नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जी को चैनलों के बीच चल रहा रेटिंग वॉर पसंद नहीं आया था। इसके बाद महाराष्ट्र के मुंबई में टीआरपी घोटाला भी पकड़ा गया। अब आवश्यक मुद्दों को छोड़ न्यूज़ चैनल टीआरपी की ख़बरों में लगे हुए हैं।
जावड़ेकर जी को लगता है कि टीआरपी का खेल अब बंद होना चाहिए। इस खेल को वे क्यों बंद करना चाहते हैं, इसकी तह में जाना आवश्यक है। मनोरंजन उद्योग पर अरबों रुपयों का दांव लगा हुआ है। कोरोना काल में मनोरंजन उद्योग आर्थिक रूप से चरमरा गया है।
धीरे-धीरे मनोरंजन उद्योग उबर ही रहा था कि सुशांत और दिशा हत्याकांड हो गया। उसके तुरंत बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की कार्रवाई होने से हिन्दी फिल्म उद्योग की इमेज को बड़ा धक्का लगा। कंगना रनौत ने टीवी पर आकर फिल्म उद्योग के रहस्य लोगों के सामने प्रकट कर दिए। मानो बॉलीवुड के विरुद्ध एक लहर चल पड़ी।
इस लहर में बॉलीवुड के बड़े सुपरस्टार्स की इमेज को बड़ा धक्का पहुंचा। एक दिन की पूछताछ ने उनके कॅरियर में ऐसे डेंट मार दिए हैं कि भविष्य में वे शायद ही इससे उबर सके। प्रकाश जावड़ेकर को इस माहौल का अच्छी तरह अंदाज़ा हो चला था और इसलिए एक पत्रिका के विमोचन के दौरान उन्होंने टीआरपी पर निशाना साध ही लिया।
जावड़ेकर इस बात पर बल देते हैं कि सरकारी हस्तक्षेप से न्यूज़ चैनलों की गुणवत्ता सुधारने के बजाय सरकार स्वः नियंत्रण पर विश्वास रखती है। टीआरपी घोटाला सामने आने के बाद वे ये भी कहते हैं कि TRP (टेलीविजन रेटिंग पॉइंट) की व्यवस्था में सरकार का कोई दखल नहीं है।
इसकी व्यवस्था में कोई खामी है तो ब्रॉडकॉस्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) को इसे दूर करना चाहिए। प्रकाश जावड़ेकर जी को पिछले तीन दिन में ही ये खामी क्यों दिखाई दी, जबकि टीआरपी की ये व्यवस्था तो वर्षों से जारी है।
क्या उनको ये खामी इसलिए दिखाई दे गई क्योंकि वर्षों से नंबर वन रहा न्यूज़ चैनल आजतक एक वर्ष पहले ही आए रिपब्लिक भारत से पिछड़ गया। क्या उनको ये खामी लगती है कि रिपब्लिक भारत ने नंबर वन होने पर आजतक को क्यों चिढ़ाया। फिर मंत्री महोदय को आजतक का वह रायता क्यों याद नहीं आता, जिसमे वह कहता है ‘कोई नहीं दूर-दूर तक’।
जब वे मान चुके हैं कि ये व्यवस्था ब्रॉडकास्टर्स ने मिलकर बनाई है और सरकार दखल नहीं दे सकती, तो उन्होंने ये राग छेड़ा ही क्यों। निश्चित ही उनको टीआरपी में खोट दिखाई देगा क्योंकि आजतक, सोनी टीवी को देश टीआरपी का ही दंड दे रहा है। ये दंड मंत्री जी से देखा नहीं जा रहा और इसलिए वे इस व्यवस्था में सुधार चाहते हैं।
जब इसी देश ने आजतक और सोनी टीवी को सरताज बनाया था, तब इस रेटिंग में कोई दोष नहीं था? जनता ने व्यवस्था के विरुद्ध टीआरपी को शस्त्र बना लिया तो मंत्री जी का पेट क्यों दुखा? उनके पेट दुखने का कारण भी जान लीजिये। बार्क की 39वें सप्ताह की ताज़ा रेटिंग आ गई है। 26 सितंबर से 2 अक्टूबर की रेटिंग में रिपब्लिक भारत फिर से पहले नंबर पर बना हुआ है।
रेटिंग में आजतक दूसरे नंबर पर है और इसमें ज़ी न्यूज़ का नाम ही नहीं है। टीवी चैनलों की रेटिंग में बड़ा आघात ये है कि स्टार उत्सव और स्टार प्लस सरताज बने हुए हैं। बिग बॉस प्रसारित करने वाला कलर्स आठवीं पायदान पर है। केबीसी प्रसारित करने वाला सोनी टीवी रेटिंग में दिखाई ही नहीं दे रहा है।
बार्क की 38वें सप्ताह से नई रेटिंग की तुलना करें तो स्थिति और भी खराब होती जा रही है। कौन बनेगा करोड़पति की ताज़ा गूगल रेटिंग 4.0 है, जो अमिताभ बच्चन जैसी शख्सियत के लिए शर्मनाक रेटिंग है। बिग बॉस की हालत तो केबीसी से भी ज़्यादा पतली है। इसकी आईएमडीबी रेटिंग 4.2 रह गई है।
पिछले सप्ताह ये रेटिंग 8 से ऊपर थी। एक सप्ताह में ही बिग बॉस का किला देश की जनता ने ध्वस्त कर दिया है। गूगल रेटिंग को देखे तो इधर हालत ज़्यादा खराब हो चुकी है। गूगल पर बिग बॉस को 2.7 की रेटिंग मिल रही है। प्रकाश जावड़ेकर जी इसी प्रतिशोधात्मक टीआरपी से परेशान हो गए हैं।
यही चलता रहा तो देश की जनता जाने कितने चैनलों का तम्बू बांधकर घर भेज देने वाली है। सुशांत की निर्मम हत्या से उपजा आक्रोश एटॉमिक चेन रिएक्शन की तरह हो गया है। ये परमाणु विकिरण की तरह बढ़ता ही जा रहा है।
सुशांत की मौत पर अंदरखाने क्या हुआ है, ये तो जनता नहीं जानती लेकिन ये तय है कि बिहार के उस लड़के की मौत ने फिल्म उद्योग और समाचार चैनलों की इम्युनिटी समाप्त कर दी है। प्रकाश जावड़ेकर परेशान हैं कि ऐसा कब तक चलेगा।
मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि जब तक सुशांत के हत्यारें पकड़े नहीं जाते, जब तक बॉलीवुड में चल रहे अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट का भड़ाफोड़ नहीं होता, जब तक देश की संस्कृति और धर्म को चिढ़ाने वाले कार्यक्रम बंद नहीं होते। तब तक ये गिरावट जारी रहेगी। प्रकाश जी को मालूम होना चाहिए कि देश की जनता ने इस विरोध को सत्याग्रह बना लिया है। अब तो जागिये महोदय।