लखनऊ। रामपुर (एमपी-एमएलए) कोर्ट ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में बुधवार को समाजवादी पार्टी नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीम फातिमा एवं बेटे अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की सजा सुनाई है. समाजपार्टी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का आजम खान के परिवार को हुई सजा पर बड़ा बयान आया है. अखिलेश यादव ने कहा कि आजम खान दूसरे धर्म के हैं. इसलिए अन्याय हो रहा है. उनके खिलाफ षड्यंत्र एवं साजिश की गई है. उन्होंने कहा कि आजम खान मुस्लिम हैं, इसलिए इस तरह की सजा का सामना उन्हें करना पड़ा है.
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कोर्ट से आजम खान और उनके परिवार को हुई सजा को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि आजम का धर्म अलग है. इस कारण उनके साथ अन्याय किया जा रहा है. उनके खिलाफ षडयंत्र और साजिश की गई है, जिस कारण ही उन्हें सजा का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि आजम खान के साथ बड़ी साजिश हो रही है. साजिशन ये सब हो रहा है. आजम खान का धर्म दूसरा इसलिए अन्याय हो रहा है. उन्होंने यूनिवर्सिटी बना दी, इसलिए भी हो रहा अन्याय हो रहा है.
समाजवादी पार्टी प्रमुख ने सपा नेता की सजा को लेकर बीजेपी पर तीखी हमला बोला. उन्होंने कहा कि बीजेपी चाहती है कि कोई अच्छा काम न करे, जहां जाति की और धर्म की नफरत फैलानी है. फैलाएं, बस काम नही करें.
बता दें कि 3 जनवरी, 2019 को बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने रामपुर के गंज पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसमें बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि कि आजम खान एवं उनकी पत्नी ने अपने बेटे के दो फर्जी जन्मतिथि प्रमाणपत्र प्राप्त हासिल किए हैं.
दर्ज प्राथमिकी में आजम खान और उनकी पत्नी पर एक जन्म प्रमाणपत्र लखनऊ से और दूसरा रामपुर से प्राप्त करने का आरोप लगाया गया था.
बेटे को फर्जी जन्मतिथि मामले में मिली थी सजा
आरोप के अनुसार रामपुर नगर पालिका द्वारा जारी एक जन्म प्रमाणपत्र में, अब्दुल्ला आजम की जन्म की तारीख एक जनवरी, 1993 और दूसरे प्रमाणपत्र के अनुसार जन्म 30 सितंबर, 1990 में लखनऊ है.
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर स्वार निर्वाचन क्षेत्र से अब्दुल्ला आजम ने जीत हासिल की थी, लेकिन मुरादाबाद कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम को 2008 में दोषी ठहराया था और सजा दी थी.
उत्तर प्रदेश विधानसभा से दोषसिद्धि और सजा के दो दिन बाद अब्दुल्ला आजम को अयोग्य करार दिया गया. उसके बाद अब्दुल्ला आजम ने सजा पर रोक के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, लेकिन वह भी खारिज हो गई थी.