लखनऊ। पीजीआई की जिस ओटी (ऑपरेशन थियेटर) में आग लगने से 2 मरीजों की मौत हो गई, उसमें कुछ डॉक्टरों पर संवेदनहीनता का आरोप भी लग रहा है। हादसे के करीब 10 मिनट बाद जब फायर ब्रिगेड के जवान ओटी में दाखिल हुए उस वक्त ऑपरेशन थिएटर स्थित ऑपरेशन टेबल पर महिला और नवजात बेहोश पड़े थे। सूत्रों के मुताबिक ऑपरेशन से पहले इन्हें बेहोशी का इंजेक्शन दिया गया था। इसी बीच आग लगते ही ओटी में मौजूद डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ अपनी जान बचाने के लिए उन्हें छोड़ चले गए। सूत्रों के मुताबिक फायर विभाग के जवानों ने दोनों को बाहर निकालकर डॉक्टरों के हवाले किया लेकिन तब तक दोनों की सांसें थम चुकी थीं।
फायर विभाग के अधिकारियों की मानें तो पीजीआई में आग लगने के बाद उनकी तरफ से 12 बजकर 58 मिनट पर आग लगने की सूचना दी गई। इसके सात मिनट बाद आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंच गई। हादसे के करीब 10 मिनट के भीतर फायर के जवान ओटी में घुसे और वहां फंसे हुए मरीजों को बाहर निकाला। मौके पर पीजीआई, आलमबाग और हजरतगंज फायर स्टेशन से गाड़ियां और कर्मचारी भेजे गए। इन कर्मचारियों के मुताबिक किसी के फंसे होने के बारे में पूछने पर डॉक्टरों ने सही जवाब नहीं दिया।
एक डॉक्टर ने कहा कि जिस डॉक्टर ने मरीज को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया है वही उसे बाहर निकाल लेंगे। इस बीच आग बढ़ती देख फायर विभाग के जवानों ने बिना डॉक्टरों का इंतजार किए खुद ही ओटी के भीतर घुसने का फैसला किया। इस दौरान रोके जाने पर फायरकर्मियों ने डॉक्टर को फटकार दिया। फायर मैन आकाश ठेनुवा और प्रशांत प्रताप सिंह ने बीए सेट पहना और ओटी में दाखिल हुए और ओटी के भीतर ऑपरेशन प्लेटफॉर्म पर बेहोश पड़ी तैय्यबा और नेहा की बेटी को बाहर निकाला हालांकि तब तक दोनों की सांसें थम चुकी थीं।
फोटो खींच रहे छायाकार से अभद्रता
सीढ़ी से चढ़कर फोटो जर्नलिस्ट पहली मंजिल पर पहुंच गया। अंदर की फोटो खींचते देख पीजीआई के कुछ जिम्मेदार अधिकारी वहां पहुंच गए। अपनी लापरवाही को उजागर होता देख उन्होंने फोटो जर्नलिस्ट को धमकाया। यहां तक की यह कहते हुए मुकदमा लिखाने की धमकी तक दे डाली की आप फायर के काम में दखल दे रहे हैं। इस दौरान वीडियो बनाते देख एक रिपोर्टर का फोन छीनकर फेंक दिया गया।
मीडियाकर्मियों पर दबाव बनाने के लिए पीजीआई प्रशासन ने ओटी के बाहर गेट पर 12 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात कर दिया। किसी को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं थी। आग बुझने के बाद भी किसी को अंदर जाने नहीं दिया गया।