फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी हासिल करने वाले होंगे बर्खास्त, होगी वसूली।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे बड़ा अनाज घोटाला कारित करके राज्य भण्डारण निगम के अफसरों ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है, भारतीय खाद्य निगम द्वारा जन सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत उपलब्ध करायी गयी सूचना से प्रमाण्ाित है कि वर्ष 2022-23 में रिकवरी की धनराशि 500 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ी है वहीं एक अन्य जिले की जांच रिर्पोर्ट में 4 करोड़ से अधिक के घोटाले का मामला सामने आया जो राज्य भंडारण निगम और भारतीय खाद्य निगम (उ.प्र.) के इतिहास में पहली बार हुआ है।
प्रबंध निदेशक आर. बी गुप्ता द्वारा घोटाले और भ्रष्टाचार के मामलों में नया कीतिमान बनाने के लिये अपात्रों के हाथों में भण्डारण निगम की कमान सौंप दी गयी है। भण्डारण निगम के सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद का दायित्व उप प्रबंधक के हाथों में सौंप कर वातावरण में चन्दन की महक से घोटालों की गंध को दबाने का काम चालू है। सचिव जैसे पद पर अपात्र की नियुक्ति से शासन की नीतियों में बोर्ड के माध्यम से परिवर्तन किया जा सकता है और हितकारी प्रस्ताव/वेतन अनुमोदन/प्रोन्नति को बोर्ड से पारित कराने की सोची समझी साजिश दिखायी देती है। आर. बी गुप्ता ने पदभार सम्भालते ही अपने चहेतों का फायदा पहुंचाने की नियत से निगम में कार्यरत वरिष्ठता सूची और अनुभवी कार्मिकों को नजरअंदाज करते हुये स्थापना, लीगल, आंडिट और बीमा जैसे अहम विभागों को राज्य विशेष अनुसंधान दल की जांच के दायरे में आये उप प्रबंधको के हाथों में देकर भण्डारण निगम में भ्रष्टाचार और घोटालों का नया पथ प्रशस्त किया है जिसके नतीजों में भ्रष्टाचार और घोटोलों का नया कीर्तीमान देखने को मिलेगा।
ऐसा नही है कि सिर्फ भण्डारण निगम में ही कुपात्रों पर मेहरबानी बरस रही हो, सहकारिता मंत्री और अपर मुख्य सचिव की उदारवादी नीतीयों के चलते अनेक कुपात्र सहकारी विभागों के महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत है। सहकारिता विभाग में वर्ष 2012 से 2017 के मध्य अलग-अलग 2324 पदों पर हुई भर्तियों में बड़े पैमाने पर धांधली की जाँच व नतीजों पर बुलडोज़र न चलना इसका मुख्य कारण है। फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र पर कार्यरत सुभाष चन्द्र पाण्डे को विभागीय उदारवादी नितीयांें के चलते क्षेत्रीय प्रबंधक के पद पर बैठा कर करोड़ों रुपये के ठेके को मनमाफिक तरीके से बंाटने की जानकारी मिलने के उपरांत भी प्रबंध निदेशक द्वारा फर्जी शैक्षिक शेक्षिक प्रमाण पत्र की जांच को विगत 4 वर्षों से दबाया गया है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर की कमान ऐसे भ्रष्ट अधिकारी के हाथें में सौंप दी गयी है जिसके श्ैक्षिक प्रमाणपत्र ही जाली है।
सहकारिता विभाग में विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने पुख्ता साक्ष्य जुटाने के बाद विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों में गड़बड़ी के मामले में अलग-अलग छह मुकदमे दर्ज किए गए थे लेकिन जांच के नाम पर फाइलें अटकी हैं जबकि ऐसे मामलों में दोषी कर्मचारी-अधिकारी को सीधे बर्खास्त करने का प्रावधान है। तत्कालीन प्रमुख सचिव सहकारिता श्री एम.वी.एस. रामी रेडडी द्वारा शासनादेश संख्या 479/49-2-2020-26(33)/2018 दिनांक 18 मार्च 2020 विषयक विशेष अनुसंधान दल (एस.आईटी) जांच से आच्छादित कार्मिको के स्थायीकरण/आमेलन/प्रोन्नति/विनियमितीकरण आदि की कार्यवाही शासन के अग्रिम आदेशों तक नही किये जाने के सबंध में जारी निदेर्शो का कड़ाई से अनुपालन किये जाने हेतु निर्देश जारी किये गये है परन्तु अनेक कुपात्रों को शासनादेश में वर्णित निर्देशों अनुपालन न करते हुये महत्वपूर्ण पदों पर प्रोन्नती दी जा रही है जबकि एसआइटी जांच मे उक्त भर्तियों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी और मनमानी की बात भी प्रमणित है और जाँच के परिणाम को विलम्ब किया जा रहा है जबकि माननीय सर्वाेच्च न्यायलय द्वारा अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि अवैध प्रमाण पत्र के आधार पर मिली नौकरी हर हाल में छीन ली जाएगी और आरोपी को नियोक्ता सीधे बर्खास्त भी कर सकता है।
उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य विशेष अनुसंधान दल, उ.्रप्र., लखनऊ द्वारा अभी हाल ही में उ.प्र. राज्य भण्डारण निगम लि. के 12 उप प्रबंधक, 12 प्राविधिक सहायक एवं 69 कनिष्ठ कार्यालय के पदों पर कार्यरत व्यक्तियों को मु.अ.सं. 20/2021 धारा 420/467/468/471/201/204/120बी भा.द.सं. के अंर्तगत कथन अंकित करने हेतु नोटिस जारी करते ही निगम में हड़कंप मच गया है। नौकरीयों पर मंडराते खतरे को भांप कर येन केन प्रकरेण अधिकारी और कर्मचारीगण अपनी अपनी जेबें भरने में लगे है और भण्डारण निगम के उच्च अधिकारी अपने ही बनाये हवामहल में आराम फरमा रहे है। एक अन्य मामले में फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र पर कार्यरत उप प्रबंधक को गोरखपुर का क्षेत्रीय प्रबंधक बनाया गया है और परिवहन हैंडलिग के अधिकतर ठेकों को एक ही फर्म को दिये जाने की शिकायतों पर प्रबंध निदेशक की चुप्पी इस बात का इशारा है कि योगी सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की नीतीयों का निगम पर कोई असर नही है। स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका के लिये नामचीन जिले झांसी की कमान अपात्र को सौप देने के बाद झांसी जिले में भ्रष्टाचार का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है लेकिन फर्जी तरीकों के काम का एक दिन अंत होना ही है और नौकरी के दौरान जितना वेतन व भत्ता लिया गया है, वह सब इन कार्मिकों से वसूला जाएगा। इसके साथ ही भर्तियों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी और मनमानी में जो-जो अधिकारी शामिल थे उन पर भी विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) की नोटिस जारी होने के बाद जल्दी कार्रवाई होने की सम्भावना दिख रही है। योगी जी ! अपात्रों के हाथों में भण्डारण निगम की सौंपी गयी बागडौर पर बुलडोजर कब चलेगा और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेन्स की नीतियों का असली जामा पहनाया जायेगा या नही ये एक बडी चुनौती के रुप में सहकारिता विभाग का भ्रष्टाचार चुनौती के रुप में खड़ा है।
डॉ. मोहम्मद कामरान
स्वतंत्र पत्रकार
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