केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन बिहार चुनाव के नतीजों पर असर डाल सकता है, उनके बेटे चिराग पासवान ने इस चुनाव में नीतीश कुमार को उखाड़ फेंकने का दम भरा है, ऐसे में सीनियर पासवान के निधन से लोजपा सहानुभूति वोट बटोर सकती है, पासवान के जाने से दुसाध वोट चिराग के साथ खड़े हो सकते हैं, बड़े पासवान दशकों से दुसाधों के सबसे बड़े नेता रहे हैं, चुनाव में दुसाधों की सक्रिय भागीदारी की वजह से पासवान की राजनीतिक ताकत कभी कमजोर नहीं हुई, चिराग उसी ताकत को सुशासन बाबू के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहते हैं।
रामविलास अस्वस्थ्य होने की वजह से पहले ही इस चुनाव में सक्रिय भागीदारी नहीं कर रहे थे, ऐसे में सवाल उठ रहे थे कि क्या चिराग दुसाधों को उसी तरह साध पाएंगे, जैसे उनके पिता करते थे, पासवान के निधन से इस बात की संभावना बढ गई है कि दुसाध एकजुट होकर लोजपा के लिये वोट करें, पार्टी ने गुरुवार को सीएम नीतीश और जदयू को झटका देने वाले प्लान की ओर कदम बढाया था, करीब महीना भर पहले चिराग ने पिता की बीमारी का हवाला देते हुए कहा था कि वह उनके राजनीतिक काम को आगे बढाना चाहते हैं, शारीरिक अस्वस्थता की वजह से पापा प्रचार नहीं करने वाले थे, एक दलित नेता के रुप में रामविलास पासवान का जो कद था, वह बिहार ही नहीं राष्ट्रीय स्तर के नेता थे।
चिराग ने इस विधानसभा चुनाव में जदयू के खिलाफ मोर्चा तो खोला है, लेकिन बीजेपी के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं, ना ही उन्होने बीजेपी के खिलाफ प्रत्याशी उतारा है, दूसरी ओर बीजेपी के शीर्ष नेता बार-बार नीतीश कुमार के लिये अपना समर्थन दोहरा रहे हैं।
रामविलास के जाने से चिराग पर खुद को साबित करने का दबाव बढ गया है, कई विरोधाभासों के बावजूद रामविलास राजनीतिक लक्ष्य हासिल करते रहे, हाल ही में चिराग ने वोटर्स और पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील में कहा था कि मैं पापा का अंश हूं इसलिये उन्हें पता है कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में सफल होते हैं, सूत्रों के मुताबिक लोजपा लोगों के बीच जाकर ये कहेगी, कि वह पासवान के सपने को पूरा करेगी। रामविलास के निधन के चंद घंटे पहले ही लोजपा ने एक लेटर सार्वजनिक किया था, जिसमें 24 सितंबर को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखी चिट्ठी में चिराग ने कहा ता कि जब उनके पिता राज्यसभा सीट के लिये नामांकन दाखिल करने से पहले मुलाकात कर समझाने गये थे, तो नीतीश का व्यवहार ठीक नहीं था, जब ये चिट्ठी सार्वजनिक हो गई, तो इसे फैलाकर लोजपा की पोजीशन को और मजबूत करने की होगी।