देवरिया हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने देवरिया का दौरा कर क्या सियासी गलती कर दी है? सियासी गणित के जानकारों का कहना है कि अखिलेश का यह ऐसा दांव है जो पूर्वी यूपी में उनके लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है. दरअसल अखिलेश अपने इस दौरे में मृतक प्रेमचंद यादव के परिवार के घर करीब एक घंटे तक रहे.अखिलेश ने सरकार के बुलडोजर एक्शन का विरोध किया और कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता ये होने नहीं देंगे.
अब अखिलेश पर यह आरोप लग रहा है कि पूर्वी यूपी में जमीन विवाद में कई हत्याएं हो चुकी हैं पर पीड़ित के यादव न होने के चलते अखिलेश ने कभी इधर का रुख नहीं किया.अखिलेश के ऊपर इस आरोप को धार दे रहे हैं देवरिया के बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी.जो हत्याकांड के दिन से ब्राह्मण पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने के लिए सक्रिय हैं. अखिलेश के इस दौरे से अगर पूर्वी यूपी में गैरयादव वोट एकजुट होते हैं तो आने वाले चुनावों में समाजवादी पार्टी के लिए बहुत मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.
1- प्रेमचंद यादव के घर पहुंचे सच्चिदानंद के घर क्यों नहीं?
फतेहपुर में हुए सामूहिक हत्या कांड के बाद 4अक्टूबर को देवरिया के पुरवां मुहल्ला में जमीन विवाद में घायल हुए लैब असिस्टैंट सच्चिदानंद चौहान की मृत्यु हो गई.बताया जाता है कि सच्चिदानंद चौहान की हत्या का आरोप समाजवादी पार्टी के ही एक नेता रामाशीष यादव पर लगा है. मारपीट के बाद दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे परिवारों पर मुकदमा दर्ज कराया था. फतेहपुर जैसी कोई अनहोनी न हो जाए इसके चलते दोनों पक्षों के घरों पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. स्थानीय लोग सवाल कर रहे हैं कि अखिलेश यादव को सिर्फ प्रेमचंद यादव का परिवार ही अनाथ होता दिख रहा है.
2- इन 14 लोगों की हत्या किसने की?
देवरिया सदर के बीजेपी एमएलए शलभ मणि त्रिपाठी इस हत्याकांड के बाद से लगातार सक्रिय हैं उन्होंने फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट लिखकर सवाल किया है कि इन 14 लोगों की हत्या किसने की? जिन 14 लोगों के नाम पोस्ट में गिनाए गए हैं उनमें सैंथवार, मल्ल, पंडित, दलित और अति पिछड़ी जातियों के लोग शामिल हैं. शलभ मणि त्रिपाठी पोस्ट में सीधे तो नहीं कहते हैं पर ऐसा लगता है कि समाजवादी पार्टी पर आरोप लगा रहे हों कि इन हत्याओं के पीछे समाजवादी पार्टी का हाथ है. वे 14 हत्याओं की जिक्र करके लिखते हैं- ‘देवरिया का बच्चा बच्चा जानता है कि ये जाति की नहीं इंसाफ की लड़ाई है. गरीब बनाम भूमाफ़िया की लड़ाई है. उस मानसिकता से जो गरीबों,बेबसों, पिछड़ों, दलितों, विधवाओं का हक़ लूटती है, उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़े करती है, हत्याएं कराती है, और इन कुकृत्यों पर जब कार्रवाई होती है तब शोर मचाती है. बवाल कराती है. जय देवरिया’.
3- पार्टी के पुराने रास्ते पर अखिलेश
सवाल ये उठता है कि क्या अखिलेश को यह पता नहीं था कि अगर यादव परिवार से मिलने जाएंगे तो दूसरी जातियों के लोगों में क्या संदेश जाएगा. अखिलेश यादव के एक समर्थक गौरव दूबे कहते हैं कि पूर्व सीएम ने कोई भेदभाव नहीं किया वो दोनों पीड़ितों के घर गए थे. पर क्या दोनों परिवारों के दर्द को बराबर आंका जा सकता है. बीजेपी विधायक शलभ मणि त्रिपाठी कहते हैं कि फतेहपुर में हर कोई जानता है कि कौन भूमाफिया था और कौन बेबस. अगर सब कुछ सही था तो समाजवादी पार्टी के लोग भूमि पैमाइश के विरोध में क्यों थे, समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर ये साबित किया कि वंचितों, बेबसों और कमजोरों की बजाए वह हर बार दबंगों के साथ ही खड़ी होगी.
उत्तर प्रदेश में यह सामान्य धारणा रही है कि समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में जमीन कब्जे बढ़ जाते रहे हैं, चौराहों- मुहल्लों पर गुंडागर्दी बढ़ जाती रही है. अपने पिता मुलायम सिंह यादव के जमाने में पार्टी की जो छवि गढ़ी गई उसे अखिलेश यादव लगातार मिटाने की कोशिश करते रहे हैं.लेकिन इस बार वो देवरिया का दौरा कर शायद फिर से अपने पिता के कदमों पर चलना चाहते हैं.
4- पूर्वी यूपी में बदलेगा सियासी गणित
पूर्वी यूपी में अति पिछड़ों के वोट की लड़ाई तेज हो रही है. इसके साथ ही पिछड़े तबके में नया नेतृत्व भी पैदा हुआ है. जो कभी नहीं चाहता कि उनके नेता अखिलेश यादव हों. अति पिछड़ों के नेता दारा सिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर हाल ही में समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं. निषादों के नेता संजय निषाद योगी मंत्रीमंडल की शोभा बढ़ा रहे हैं. अपना दल का एक गुट बीजेपी के साथ बहुत पहले से ही है बीजेपी के साथ हैं. ये सभी अति पिछड़े नेता समाजवादी पार्टी में यादवों के वर्चस्व के चलते ही पार्टी से दूर हुए. जाहिर है कि आने वाले दिनों में अति पिछड़े वोटों का ध्रुवीकरण होना तय है.