खिलाड़ी है, कभी रिटायर नही हो सकता, राजनीति के मैदान में दिखेगा दम या गुमनामी में खो जायेगा ये दमखम

उत्तर प्रदेश में सरकार जिसकी भी रही हो लेकिन अपने दमखम और कार्यप्रणाली के चलते नवनीत सहगल का नामऔर काम सुर्खियों में बना रहा है

लखनऊ। मायावती हों या अखिलेश और फिर चाहे योगी सरकार का शासन काल क्यों न हो, इस एक अधिकारी द्वारा सत्ता के शीर्ष पर अपनी पहचान को न सिर्फ बनाये रखा बल्कि अपनी कार्यशैली और प्रबंधन के हुनर से उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण परियोजनओं जैसे आगरा एक्सप्रेसवे, मेट्रो आदि को सफलतापूर्वक स्थापित करके एक कीर्तिमान भी बनाया है।
नवनीत सहगल का भले ही आज सरकारी कार्यालयों में आखिरी दिन हो लेकिन इस तरह के अधिकारी कभी रिटायर नहीं होते और इस उम्मीद को भी नकारा नहीं जा सकता कि नौकरशाह का चोला उतार कर बहुत जल्दी राजनीति के नए परिवेश को धारण कर अपनी उन्नत कार्यशैली से समाज की सेवा करते नजर आएंगे नवनीत सहगल।
बसपा, सपा या भाजपा की सरकार में जिस नौकरशाह की तूती बोलती थी उसका नाम।है नवनीत सहगल, अब सवाल ये हैं कि किस राजनीतिक दल का हाथ थामेंगे सहगल साहब या फिर गुमनामी की ज़िंदगी मे गुम हो जाएंगे सहगल जनाब।