क्रिकेट के खेल के बारे में एक घिसी-पिटी कहावत चलती है. कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है. हालांकि ये बात ऐसी है कि इससे कोई इनकार भी नहीं कर सकता है. ऐशेज़ सीरीज़ की उत्पत्ति जिस मैच के कारण हुई, वहां से लेकर 1983 में भारत का विश्व कप जीतना और हाल ही में बाउंड्री के आधार पर वर्ल्ड कप की जीत तक, कदम-कदम पर ऐसे मौके आते रहे जिनके बारे में किसी ने भी नहीं सोचा था. लेकिन टेस्ट क्रिकेट के 129 साल के इतिहास में पहली बार एक मौका ऐसा भी आया जब किसी टीम ने टेस्ट मैच इसलिए जीता क्यूंकि सामने वाली टीम ने मैदान पर उतरने से मना कर दिया था. और ये हुआ उसी ज़मीन पर, जिसने क्रिकेट को जना था.
इंग्लैण्ड और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं जो बड़ी मज़ेदार हैं. वो चाहे माइक गैटिंग और शकूर राणा की कहानी हो, चाहे पाकिस्तान के एक मैदान में किनारे रखे फ़्रिज का फटना और दिन का खेल ख़त्म होने पर अफ़रीदी का पिच पर जूतों का निशान छोड़ना हो. कितनी ही कहानियां हैं जिन्होंने पाकिस्तान और इंग्लैण्ड के बीच रंग बरकरार रखा है. लेकिन ये टेस्ट एक अलग ही पहचान बना गया. बीते 1,813 मैचों में ऐसा नहीं हुआ था कि सामने वाली टीम मैदान पर ही न उतरी हो और दूसरी टीम को विजेता घोषित कर दिया गया हो.
इंज़माम उल हक़ अपने करियर के आख़िरी पड़ाव पर चल रहे थे. सीरीज़ से पहले बात चल रही थी कि ये इंज़ी का आख़िरी इंग्लैंड टूर होने वाला था. टीम की कमान उन्हीं के हाथ में थी. पहले 3 टेस्ट मैचों में पाकिस्तान 2 मैच हार चुका था और तीसरा ड्रॉ करवाने में कामयाब रहा था. लीड्स में खेला गया पहला मैच तो बेहद नाटकीय रहा. अपनी पहली पारी में पाकिस्तान ने जहां 538 रन बनाये लेकिन दोबारा बैटिंग करते हुए पूरी टीम मात्र 48 ओवर में 155 रनों पर ऑल आउट हो गयी. 3 मैचों के बाद पाकिस्तान के पास एकमात्र पॉज़िटिव यही था कि 2 मैचों में प्लेयर ऑफ़ द मैच पाकिस्तानी बल्लेबाज़ बने थे. पहले मैच में यूनिस खान और तीसरे मैच में मोहम्मद यूसुफ़. मोहम्मद यूसुफ़ ने तो लॉर्ड्स में 202 रन बनाये थे. ये डबल सैकड़ा आया भी बड़े मौके से था. पाकिस्तान के 68 रन पर 4 विकेट गिर चुके थे. और फिर जब यूसुफ़ आउट हुए तो टीम के 445 रन बन चुके थे.
खेल पत्रकारिता में एंड्रू मिलर एक बड़ा नाम है. मोहम्मद यूसुफ़ के इस दोहरे शतक के बाद उन्होंने अपने लेख में बताया था कि कैसे यूसुफ़ ने दूसरे जन्म के बाद अपने अंदर एक दूसरे ही बल्लेबाज़ को भी जन्म दिया था. ये दूसरा जन्म असल में यूसुफ़ योहाना से मोहम्मद यूसुफ़ के सफ़र की ओर इशारा कर रहा था. 2006 से ही क्रिकेट के स्कोरबोर्ड्स पर यूसुफ़ योहाना की जगह मोहम्मद यूसुफ़ लिखा जाना शुरू हुआ था. हालांकि बताया ये जाता है कि उससे 3 साल पहले ही उन्होंने ईसाई धर्म छोड़कर इस्लाम क़ुबूल कर लिया था. मोहम्मद यूसुफ़ बनने के बाद से वो आठ टेस्ट मैचों में 83.38 के एवरेज से रन बना रहे थे जिसमें इंग्लैंड के खिलाफ़ दो-दो डबल सेंचुरीज़ शामिल थीं.
खैर, गाड़ी वापस उस चौथे और सीरीज़ के आख़िरी टेस्ट मैच की तरफ़ आती है. 17 अगस्त 2006 को शुरू हुए इस मैच की पहली पारी में इंग्लैंड ने मात्र 173 रन बनाये थे और जवाब में पाकिस्तान ने 504 रन ठोंके. एक बार फिर मोहम्मद यूसुफ़ ने तीन अंकों का स्कोर बनाया. उनके साथ इमरान फ़रहत और मोहम्मद हफ़ीज़ नाइनटीज़ में पहुंच कर आउट हुए. इंग्लैण्ड की टीम इस 331 रनों के बोझ को उतारने की पूरी कोशिश कर रही थी. और यहीं वो घटता हुआ दिखा जो टेस्ट मैच को उसकी ख़ूबसूरती देता है. दो पारियों वाले इस फ़ॉर्मेट में करारा जवाब पा जाने के बाद आपको जवाब देने का एक और मौका मिलता है. इंग्लैण्ड ने तस्वीर बदलने की कोशिश की. तीसरे ओवर में पहला विकेट खो देने के बाद पहले एंड्रू स्ट्रॉस और एलिस्टर कुक ने 100 रनों की पार्टनरशिप की. उसके बाद कुक और पीटरसन ने.
इंग्लैण्ड बहुत ही अच्छी रिकवरी करती दिख रही थी और पाकिस्तानी खिलाड़ियों के कंधे झुकने शुरू हो गए थे. मगर फिर अचानक उमर गुल की गेंद आख़िरी मौके पर अंदर की ओर आई और कुक एलबीडब्लू आउट हुए. एलिस्टर कुक का बल्ला अब शांत था. और यहां से तस्वीर पर एक नया रंग चढ़ना शुरू हुआ. ये इंग्लैण्ड की पारी का 52वां ओवर था. इसके बाद गुल ने 2 ओवर और फेंके और जैसे ही 56वां ओवर ख़त्म हुआ, अम्पायर डेरिल हेयर और बिली डॉक्ट्रोव एक-दूसरे से मिले और कुछ बातें करने लगे. डेरिल हेयर गेंद को बड़े गौर से देख रहे थे और अपने साथी को भी दिखा रहे थे. टीवी फ़ुटेज में साफ़ दिखता है कि गेंद बिली डॉक्ट्रोव के हाथ में थी और डेरिल हेयर उन्हें अपनी उंगली से पिन-पॉइंट कर के गेंद के कुछ ख़ास हिस्सों को दिखा रहे थे.
अम्पायरों को दिखी गेंद के साथ छेड़खानी
सेकंडों में ये साफ़ हो गया था कि अम्पायर गेंद की कंडीशन से बहुत खुश नहीं थे. उन्होंने ये बात तीसरे अम्पायर तक पहुंचाई और वहां से रिज़र्व अंपायर एक डब्बा लेकर आये जिसमें कई गेंदें रखी हुई थीं. अम्पायरों ने बल्लेबाज़ों को गेंद दिखाते हुए उनसे एक गेंद चुनने को कहा. पीटरसन और कुछ ही वक़्त पहले क्रीज़ पर आये पॉल कॉलिंगवुड ने गेंद चुनी. यहां तक सब कुछ ठीक चल रहा था क्यूंकि ये एक बेहद नॉर्मल परिस्थिति थी. क्रिकेट के खेल में रफ़ में पड़ने पर, प्रैक्टिस पिच पर बार-बार टप्पा खाने पर, स्टैंड्स में किसी मेटल की या सीमेंट की या किसी और बेहद ठोस जगह टकराने पर गेंद की कंडीशन ख़राब हो जाना बेहद आम बात है. ऐसे में अम्पायर्स गेंद बदल देते हैं. लेकिन इस मौके पर बॉल बदलने के बाद अम्पायर डेरेल हेयर ने पांच पेनाल्टी रनों का इशारा किया जो इंग्लैण्ड की टीम को दिए जा रहे थे. और इसका एक ही मतलब था- अम्पायर की नज़र में पाकिस्तान टीम ने गेंद से छेड़छाड़ की थी.
इसके बाद इंग्लैण्ड ने ख़ुद चूज़ की हुई गेंद से रन बटोरने शुरू किये. अगले 8 ओवर में 4 चौके और 2 चक्के पड़े. इंग्लैण्ड की टीम रन बनाती जा रही थी और इस पूरे दौरान इंज़माम बौखलाए हुए दिख रहे थे. उधर पाकिस्तान की बालकनी पर वक़ार यूनिस और ज़हीर अब्बास किसी जिरह में उलझे हुए दिख रहे थे. और 3-4 मिनट बाद ही पाकिस्तान के कोच बॉब वूल्मर हाथ में रूल बुक पकड़े हुए मैच रेफ़री के ऑफ़िस की ओर जाते हुए दिखे. ऊपर-ऊपर से देखें तो कोई ये कह सकता था कि खेल नॉर्मल हालत में आगे बढ़ रहा था. लेकिन जो तबीयत पढ़ सकते थे, उन्हें मालूम था कि मैदान की हवा कुछ गर्म हो चली थी. कई घटनाएं एक साथ घट रही थीं. और इसी सब के बीच केविन पीटरसन 96 रन पर आउट हो गये. फिर कॉलिंगवुड और इयान बेल ने मिलकर 21 रन और जोड़े. कुछ देर में चायकाल के लिये खेल रुका. बोर्ड पर इंग्लैण्ड ने 4 विकेट पर 298 रन टांग दिए थे. दोनों खेमे के खिलाड़ी अपने-अपने तम्बुओं में जा रहे थे.
ये टी कुछ जल्दी डिक्लेयर की गयी थी क्यूंकि काफ़ी बादल आ गये थे और रोशनी कम हो रही थी. बारिश कुछ ही मिनट दूर दिख रही थी. लिहाज़ा बारिश को पूरा मौका दिया गया. चाय जल्दी पीने का फ़ैसला किया और पिच को ढक दिया गया. आधे घंटे में मौसम साफ़ हुआ, फुहार चली गयी और पिच से कवर भी हटा दिया गया. शाम 4 बजकर 35 मिनट पर अम्पायर्स मैदान में चलते हुए आये. दर्शक ताली बजा रहे थे. माना जा रहा था कि ये सेशन निर्याणक साबित होने वाला था. मात्र 33 रनों में इंग्लैण्ड पाकिस्तान पर लीड चढ़ाना शुरू करने वाला था. हालांकि मैच पाकिस्तान के हक़ में ज़्यादा दिख रहा था लेकिन ये वही पाकिस्तान थी जो पहले टेस्ट में 500 रन बनाने के बाद अगली पारी में मात्र 150 रन ही बना पायी थी. कुल मिलाकर मामला रोचक होता दिख रहा था. लेकिन किसी को भी ये इल्म नहीं था कि इतना रोचक होगा.
दर्शकों की तालियां अभी भी जारी थीं. अम्पायर्स अब मैदान के बीच आकर खड़े हो चुके थे. लेकिन और कोई हरकत होती नहीं दिख रही थी. अमूमन अम्पायर्स के पहुंचने तक फ़ील्डिंग टीम अपने शिविर से निकलकर मैदान की ओर आने लगती है. लेकिन यहां सन्नाटा पसरा हुआ था. खेल शुरू होने की ख़ुशी में बज रही तालियां अब भी जारी थीं लेकिन अब वो पाकिस्तानी टीम को निमंत्रण दे रही थीं. धीरे-धीरे ये तालियां भी धीमी पड़ने लगीं. अब उनकी जगह दर्शकों की भुनभुनाहट ने ले ली. कमेंट्री बॉक्स में मौजूद लोगों को भी कोई जानकारी नहीं थी. दर्शक अम्पायरों को देख रहे थे और अम्पायर पाकिस्तान के ड्रेसिंग रूम की ओर. इंग्लिश खेमे में बल्लेबाज़ इयान बेल और पॉल कॉलिंगवुड इस इंतज़ार में खड़े थे कि कब फ़ील्डिंग टीम उतरे तो वो भी आगे बढ़ें. उस वक़्त बीत रहा 1-1 सेकंड भी बहुत ज़्यादा मालूम दे रहा था.
लोगों की नज़रें कभी अम्पायरों पर थीं, कभी इंग्लैंड के ड्रेसिंग रूम की ओर तो कभी पाकिस्तान के कमरे की ओर. चूंकि कोई भी, कैसी भी जानकारी नहीं दे पा रहा था, इसलिए हर बीतते सेकंड के साथ कन्फ़्यूज़न बढ़ता जा रहा था. हर ओर सिर्फ़ तुक्के मारे जा रहे थे. अभी तक मैदान पर खड़े अम्पायर्स वॉकी-टॉकी निकाल चुके थे. वो लगातार तीसरे और चौथे अम्पायर से बात कर रहे थे. चौथे अम्पायर ट्रेवर जेस्टी मैदान में आये. इन तीनों ने काफ़ी देर तक बातचीत की. इतने में दोनों इंग्लिश बल्लेबाज़ ड्रेसिंग रूम के दरवाज़े पर आकर खड़े हो गये. उन्हें हर कोई देख सकता था. वो ये इशारा दे रहे थे कि वो मैदान पर आने को तैयार हैं.
मैदान पर कुछ 11-12 मिनट बिताने के बाद दोनों ऑन-ग्राउंड अम्पायर पाकिस्तानी ड्रेसिंग रूम की तरफ़ बढ़े. इसके बाद वहां अंदर जो कुछ भी हुआ, पाकिस्तान के उस वक़्त के कोच बॉब वूल्मर ने बताया. उन्होंने बताया कि अंदर जाकर अंपायरों ने टीम के कप्तान से पूछा कि आख़िर वो बाहर आकर खेल को आगे बढ़ाना चाहते हैं या नहीं. इसपर इंज़माम ने उनसे पूछा कि बीते सेशन में गेंद क्यूं बदली गयी थी. डेरेल हेयर ने बेहद रूखा जवाब देते हुए कहा कि वो वहां उस सवाल का जवाब देने नहीं आये थे. वो ये जानना चाहते थे कि टीम बाहर आना चाहती है, या नहीं. इंज़माम ने इसका कोई बहुत सॉलिड जवाब नहीं दिया और 3-4 मिनट के बाद अम्पायर्स वहां से बाहर तो निकले लेकिन मैदान में आने की बजाय, अपने ठिकाने पर चले गये.
अब पाकिस्तान के हिस्से की बालकनी में हलचल दिखना शुरू हुई. पाकिस्तान के मैनेजर ज़हीर अब्बास फ़ोन पर बात करते दिखे. मगर न पाकिस्तान की टीम का कोई अता-पता था और न ही कोई आधिकारिक बात सामने आयी थी. हालांकि अम्पायरों के पाकिस्तानी ड्रेसिंग रूम से बाहर आने के बाद लोगों को ये इशारा तो मिल गया था की बवाल की जड़ गेंद का बदला जाना और 5 पेनाल्टी रन थे और उसी के विरोध में पाकिस्तान की टीम मैदान पर नहीं उतर रही थी.
चायकाल ख़तम हुए 20 मिनट हो चुके थे. अचानक फिर कुछ हलचल हुई. अम्पायर एक बार फिर मैदान पर आते दिखे. तालियां अब भी बज रही थीं लेकिन उनकी आवाज़ में संकोच घुला हुआ था. भुनभुनाहट ज़्यादा थी. लेकिन अगले ही पल कुछ अलग नज़ारा देखने को मिला. इस बार इंग्लिश बल्लेबाज़ पॉल कॉलिंगवुड और इयान बेल मैदान पर आ गए. तालियों में इज़ाफ़ा हुआ. लेकिन पाकिस्तानी टीम अभी भी नदारद थी और तालियों का शोर उस हल्ले में बदल गया जिसे अंग्रेजी में ‘बू करना’ कहते हैं. ये साफ़ हो चला था कि पाकिस्तान की टीम अभी भी चीज़ों से ख़ुश नहीं थी और उनका विरोध जारी था. इस पूरे दौरान जो एक पाकिस्तानी खिलाड़ी दिखाई दिया, वो थे विकेटकीपर कामरान अकमल. वो बालकनी में आये, अपने कीपिंग ग्लव्स उतारे और कुर्सी पर बैठकर अख़बार पढ़ने लगे. ये अच्छा संकेत नहीं था. किसी को भी नहीं मालूम था कि आगे क्या होने वाला था.
और फिर, कुछ मिनट में एक बेहद निर्णायक घटना घटी. बिली डॉक्ट्रोव ने एक छोर की और डेरेल हेयर ने दूसरे छोर की गिल्लियां नीचे गिरा दीं. दोनों अम्पायर और दोनों इंग्लिश बैटर्स वापस चले गये. ज़ाहिर तौर पर अभी भी मामला साफ़ नहीं था. हालांकि बगैर किसी और वजह के, बीच सेशन में यूं गिल्लियों का गिरा दिया जाना इस बात का इशारा था कि खेल ख़तम हो चुका था. लेकिन किसी भी तरह की कोई भी आधिकारिक बात सामने नहीं आयी थी. और इसी वजह से कन्फ़्यूज़न लगातार बरक़रार था. बैटर्स और अम्पायर्स वापस जा रहे थे. पिच को ढका जा रहा था और मैदान में बैठी जनता इस पूरी कवायद को देखते हुए बू कर रही थी. शाम के 5 बज रहे थे.
लगभग सवा 5 बजे, इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड के चेयरमैन डेविड मॉर्गन पाकिस्तानी ड्रेसिंग रूम में जाते दिखे. इस मौके तक आते-आते, स्थिति साफ़ हो चुकी थी. कम से कम टीवी के दर्शकों को ये मालूम चल चुका था कि पाकिस्तानी खेमा गेंद बदले जाने और बॉल टेम्परिंग के आरोपों से नाख़ुश था और इसी का विरोध करते हुए कोई भी खिलाड़ी मैदान पर नहीं उतरा. इयान बॉथम ने कमेंट्री बॉक्स में कहा कि असल में पाकिस्तान के लिए ये उनके स्वाभिमान का मामला बन चुका था. उनका कहना था कि अगर डेरेल हेयर के पास इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि बॉल के साथ पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने ही छेड़छाड़ की थी, तो पाकिस्तान एकदम ठीक कर रहा था.
फ़िलहाल, किसी के कहने से कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला था. अम्पायरों ने नियमों के हिसाब से खेल को खतम हुआ घोषित कर दिया था और इंग्लैण्ड विजेता घोषित किया जा चुका था. मैच की क़िताब बंद की जा चुकी थी लेकिन अपनी आदत से मजबूर डिप्लोमेसी अपने चरम पर थी. अभी भी डेविड मॉर्गन पाकिस्तानी ड्रेसिंग रूम में ही थे. इंग्लैंड के खेमे में कोच डंकन फ़्लेचर आते-जाते, टहलते दिख रहे थे. इक्का-दुक्का खिलाड़ी इधर-उधर झांक रहे थे. कोई भी पाकिस्तानी खिलाड़ी बाहर नहीं दिख रहा था. अन्दर बड़ी मीटिंग चल रही थी.
शांति स्थापना की कोशिशों के बाद आया एक नया मोड़
कुछ देर में पाकिस्तान ड्रेसिंग रूम का दरवाज़ा खुला. डेविड मॉर्गन बाहर निकले. कुछ सेकंड के बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के डायरेक्टर, पीसीबी के चेयरमैन और टूर मैनेजर बाहर आये. एक दिशा में ‘थम्ब्स अप’ करते हुए बताया गया कि सब ठीक है. मैदान में पिच पर से कवर फिर से हटाये जाने लगे. दर्शकों ने इसका स्वागत किया. इतने में ख़बर मिली कि पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने बातचीत के बाद मैच रेफ़री माइक प्रॉक्टर को बताया था कि वो खेल को आगे बढ़ाने के लिए तैयार थे. ठीक साढ़े 5 बजे, यानी, टी ख़तम होने के 55 मिनट बाद, पाकिस्तानी टीम मैदान पर उतरी. इंज़माम-उल-हक़ टीम को लीड कर रहे थे. इंग्लैण्ड के बल्लेबाज़, कॉलिंगवुड और इयान बेल, ड्रेसिंग रूम में तैयार खड़े थे. लेकिन फिर कहानी को एक नया मोड़ मिला.
अब डेरेल हेयर ने मैदान में आने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि आईसीसी का नियम यही कहता है कि अगर अम्पायर को लगता है कि टीम खेलने से इंकार कर रही है तो सामने वाली टीम को विजेता घोषित कर दिया जायेगा और उन्होंने ऐसा ही किया था. इसलिये, अब दोबारा मैच शुरू करने का कोई सवाल ही नहीं था क्यूंकि मैच का फ़ैसला तो हो चुका था. कुछ 2-3 मिनट में इंज़माम को ये बात बतायी गयी कि अम्पायरों ने मैच आगे बढ़ाने से मना कर दिया था. पाकिस्तान की टीम एक बार फिर ड्रेसिंग रूम की ओर लौट चली.
इसके बाद एक भी गेंद नहीं फेंकी गयी. स्काई स्पोर्ट्स, जो कि मैच के आधिकारिक ब्रॉडकास्टर थे, से शाहरयार खान ने कहा कि जो भी हुआ, पाकिस्तान टीम को उसका दुख था और वो अपनी शिकायत वाजिब चैनल्स के ज़रिये आगे पहुंचा रहे थे. शहरयार खान ने एक बात दोहराई कि अम्पायरों ने गेंद बदलने का और इंग्लैण्ड को पेनाल्टी रन देने का फ़ैसला बगैर पाकिस्तानी खेमे से बातचीत किये ले लिया जिसपर उन्हें ऐतराज़ था, क्यूंकि यहां पाकिस्तान पर बॉल टेम्परिंग का आरोप लगाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी टीम ने अपना कड़ा विरोध जताया और अब वो आगे मैच बढ़ते हुए देखना चाहते थे.
इसी वक़्त नासिर हुसैन ने टीवी पर कहा कि अब ये मामला क्रिकेट बोर्ड्स का नहीं बल्कि आईसीसी का हो चला था. क्यूंकि दोनों टीमें खेलने को तैयार थीं और जिनकी वजह से मैच आगे नहीं बढ़ रहा था, वो आईसीसी के अम्पायर्स थे. खैर, ये सब होते-होते शाम के 6 बज चुके थे. सवा 6 बजे आधिकारिक रूप से ऐलान हो गया कि कम से कम उस दिन खेल नहीं होने वाला था. लोगों को अभी भी ये आशा थी कि बचा हुआ खेल अगले दिन होगा. चूंकि सारी आंखें अब अम्पायरों पर थीं, क्यूंकि मैच आगे बढ़ने से उन्होंने ही रोका हुआ था और वो फ़ैसला दे चुके थे, इसलिये वहां भी गहमागहमी का माहौल था. फिर ये बताया गया कि आईसीसी दिन के अंत में एक मीटिंग करेगी और डिसाइड करेगी कि मैच आगे बढ़ने वाला था या नहीं.
गेंद आईसीसी के पाले में
लेकिन फिर आनन-फानन में बनाये गए प्रेस कांफ्रे़ंस रूम में रात साढ़े 10 बजे आईसीसी, इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने एक प्रेस कांफ्रे़ंस की और कहा कि चूंकि पाकिस्तान ने मैदान में उतरने से मना कर दिया था, इसलिये इंग्लैंड को मैच का विजेता घोषित किया जा चुका था. और मैच वहीं ख़त्म हो चुका था.
तो इस तरह सीरीज़ का चौथा और आख़िरी टेस्ट एक दिन पहले ही अपने अंत से जा मिला. लेकिन कहानी अभी भी चल रही थी. ओवल का मैदान, जो सरे क्रिकेट क्लब का मैदान है, उसे चौथे दिन के दर्शकों के टिकट का 40% पैसा लौटना पड़ा. पांचवे दिन के 12 हज़ार टिकट बिक चुके थे. उन सभी टिकटों का पूरा पैसा लौटाया गया. सरे को लगभग 4 लाख पाउंड का फटका लगा. पाकिस्तान 3-0 से सीरीज़ हार चुका था. कप्तान होने के नाते इंज़माम-उल-हक़ पर बॉल टेम्परिंग के चार्जेज़ लग चुके थे. 28 सितम्बर को मैच रेफ़री रंजन मदुगले की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में इंज़माम को आरोपों से बरी कर दिया गया. हालांकि उस मैच के चारों अम्पायरों का उस दिन तक यही कहना था कि गेंद को देखकर यही लग रहा था कि उससे छेड़छाड़ की गयी थी. लेकिन आईसीसी पैनल के सामने गवाही देने आये ज्योफ़्री बॉयकॉट और साइमन ह्यूज़ ने यही कहा कि वो गेंद अच्छी कंडीशन में थी और उन्हें नहीं लगता था कि किसी ने उसके साथ छेड़छाड़ की थी.
मगर इस सुनवाई से पहले भी काफ़ी कुछ हो चुका था. मालूम पड़ा कि मैच के 5 दिन बाद अम्पायर डेरेल हेयर ने आईसीसी के अम्पायर मैनेजर डग कोवी को एक ईमेल लिखकर अपने समय से पहले रिटायरमेंट लेने के बदले में 5 लाख अमरीकी डॉलर मांगे थे. वो ईमेल लीक हो गया. इसके बाद डेरेल हेयर ने कहा कि आईसीसी ने ही उनसे लिखित ऑफ़र भेजने के लिए कहा था. आईसीसी ने ऐसी किसी भी बातचीत से इनकार कर दिया. इन सभी आरोप-प्रत्यारोपों का नतीजा ये निकला कि 4 नवम्बर 2006 को डेरेल हेयर को किसी भी आईसीसी के मैच में अम्पायरिंग करने से बैन कर दिया गया.
सबसे मज़ेदार बात ये है कि डेरेल हेयर के बैन की ख़बर आने के बाद पाकिस्तान के जावेद मिआंदाद, श्री लंका के अर्जुन रणतुंगा और बांग्लादेश के हबीबुल बशर, इन तीनों ने एक ही बात कही. इन्होंने डेरेल हेयर पर बैन को एकदम सही ठहराया और ये भी कहा कि डेरेल एशियाई टीमों के ख़िलाफ़ पक्षपातपूर्ण रवैया रखते थे.
इसके बाद डेरेल हेयर ने आईसीसी और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के ख़िलाफ़ अदालत का दरवाज़ा खटखटाने का ऐलान किया. उनके हिसाब से उनके साथ नस्लभेद किया जा रहा था क्यूंकि उस मैच में उनके साथी अम्पायर बिली डॉक्ट्रोव को कोई कुछ कह ही नहीं रहा था. हालांकि, बाद में, यानी अक्टूबर 2007 में डेरेल हेयर ने नस्लभेद का केस वापस ले लिया. उन्हें 6 महीने के लिये एक डेवेलपमेंट प्रोग्राम में रखा गया. फिर मार्च 2008 में उन्हें दोबारा एलीट अम्पायरिंग पैनेल में जगह दे दी गयी. उन्होंने 2 आधिकारिक टेस्ट मैचों में अम्पायरिंग भी की और फिर 22 अगस्त 2008 को उन्होंने आईसीसी को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया. ऑस्ट्रेलिया के मशहूर अंपायर डेरेल हेयर का 30 सितंबर को जन्मदिन होता है.