संसद के शीतकालीन सत्र में सोमवार को जोरदार हंगामा हुआ. हंगामे के चलते संसद के दोनों सदनों से 78 सासंदों को सस्पेंड कर दिया गया. इनमें से 33 लोकसभा और 45 राज्यसभा सांसद हैं.
जानकारी के मुताबिक, लोकसभा से जिन सांसदों को निलंबित किया गया है, उनमें से 30 संसद के पूरे शीतकालीन सत्र तक सस्पेंड रहेंगे. बाकी तीन- के. जयकुमार, विजय वसंत और अब्दुल खालिक को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक सस्पेंड किया गया है. इन तीनों पर स्पीकर के पोडियम पर चढ़कर नारेबाजी करने का आरोप है.
इसी तरह, राज्यसभा से जिन 45 सांसदों को आज सस्पेंड किया गया है, उनमें से 34 को पूरे सत्र और 11 को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित किया गया है.
अब तक दोनों सदनों से कुल 92 सांसदों को सस्पेंड किया जा चुका है. इनमें 13 लोकसभा और 46 राज्यसभा सांसद हैं.
सांसदों के निलंबन पर विपक्ष भी आक्रामक हो गया है. तृणमूल कांग्रेस ने तंज कसते हुए सोशल मीडिया X पर लिखा कि लोकसभा से सांसदों के निलंबन के बाद हम मान सकते हैं कि बीजेपी और गृहमंत्री अमित शाह कंफर्ट जोन में रह रहे हैं.
हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब इतनी बड़ी संख्या में सांसदों को निलंबित किया गया है. आंकड़े देखें तो पिछले 10 साल में लोकसभा और राज्यसभा के 154 सांसद निलंबित हो चुके हैं. इसमें उन सांसदों के नाम भी शामिल हैं, जिन्हें एक से ज्यादा बार सस्पेंड किया गया था.
जब एकबार में 63 सांसद हुए थे सस्पेंड
1989 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और कांग्रेस के पास प्रचंड बहुमत था, तब एकबार में 63 सांसदों को सस्पेंड किया गया था.
इन सभी सांसदों को एक हफ्ते के लिए संसद से निलंबित किया गया था. ये सांसद ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट पर हंगामा कर रहे थे.
ठक्कर कमीशन ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की जांच की थी. इसी पर हंगामा हुआ था. इन सांसदों के निलंबन के साथ ही चार और सांसदों ने भी वॉकआउट कर दिया था.
2013 में 12 सांसद हुए थे सस्पेंड
साल 2013 में लोकसभा की तत्कालीनी स्पीकर मीरा कुमार ने 12 सांसदों को पांच दिन के लिए सस्पेंड कर दिया था.
ये सांसद आंध्र प्रदेश से अलग कर तेलंगाना बनाए जाने का विरोध कर रहे थे. और इसे लेकर ही संसद में जमकर हंगामा हुआ था.
2012 में कांग्रेस के 8 सांसद निलंबित
2012 में तेलंगाना के मुद्दे पर ही हंगामा करने पर कांग्रेस के आठ सांसदों को निलंबित कर दिया था. ये सभी सांसद तेलंगाना क्षेत्र से थे और ये अलग तेलंगाना की मांग कर रहे थे.
जब राज्यसभा से हुए सांसद निलंबित
– 1962: तीन सितंबर 1962 को गोदे मुरहारी को संसद की पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था.
– 1966: 10 सिंतबर 1966 को भूपेश गुप्ता और गोदे मुरहारी को एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया था. उसी साल 25 जुलाई को भी राज नारायण और गोदे मुरहारी को एक हफ्ते के लिए निलंबित कर दिया गया था.
– 1971: 12 अगस्त 1971 को राज नारायण को संसद से निलंबित कर दिया गया था.
– 1974: 24 जुलाई 1974 को राज नारायण को संसद के पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया गया था.
– 26 जुलाई 2022: राज्यसभा के 19 सांसदों को संसद के पूरे सत्र से निलंबित कर दिया गया था. ये सांसद महंगाई और जरूरी चीजों पर जीएसटी लगाने की मांग को लेकर संसद में हंगामा कर रहे थे.
– 29 नवंबर 2021: राज्यसभा के 12 सांसदों को कदाचार, हिंसक और सुरक्षाकर्मियों पर जानबूझकर हमला करने के आरोप में संसद के पूरे सत्र से निलंबित कर दिया गया था.
– 21 सितंबर 2020: बीते दिन 20 सितंबर को संसद में अमर्यादित व्यवहार करने के आरोप में राज्यसभा के आठ सांसदों को 21 सितंबर को निलंबित कर दिया गया था.
– 5 मार्च 2020: लोकसभा से सात कांग्रेस सांसदों को संसद के पूरे बजट सत्र से सस्पेंड कर दिया था.
– नवंबर 2019: लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कांग्रेस के दो सांसदों को सस्पेंड कर दिया था.
– जनवरी 2019: तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने टीडीपी और एआईडीएमके के 45 सांसदों को हंगामा करने पर सस्पेंड कर दिया था.
– अगस्त 2015: लोकसभा से 25 कांग्रेस सांसदों को सदन में लगातार जानबूझकर बाधा डालने के आरोप में पांच दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था.
– 2 सितंबर 2014: नौ सांसदों को पांच दिन के लिए निलंबित किया गया.
– 23 अगस्त 2013: 12 सांसदों को पांच दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया था.
– 24 अप्रैल 2012: आठ सांसदों को चार दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था.
सांसदों के निलंबन के क्या हैं नियम?
अगर सभापति को लगता है कि कोई सदस्य सभापीठ के अधिकारों की उपेक्षा कर रहे हैं या फिर बार-बार और जानबूझकर कार्यवाही में बाधा डाल रहे हैं तो उस सदस्य को निलंबित कर सकते हैं.
सभापति उस सदस्य को एक निश्चित अवधि तक निलंबित कर सकते हैं. ये अवधि कुछ दिन या फिर पूरे सत्र पर लागू हो सकती है. सभापति किसी सदस्य को एक सत्र से ज्यादा निलंबित नहीं कर सकते.
राज्यसभा के रूल बुक के नियम 255 के तहत किसी सदस्य को एक दिन के लिए निलंबित किया जा सकता है. अगर कोई सदस्य कार्यवाही में बाधा पहुंचा रहा है या दुर्व्यवहार कर रहा है तो उसे नियम 255 के तहत उस दिन की कार्यवाही से निलंबित किया जा सकता है.
नियम 373 के तहत सांसद को एक दिन के लिए निलंबित किया जा सकता है तो वहीं नियम 374 के तहत एक निश्चित अवधि और पूरे सत्र के लिए निलंबित करने का अधिकार लोकसभा अध्यक्ष को रहता है.