लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती को 23 जून को पटान में हुई विपक्षी दलों की बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। हालांकि, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री अपनी पार्टी के आधार को मजबूत करने के लिए जमीन पर सावधानीपूर्वक काम कर रही हैं। बीएसपी दलित, ओबीसी और पसमांदा मुसलमानों के उन मतदाताओं को वापस लुभाने की कोशिश कर रही है जो पिछले 10 वर्षों में सत्तारूढ़ भाजपा में चले गए हैं। भाजपा विरोधी मंच में शामिल नहीं होने के बावजूद उन्होंने फिलहाल विपक्षी मोर्चे से दूरी बनाए रखते हुए अपना हमला भाजपा पर केंद्रित कर रखा है।
मायावती ने दावा किया है कि उनकी पार्टी 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। सूत्रों ने कहा है कि बसपा अन्य विपक्षी दलों की चाल पर भी नजर रख रही है। चुनाव के करीब आने पर ही किसी भी गठबंधन पर अंतिम निर्णय ले सकती है।
पटना बैठक के दौरान कांग्रेस समेत 15 विपक्षी दलों ने 2024 के चुनाव के लिए बीजेपी के खिलाफ कार्ययोजना बनाने की कवायद शुरू कर दी है। बसपा सूत्रों ने कहा कि उसके नेताओं को अपने भाषणों में कांग्रेस के प्रति नरम रुख अपनाने का भी निर्देश दिया गया है।
पटना बैठक से कुछ दिन पहले अपने यूपी नेताओं के साथ बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में मायावती ने भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) पर हमला किया, लेकिन कांग्रेस पर कोई टिप्पणी नहीं की थी। बीएसपी के एक नेता ने कहा, ”नेताओं को अनौपचारिक रूप से सूचित किया गया है कि वे कांग्रेस पर कड़े शब्दों में हमला न करें। ऐसा लगता है कि पार्टी ने भविष्य के लिए गठबंधन का विकल्प खुला रखा है।”
बसपा के एक सांसद ने कहा, ”ऐसा प्रतीत होता है कि बसपा कांग्रेस के प्रति नरम रुख अपना रही है। कांग्रेस को 2024 में पार्टी के लिए एक अच्छा गठबंधन विकल्प माना जा सकता है।”
बीएसपी के यूपी अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा, ”चूंकि बहनजी ने इस मामले पर कुछ नहीं कहा है, इसलिए मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। हम उनके द्वारा दिए गए किसी भी दिशानिर्देश का पालन करेंगे।”
विपक्ष के 23 जून के सम्मेलन की पूर्व संध्या पर मायावती ने जदयू प्रमुख नीतीश कुमार द्वारा विपक्षी एकता के प्रयास की भी निंदा करते हुए कहा था, “दिल मिले ना मिले, हाथ मिलाते रहो।”