G20 के सफल आयोजन से पूरी दुनिया में भारत का डंका बजा है, लेकिन कॉन्ग्रेस और उसके नेता भारत का नाम धूमिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। कॉन्ग्रेस और उसके नेता सोशल मीडिया पर दावा कर रहे थे कि मोदी सरकार ने जी-20 के आयोजन के लिए आवंटित बजट से कई गुना ज्यादा पैसा खर्च कर दिया। कॉन्ग्रेस के लोग बाकायदा वीडियो और तस्वीरों के जरिए ये दावा कर रहे थे। इस प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे थे ‘इंडिया टुडे’ के पत्रकार राजदीप सरदेसाई, लेकिन उनका दाँव तब उल्टा पड़ गया, जब उन्होंने लाइव इंटरव्यू में इस फेक न्यूज के सहारे जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत को घेरने की कोशिश की।
लाइव शो में राजदीप सरदेसाई की बोलती हुई बंद
राजदीप सरदेसाई ने इंटरव्यू के दौरान उनसे सोशल मीडिया का हवाला देते हुए सवाल पूछा कि क्या ये दावा सही है कि भारत सरकार ने बजट से कई गुना ज्यादा पैसे जी-20 के आयोजन में खर्च कर दिए? उनके इस दावे को जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने इन दावों को फेक न्यूज बताया और राजदीप सरदेसाई को फेक न्यूज के चक्कर में न पड़ने की सलाह भी दी।
अमिताभ कांत ने बताया कि भारत सरकार ने जी-20 के आयोजन के लिए आबंटित पैसों में से कुछ हिस्सा बचा भी लिया है। उन्होंने कहा कि 4100 करोड़ छोड़िए, बल्कि जो बजट सरकार ने जारी किया था, उसमें से भी काफी पैसा बचा लिया गया है। इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे अमिताभ कांत ने फर्जी दावों की हवा निकाल दी और राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार की बोलती बंद कर दी। नीचे संलग्न किए गए वीडियो में आप 15 मिनट के बाद इस चर्चा को देख सकते हैं।
अमिताभ कांत ने कहा, “जो आँकड़े चलाए जा रहे हैं, उससे काफी कम बजट प्रस्तावित किया गया था। वास्तविक बात ये है कि जितना बजट अलॉट किया गया था, उससे कम ही खर्च किए गए हैं। अभी तक खर्च का कोई आधिकारिक आँकड़ा जारी नहीं किया गया है। अभी भी लॉजिस्टिक्स विभाग आँकड़ों को इकट्ठे करने में जुटी है। जब आँकड़े सार्वजनिक हो जाएँगे, तब सभी को पता चल जाएगा कि कितना खर्च हुआ है।”
पीआईबी ने भी किया फैक्ट चेक
फैक्ट चेक में कॉन्ग्रेसी दावे की धज्जियाँ उड़ चुकी हैं। जी हाँ, फैक्ट चेक में ये बात सामने आई है कि कॉन्ग्रेस पार्टी और उसके नेताओं की ओर से किया जा रहा दावा न सिर्फ भ्रामक है, बल्कि फैक्चुअली गलत भी है।
पीआईबी ने टीएमसी सांसद संकेत गोखले के ट्वीट को कोट करते हुए लिखा, “जिन ट्वीट्स में जी-20 के आवंटित बजट से 300 प्रतिशत ज्यादा खर्च की बात की जा रही है, वो दावे पूरी तरह से गलत हैं।” आगे लिखा गया है, “जिस राशि की बात हो रही है, तो आईटीपीओ और अन्य स्थाई निर्माण कार्यों पर खर्च किए गए हैं, न कि सिर्फ जी-20 समिट पर।”
A tweet claims Govt spent 300% more on #G20 than funds allocated in budget#PIBFactCheck
1 This claim is misleading
2 The quoted expenditure is majorly towards permanent asset creation by ITPO & other infrastructure development which is not limited to hosting G20 Summit alone pic.twitter.com/CRGkraJw3J
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) September 11, 2023
क्या दावा कर रही थी कॉन्ग्रेस?
कॉन्ग्रेस और उसके गठबंधन I.N.D.I. Alliance के नेता लगातार दावा कर रहे थे कि जी-20 के आयोजन में सरकार ने आबंटित बजट से 300 प्रतिशत ज्यादा पैसे खर्च किए हैं। टीएमसी के नेता और राज्यसभा सांसद संकेत गोखले ने दावा किया कि मोदी सरकार ने 990 करोड़ के आवंटित बजट की जगह जी-20 के आयोजन में 4100 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जो कि वास्तविक बजट से 3100 करोड़ यानी 300 प्रतिशत ज्यादा है।
कॉन्ग्रेस पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर लिखा, “G-20 के लिए- मोदी सरकार का बजट था 990 करोड़ रुपए। मोदी सरकार ने उड़ा दिए 4100 करोड़ रुपए। जनता की मेहनत की कमाई, अपनी छवि चमकाने में उड़ाई”
G-20 के लिए-
मोदी सरकार का बजट था 990 करोड़ रुपए
मोदी सरकार ने उड़ा दिए 4100 करोड़ रुपएजनता की मेहनत की कमाई
अपनी छवि चमकाने में उड़ाई pic.twitter.com/LuUWctJA0q— Congress (@INCIndia) September 11, 2023
भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन
बता दें कि जी-20 की अध्यक्षता भारत के पास है। भारत की अध्यक्षता में अलग-अलग मुद्दों पर बीते 10 माह में 58 शहरों में 200 से अधिक बैठकें हुईं। इन बैठकों का आयोजन कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु से लेकर गुजरात, मुंबई से लेकर उत्तराखंड तक किया गया। इसके अलावा देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार पर काफी खर्च किया गया। भारत सरकार ने दिल्ली के प्रगति मैदान में ‘भारत मंडपम’ नाम से बड़ा आयोजन स्थल भी बनाया, जिसका इस्तेमाल आने वाले कई दशकों तक अन्य कामों में किया जाएगा।
भारत की अध्यक्षता में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में सभी मुद्दों पर एक राय सभी देशों में बनी, जिसे नई दिल्ली घोषणापत्र नाम दिया गया है। पूरी दुनिया में भारत के आयोजन की तारीफ की गई, लेकिन भारत के कुछ विपक्षी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर भी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने से बाज नहीं आए। इसी क्रम में कभी उन्होंने इस आयोजन को भारत की जगह भाजपा का आयोजन बता दिया, तो किसी ने आवंटित बजट से कई गुना ज्यादा खर्च का आरोप लगाया। हालाँकि असलियत क्या है, ये सामने आ चुका है।