रेय रामविलास पासवान को जाता है. रामविलास पासवान का कहना था कि ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ से देश की तस्वीर बदल जाएगी, और गरीबों को पूरे देश में आसानी से पेट भरने के लिए सरकारी मदद के तौर पर अनाज मिलेगा.
रामविलास पासवान कहते थे कि अगर बिहार का मजदूर दिल्ली या मुंबई में काम करता है, तो उसे ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ के तहत दिल्ली-मुंबई में चलने वाली राशन की दुकानों से राशन मिलेगा. यानी किसी भी राज्य का राशन कार्डधारक दूसरे किसी भी राज्य में कार्ड दिखाकर राशन ले सकेगा.
यही नहीं, कोरोना संकट के बीच उन्होंने इस योजना को पूरे देश में लागू करने के लिए जीतोड़ मेहनत की और पूरे देश के गरीबों तक इस योजना को पहुंचा दी. केंद्रीय उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ की तर्ज पर अब ‘एक राष्ट्र, एक मानक’ लागू करने का काम कर रहे थे. पासवान ने कह दिया था कि 31 मार्च 2021 से देशभर में एक मानक लागू हो जाएगा.
रामविलास पासवान की देख-रेख में ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ योजना की शुरुआत 1 जनवरी 2020 को हुई थी, उस समय इस योजना को देश के 12 राज्यों में लागू किया गया था. इससे पहले अगस्त 2019 में 4 राज्यों में राशन कार्डों की अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी के साथ इस योजना की शुरुआत हुई थी. पासवान का लक्ष्य था कि 31 मार्च 2021 तक देश के सभी राज्यों को वन नेशन वन राशन कार्ड योजना से जोड़ दिया जाए.
केंद्र सरकार इस योजना के तहत 81 करोड़ लोगों को कम दामों पर अनाज उपलब्ध करा रही है. देश के कुल 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी सुविधा शुरू हो गई है. जन वितरण प्रणाली (PDS) के जरिए राशन की दुकान से 3 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल और दो रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और एक रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मोटा अनाज मिलता है.