लखनऊ। लखनऊ में सिविल सर्विस (UPSC) की तैयारी कर रहे छात्र के सुसाइड मामले में पुलिस ने एक्शन लिया है. इस मामले में डीजीपी के आदेश पर तीन पुलिसकर्मियों समेत पांच के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है. दरअसल, मृतक छात्र ने मरने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें उसने तीन पुलिसकर्मियों और दो अन्य को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया था.
जिसके बाद साल 2018 में उन्होंने नंदू और उसके नौकर के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था. पुलिस वालों ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया. बल्कि, नंदू के कहने पर उल्टा महादेव के खिलाफ ही मामला दर्ज कर लिया. फिर मामले को रफा-दफा करने की एवज में पांच हजार रुपये की मांग करने लगे.
फर्जी केस से परेशान चल रहा था आशीष
लेकिन महादेव ने पैसे नहीं दिए. केस चलता रहा. फिर साल 2023 में नंदू विश्वकर्मा ने सीमेंट चोरी के इल्जाम लगाते हुए आशीष और मयंक के खिलाफ फर्जी मामला दर्ज करवा दिया. इसी को लेकर आशीष परेशान था. मां ने बताया कि उनका बेटा आशीष पढ़ने में काफी होशियार था. पुलिस उसे बार-बार परेशान कर रही थी. इस वजह से वह पढ़ाई भी नहीं कर पा रहा था.
उसे इस बात से काफी अपमानित महसूस हो रहा था. जिसके चलते रविवार शाम को उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया. काफी देर तक जब बेटे ने दरवाजा नहीं खोला तो हमें शक हुआ. हमने जैसे-तैसे दरवाजा तोड़ा तो कमरे में आशीष की लाश फंदे से लटकी मिली.
मृतक आशीष की मां ने रहीमाबाद थाने में सब इंस्पेक्टर राजमणि पाल और ललन पाल सहित कांस्टेबल मोहित शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज करवाया. उन्होंने नंदू विश्वकर्मा और श्यामलाल के खिलाफ भी मामला दर्ज करवाया. सुशीला देवी ने कहा कि यह सब इन दोनों के कारण ही हुआ है. क्योंकि इन लोगों ने झूठा केस दर्ज करवाया था. जिस कारण पुलिस हमें परेशान कर रही थी.
वहीं, पुलिस को जो सुसाइड नोट मिला है उसमें आशीष ने लिखा है ‘मेरी मौत के जिम्मेदार तीनों पुलिसकर्मी, नंदू विश्वकर्मा और श्यामलाल हैं. उन्होंने झूठा केस दर्ज करवाया और मुझे परेशान किया. इसलिए मैं सुसाइड करने जा रहा हूं.’