नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने सोमवार (फरवरी 16, 2021) को बताया कि वो इस बात की जाँच कर रहे हैं कि ग्रेटा थनबर्ग द्वारा ट्वीट की गई टूलकिट में पीटर फ्रेडरिक का नाम कैसे जुड़ा। पीटर पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI का आदमी है। गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा में इन सबने मिल कर साजिश रची थी। पीटर 2006 से ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। डॉक्यूमेंट में उसका नाम भी शामिल था।
2006 में उसका नाम तब सामने आया था, जब उसने ‘कश्मीर-खालिस्तान (K2)’ के लिए आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले भजन सिंह भिंडर उर्फ़ इक़बाल चौधरी के साथ जुड़ा था। पीटर के हैंडल से एक ट्वीट भी किया गया, जिसमें कहा गया कि वो खालिस्तान का समर्थन नहीं करता है और ये सब मोदी सरकार द्वारा फैलाया गया एक मानसिक जंजाल है, ताकि लोगों का ध्यान भटकाया जा सके। इस मामले में बेंगलुरु की तथाकथित क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि गिरफ्तार की जा चुकी है।
मुंबई की वकील निकिता जैकब और पुणे के इंजीनियर शांतनु के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए हैं। दोनों फरार अभियुक्तों की तलाश जारी है। उक्त टूलकिट डॉक्यूमेंट में कई ऐसे हाइपरलिंक थे, जो खालिस्तान से जुड़े थे। दिशा ने टेलीग्राम से उसे ग्रेटा को भेजा। प्रियंका गाँधी और अरविंद केजरीवाल जैसे नेता दिशा की गिरफ़्तारी का विरोध कर चुके हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री तक ने इसका विरोध किया।
पत्र जिस भिंडरावाले से जुड़ा हुआ है, उसका नाम हथियारों और ड्रग्स की अवैध सप्लाई में आ चुका है। पीटर का नाम टूलकिट में उन लोगों में शामिल था, जिन्हें फॉलो करने को कहा गया था। इस टूलकिट में कई गूगल ड्राइव्स, गूगल डॉक्स और अन्य वेबसाइट्स के लिंक्स थे। इनमें एक खालिस्तानी वेबसाइट ‘askindiawhy.com’ भी शामिल है। इस टूलकिट को सोशल मीडिया के ‘प्रभावशाली’ लोगों के बीच साझा किया गया था।
जनवरी 11 को हुई ज़ूम मीटिंग में टूलकिट के प्रचार-प्रसार के बारे में सब कुछ तय किया गया था। पुलिस का कहना है कि निकिता और शांतनु की गिरफ़्तारी के बाद ही इस मामले में अधिक खुलासा हो पाएगा। अब निकिता ने बयान जारी कर कहा है कि वो टूलकिट सिर्फ एक ‘सूचना पैकेज’ था और उसका उद्देश्य हिंसा भड़काना नहीं था। निकिता ने ये भी कहा कि उसने ‘किसान आंदोलन’ के लिए समर्थन जुटाया और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
उसने कहा है कि जो इस आंदोलन के बारे में सब कुछ जानना चाहते थे, उनके लिए ये टूलकिट तैयार किया गया। जैकब वैश्विक पर्यावरण संगठन ‘एक्सटिंक्शन रिबेलियन (XR)’ से जुड़ी हुई है। उसने कहा है कि लोकतंत्र और संविधान के हिसाब से इस टूलकिट को तैयार करना वैध है। जैकब के अनुसार, XR द्वारा ही इस टूलकिट को तैयार किया गया और इसके नेटवर्क में फैलाया गया। दिशा का संगठन ‘फ्राइडे फॉर फ्यूचर (FFF)’ भी XR का पार्टनर है।
निकिता जैकब और शांतनु मुलुक ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपनी जमानत याचिका भी दायर कर दी है, जिस पर आज सुनवाई होनी है। निकिता ने हाईकोर्ट से माँग की है कि उसे 4 हफ़्तों के लिए गिरफ़्तारी से राहत दी जाए, किसी भी पुलिस कार्रवाई से उसे अंतरिम राहत मिले और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया जाए कि वो FIR की कॉपी उससे शेयर करे। शांतनु मुलुक ने जो ईमेल बनाया, वही उस टूलकिट का ऑनर था।
Toolkit Probe Explodes.
Activist Disha Ravi in Police Custody, Cops allege Disha is a Key Conspirator.
Fearing arrest, Nikita Jacob moves to Bombay High Court, the plea to be heard today.@Nitisha_Kashyap & @Herman_Gomes share details with @ridhimb pic.twitter.com/X7nC39pJrK
— News18 (@CNNnews18) February 16, 2021
निकिता जैकब ने अपनी जमानत याचिका में ये भी कहा है कि वो किसानों को ‘विलेन बनाए जाने’ और तीनों कृषि कानूनों से ‘होने वाले नुकसान’ को लेकर चिंतित थी। उसने कहा कि उसका कोई राजनीतिक, मजहबी या आर्थिक एजेंडा नहीं है। याचिका में दावा किया गया है कि आजकल महिलाओं के लिए दूसरे राज्यों में यात्रा करना कठिन है, क्योंकि इससे FIR हो जाती है। उसने आरोप लगाया कि ‘सोशल मीडिया ट्रॉल्स’ उसके फोन नंबर्स और व्यक्तिगत इन्फो सबको बाँट रहे हैं।
पुलिस के मुताबिक़, इस प्रकरण में शामिल सभी ने ‘टूलकिट’ पूरी सावधानी से बनाई है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एक और अहम बात कही, वो ये कि इस टूलकिट में प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों और फैक्ट चेकर्स का नाम भी शामिल है। इसमें सिर्फ मामले के आरोपित ही साबित कर पाएँगे कि क्यों टूलकिट में पीटर फ्रेडरिक का नाम मौजूद है। इसके पहले ग्रेटा थनबर्ग और दिशा रवि के बीच व्हाट्सएप चैट भी सामने आई थी।