नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन G-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आ रहे हैं. वे 7 सितंबर से 10 सितंबर तक यानी चार दिन नई दिल्ली में होने वाले समिट में हिस्सा लेंगे. राष्ट्रपति बाइडेन शिखर सम्मेलन में स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन, यूक्रेन में युद्ध के प्रभाव और विश्व बैंक समेत बहुपक्षीय विकास बैंकों की क्षमताओं को बढ़ावा देने जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे. राष्ट्रपति बाइडेन और G20 के नेता वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों पर भी बातचीत करेंगे. बाइडेन भारत दौरे पर आने वाले 8वें अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे. उनकी ये विजिट क्यों खास है? जानिए…
– जी20 साझेदार वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों पर चर्चा करेंगे, जिसमें स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना शामिल होगा.
– शिखर सम्मेलन से इतर नेताओं के साथ बाइडेन की बातचीत जलवायु परिवर्तन, यूक्रेन में रूस के युद्ध और अन्य वैश्विक चुनौतियों पर केंद्रित होगी. रूस के आर्थिक और सामाजिक प्रभावों को कम करने पर बात करेंगे.
– विश्व बैंक समेत बहुपक्षीय विकास बैंकों की क्षमताओं को बढ़ावा देने जैसे वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
बहुपक्षीय विकास बैंकों की क्षमता बढ़ाना शामिल है. विश्व बैंक, गरीबी से बेहतर ढंग से लड़ने और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों पर बात होगी.
– नई दिल्ली में रहते हुए राष्ट्रपति बाइडेन जी-20 के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना भी करेंगे और आर्थिक सहयोग के प्रमुख मंच के रूप में जी-20 के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता की पुष्टि करेंगे, जिसमें 2026 में इसकी मेजबानी भी शामिल है.
– इससे पहले जून 2023 में पीएम मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान बाइडेन ने कहा था कि वो सितंबर में नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन का इंतजार कर रहे हैं. बाइडन ने कहा था कि भारत और अमेरिका के संबंध 21वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण संबंध हैं. दोनों देश आज जो निर्णय लेंगे, वे आने वाली पीढ़ियों का भविष्य निर्धारित करेंगे.
जानिए क्यों खास है बाइडेन की ये विजिट…
जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार भारत दौरे पर आ रहे हैं. वे नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे और उनकी बातचीत भी होगी.
– दोनों देशों ने द्विपक्षीय वार्ता के जरिए साझेदारी की राह पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है. जून में पीएम मोदी ने अमेरिका के राजकीय दौरे पर कई अहम समझौते किए थे.
– अमेरिका की सरकार भी भारत दौरे को काफी अहमियत दे रही है. इस दौरान मोदी और बाइडेन के बीच डिफेंस डील, ट्रेड और साइबर सुरक्षा से जुड़े कुछ बड़े समझौते भी हो सकते हैं. अहम बात ये है कि अमेरिका जेट इंजन से लेकर अपने खतरनाक हथियारों की तकनीक भी भारत को ट्रांसफर करने वाला है.
– रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है. यूरोपीय देश रूस के खिलाफ मोर्चा खोले हैं और आर्थिक स्तर पर ब्रेक लगाने के लिए तमाम प्रतिबंध लगाए हैं. वहीं, रूस भी यूक्रेन युद्ध में बुरी तरह उलझ गया है. वो भारत की रक्षा जरूरतों को समय पर पूरा नहीं कर पा रहा है. उधर चीन का खतरा भारत ही नहीं, दुनिया के लिए लगातार बढ़ता जा रहा है. अमेरिकी की कोशिश है कि रूस को आर्थिक रूप से तोड़ा जाए. वहीं, भारत का प्रयास है कि रूस के साथ रिश्ते को बैलेंस बनाकर रखा जाए.
– कुछ सालों में अमेरिका के लिए चीन एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. चीन को लेकर माना जाता रहा है कि भविष्य में अमेरिका को चीन ही टक्कर दे सकता है. फिर चाहे बात मजबूत अर्थव्यवस्था की हो या फिर मजबूत सेना की. दोनों ही मामलों में चीन अब अमेरिका को टक्कर दे रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन से बिगड़ते रिश्ते ही अमेरिका को भारत के करीब ला रहे हैं. क्योंकि भारत का साथ लेकर अमेरिका, चीन को चुनौती दे सकता है. चीन भी यही मानता है.
– चीन के बढ़ते आक्रामक रुख पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका ने भारत को अपना रणनीतिक साझीदार बनाया है. अब वो उसकी ताकत और तकनीक को आगे बढ़ा रहा है. अमेरिका को भारत की ताकत का एहसास है और वो जानता है कि भारत को साथ लिए बिना वो चीन से नहीं निपट सकता है. लिहाजा, दोनों देशों के बीच उन सौदों पर ज्यादा फोकस रखा जा रहा है, जिनसे ना सिर्फ भारत की सामरिक ताकत बढ़ेगी, बल्कि देश में रोजगार बढ़ने की भी बड़ी उम्मीदें हैं.
– कोरोना महामारी और अन्य कारणों से पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का दौर है. जबकि भारत रिवाइवल की ओर है. इसके साथ ही दुनिया के लिए भारत बड़ा मार्केट बनकर भी उभरा है. भारत की आबादी 140 करोड़ से ज्यादा है. दुनिया की नजरों में ये एक बड़ा बाजार है. हर कोई अपना सामान भारत में बेचना चाहता है. भारत में मिडिल क्लास बढ़ रहा है. उसकी खर्च करने की क्षमता भी बढ़ रही है. अमेरिका समेत अन्य विकसित देशों की कोशिश है कि भारतीय मार्केट का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाया जाए और निवेश के जरिए संबंधों को मजबूती दी जाए.
– G20 की अगली समिट 2026 में अमेरिका में प्रस्तावित है. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति बाइडेन को जी-20 की अध्यक्षता सौंपेंगे.
– 2022-23 में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर रहा. दोनों देशों के बीच 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ. अमेरिका के साथ कारोबार करने में सिर्फ उसकी ही नहीं, बल्कि भारत की भी भलाई है.
– अमेरिका के साथ कारोबार करने में भारत का ट्रेड बैलेंस पॉजिटिव रहता है. वो इसलिए क्योंकि भारत, अमेरिका को बेचता ज्यादा है और वहां से खरीदता कम है. जबकि, चीन के साथ ऐसा नहीं है. क्योंकि भारत, चीन से खरीदता ज्यादा है और बेचता कम है.
– आजादी के बाद से ही भारत, अमेरिका के मुकाबले रूस के ज्यादा करीब रहा है. अमेरिका इस करीबी को और ज्यादा नहीं बढ़ने देना नहीं चाहता है. इसके लिए अमेरिका अब रूस वाला फॉर्मूला ही अपना रहा है. दरअसल, दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार भारत है. स्वीडिश संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की रिपोर्ट बताती है कि 2018 से 2022 के बीच भारत ने सबसे ज्यादा हथियार खरीदे हैं.
– सिप्री के मुताबिक, भारत को सबसे ज्यादा हथियार रूस से मिल रहे हैं. 2018 से 2022 के बीच भारत के हथियार आयात में रूस की हिस्सेदारी 45% रही. जबकि, दूसरे नंबर पर 29% हिस्सेदारी के साथ फ्रांस रहा. तीसरे नंबर पर अमेरिका है, जिसकी हिस्सेदारी 11% है.
– अमेरिका हथियारों के मामले में रूस की जगह लेना चाहता है. पर अब तक दिक्कत ये थी कि रूस की तरह अमेरिका टेक्नोलॉजी ट्रांसफर नहीं करता है. इतना ही नहीं, रूस के मुकाबले अमेरिकी हथियार कहीं ज्यादा महंगे होते हैं.
ड्वाइट डेविट आइजनहावर: आजादी के बाद भारत और अमेरिका के रिश्तों की शुरुआत साल दिसंबर 1959 में हुई थी. तब अमेरिकी राष्ट्रपति डी. आइजनहावर ने पहली बार भारत का दौरा किया था. वे चार दिन तक भारत में रहे थे. तब जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रधानमंत्री थे. इस दौरान आइजनहावर ने संसद भवन से संयुक्त सत्र को संबोधित किया था. आइजनहावर के सम्मान में 13 दिसंबर को रामलीला मैदान में भोज आयोजित किया गया था. वे आगरा का ताजमहल भी देखने पहुंचे थे. अमेरिका के 34वें राष्ट्रपति आइजनहावर 1953 से 1961 तक सत्ता में रहे. राजनीति में आने से पहले आइजनहावर दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान कमांडर थे.
रिचर्ड मिलहस निक्सन: 10 साल बाद यानी 1969 में अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भारत आए थे. वो सिर्फ 22 घंटे ही दिल्ली में ठहरे थे, उसके बाद लाहौर चले गए थे. तब भारत में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी और राजनीतिक तौर पर उठापठक चल रही थी. निक्सन, अमेरिका के 37वें राष्ट्रपति थे. उन्होंने खुद पर महाभियोग चलने से ठीक पहले इस्तीफा दे दिया था. निक्सन 1969 से लेकर 1974 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे थे. निक्सन के बारे में कुछ भारतीय ऐसा मानते थे कि 1971 में हुए युद्ध में निक्सन ने पाकिस्तान की मदद की थी. जुलाई 1969 में निक्सन के भारत आने पर एयरपोर्ट पर इंदिरा गांधी ने स्वागत किया था.
जिमी कार्टर: साल 1978 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर भारत दौरे पर आए थे. वे अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति थे. निक्सन के 9 साल बाद वो भारत आए थे. कार्टर जब भारत आए, तब देश में गैर कांग्रेसी मोरारजी देसाई की सरकार थी. जनता पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली थी और इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा था. कार्टर भारत में 3 दिन तक रुके थे.
विलियम जेफरसन क्लिंटन: 22 साल बाद यानी मार्च 2000 में बिल क्लिंटन के नाम से मशहूर अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत का दौरा किया था. क्लिंटन भारत में सबसे ज्यादा वक्त तक रुकने वाले राष्ट्रपति हैं. क्लिंटन करीब पांच दिन भारत में रुके. क्लिंटन के दौरे के वक्त भारत के राष्ट्रपति केआर नारायणन थे और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी. क्लिंटन ने संसद को संबोधित किया था और मुंबई, जयपुर, आगरा, हैदराबाद समेत अन्य शहरों का भ्रमण किया था.
जॉर्ज डब्ल्यू बुश: 6 साल बाद यानी 2006 में जॉर्ज डब्ल्यू बुश भारत आए थे. उन्होंने करीब 60 घंटे भारत में गुजारे. तब देश में मनमोहन सिंह की गठबंधन सरकार थी. भारत और अमेरिका के बीच असैनिक परमाणु करार हुआ था. बुश, भारत आने वाले पांचवे राष्ट्रपति थे. वे ऐसे वक्त में भारत आए थे, जब 9/11 आतंकी हमले के खिलाफ अमेरिका ने अफगानिस्तान में युद्ध छेड़ा हुआ था.
बराक ओबामा: 4 साल बाद यानी 2010 में बराक ओबामा अपनी पत्नी मिशेल ओबामा के साथ भारत आए. उसके बाद वह 2015 में भी भारत आए थे. बराक ओबामा छठे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने भारत का दौरा किया. उन्होंने संसद भवन को संबोधित किया था. ओबामा ने 26/11 आंतकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी थी. 5 साल बाद 2015 में मोदी के न्यौते पर राष्ट्रपति ओबामा गणतंत्र दिवस के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि भारत आए.
डोनाल्ड ट्रंप: 5 साल बाद यानी 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी भारत आए. वे दो दिन की यात्रा पर भारत पहुंचे थे. ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया, बेटी इंवाका और दामाद जारेज कुशनर के साथ आए थे. इस दौरान वे दिल्ली, आगरा और अहमदाबाद पहुंचे थे. ट्रंप ने अहमदाबाद में 22 किलोमीटर लंबे रोड शो में हिस्सा लिया था. साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी और नवनिर्मित मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक विशाल सभा ‘नमस्ते ट्रम्प’ को संबोधित किया था. अब तीन साल बाद सितंबर 2023 में जो बाइडेन आठवें प्रेसिडेंट के रूप में भारत दौरे पर पहुंच रहे हैं.
जानिए जी-20 के बारे में…
– भारत ने 1 दिसंबर, 2022 को इंडोनेशिया से G20 की अध्यक्षता ग्रहण की है. जी20 वैश्विक नेताओं का शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित होने वाला है. यह शिखर सम्मेलन भारत में वैश्विक नेताओं की सबसे बड़ी मीटिंग में से एक होने की उम्मीद है.
– समिट को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली सरकार और नगर निगम के सभी स्कूल और कार्यालय 8, 9 और 10 सितंबर को बंद रहेंगे.
– G20 समूह दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतरसरकारी मंच (intergovernmental forum) है. सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से ज्यादा और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं.
– जी- 20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक कुल 8 बार अमेरिकी यात्रा पर जा चुके हैं. हाल ही में वो 21 से 24 जून तक अमेरिका दौरे पर गए थे. ये उनकी पहली राजकीय यात्रा थी. अमेरिका ने यह सम्मान मोदी से पहले 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दिया था.