टोक्यो पैरालंपिक में रविवार को भारत की पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना बेन पटेल ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया, सिल्वर मेडल तक उनका सफर आसान नहीं था, पोलियो से पीड़ित भाविना ने अपने जीवन में कड़ी मेहनत की है, जिसका फल उन्हें टोक्यो में मिला।
गुजरात के मेहसाना जिले के सुंढिया गांव में अपनी पढाई पूरी करने के बाद भाविना कंप्यूटर साइंस से आईटीआई करने के बाद अहमदाबाद आई, बचपन से ही उन्हें टेबल टेनिस से लगाव था, लेकिन पढाई के साथ उनके लिये पसंदीदा खेल को खेलना या उसके लिये तैयारी करना बहुत कठिन था। वो अकसर अपनी बैसाखियों के साथ दो बसें बदलती थी, उसके बाद ऑटो लेती थी, फिर कुछ दूर पैदल चलकर ट्रेनिंग प्लेस पर पहुंचती थी, इसी बीच कई बार उन्हें पूर्व क्रिकेटर निकुल पटेल से लिफ्ट मिल जाती थी, जो उन्हें उनके डेस्टिनेशन तक पहुंचाते थे।
देखते ही देखते निकुल भाविना के जीवन की बैसाखी बन गये, दोनों ने शादी कर ली, लेकिन शादी के बाद से सिल्वर मेडल जीतने के बीच दोनों को कई मुश्किलों का सामना करना पडा। इंडियन एक्सप्रेस से फोन पर बात करते हुए निकुल ने बताया कि भाविना शुरु से ही स्वतंत्र थी और अपने लक्ष्य की तरफ केन्द्रित थी, वो एक सरकारी कर्मचारी हैं, जहां वो अपने कार्यों को पूरी शिद्दत से करती है, ऐसी ही वो टेबल टेनिस में भी हैं, प्रैक्टिस के लिये रोजाना जाना उनके लिये बिल्कुल भी आसान नहीं था।
टीम इंडिया अंडर-19 क्रिकेट खेल चुके निकुल ने बताया कि कोरोना के कारण लगाये गये लॉकडाउन के दौरान उन्होने अपने घर को ही भाविना के लिये प्रैक्टिस सेंटर बना दिया था, हमने अपने 4 कमरों वाले मकान के एक कमरे में टेबल रखा, और भाविना ने वहां ही प्रैक्टिस शुरु कर दी, 6 महीने उन्होने घर पर ही प्रैक्टिस की, और कोच से ये भी कहा, कि अगर अन्य खिलाड़ी चाहें, तो यहां आके प्रैक्टिस कर लें, इस दौरान अगर हमारे घर में कोई मेहमान आता था, तो हम टेबल फोल्ड करके जमीन पर सोते थे।