क्या यूपी में बिछेगी सियासत की नई बिसात? राहुल और प्रियंका के सामने कांग्रेस नेता मायावती की करने लगे चर्चा

क्या यूपी में बिछेगी सियासत की नई बिसात? राहुल और प्रियंका के सामने कांग्रेस नेता मायावती की करने लगे चर्चापहले अमेठी से राहुल गांधी की हार. फिर तीन साल बाद यूपी चुनाव में दो सीटों पर सिमट जाना. कांग्रेस को भरोसा था कि प्रियंका गांधी यूपी में आंधी बन कर पार्टी का उद्धार करेंगी. पर लड़की हूं, लड़ सकती हूं का नारा भी फेल रहा. यूपी में कांग्रेस पार्टी कोमा में हैं. लोकसभा चुनाव सर पर है. पर पार्टी तय नहीं कर पा रही है कि बीजेपी से लड़ना है या फिर सहयोगी पार्टियों से. समाजवादी पार्टी के साथ ‘चिरकुट’ वाले झगड़े का अभी-अभी तो द एंड हुआ है. बिना जमीन के भी यूपी में कांग्रेस आसमान छू लेना चाहती है. चाह लेने और होने के बीच उसके लिए कुछ करने की न तो नीति है और न नीयत. ऐसे माहौल में महीनों बाद यूपी के कांग्रेस नेताओं का राहुल और प्रियंका गांधी से मिलना हुआ.

दिल्ली में कांग्रेस के हेडक्वार्टर में यूपी के पार्टी नेताओं की बैठक दो घंटे की थी. पर ये मीटिंग चली क़रीब साढ़े तीन घंटों तक. बैठक का एजेंडा तो लोकसभा चुनाव था. पर सबने अपने अपने मन की बात की. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के सामने पार्टी नेताओं ने खुल कर अपनी बातें रखी.इंडिया गठबंधन में कांग्रेस ने इस बार यूपी में अपने सहयोगी दलों समाजवादी पार्टी और आरएलडी के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया है. सीटों के बंटवारे पर अभी बातचीत शुरू नहीं हुई है.

अखिलेश यादव तो पहले ही 65 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं. कांग्रेस की मीटिंग से ये बात सामने आई कि वो भी 25 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है. यूपी में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं. यूपी में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बाद बीएसपी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है. बीएसपी न तो इंडिया गठबंधन में हैं और न ही एनडीए में.

आखिरी फैसला मायावती का ही होगा

मायावती कई बार कह चुकी हैं कि बीएसपी अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने को तैयार है. उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बना दिया है. सूत्रों की मानें तो आकाश आनंद और पार्टी के कई नेता गठबंधन करना चाहते हैं. पर आखिरी फैसला तो ‘बहिन जी’ का ही होगा. दिल्ली में हुई यूपी कांग्रेस के नेताओं की मीटिंग में बीएसपी से गठबंधन को लेकर लंबी चर्चा हुई.

इस चर्चा की शुरुआत पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने की. वे खुद फर्रुखाबाद से फिर लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं. इमरान प्रतापगढ़ी, इमरान मसूद, अजय राय से लेकर बैठक में मौजूद अधिकतर नेताओं ने एक जैसी बातें कहीं. सबकी राय यह थी कि बीएसपी से भी चुनावी गठबंधन हो. ऐसा होने से ही यूपी में बीजेपी को रोका जा सकता है.

कांग्रेस के अधिकतर नेता बीएसपी से गठबंधन के पक्ष में

पार्टी के एक पूर्व सांसद ने कहा कि मायावती का वोट हमारे साथ ट्रांसफर हो सकता है. पार्टी के एक और सीनियर लीडर ने कहा कि समाजवादी पार्टी के साथ जाने से गैर यादव पिछड़े वोट का नुकसान हो सकता है. कांग्रेस के एक राज्यसभा सांसद ने कहा कि यूपी के मुसलमान अब हमारी तरफ उम्मीदों से देख रहे हैं. उनकी प्राथमिकता समाजवादी पार्टी के बदले कांग्रेस हो रही है.

मीटिंग में मौजूद तीन नेताओं को छोड़ कर कांग्रेस के सभी नेताओं ने बीएसपी से गठबंधन की पैरवी की. पश्चिमी यूपी के एक बड़े नेता ने कहा कि मायावती के साथ जाने से हमारी कुछ सीटें कंफर्म हैं. राज्य सभा सांसद प्रमोद तिवारी, उनकी विधायक बेटी आराधना मिश्रा और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह की राय इस मुद्दे पर अलग रही.

प्रमोद तिवारी ने सपा से गठबंधन जरूरी बताया

इन तीनों नेताओं ने कहा कि अखिलेश यादव का अपना जनाधार है. इनके वोट बैंक के जुड़ने से कांग्रेस को चुनाव में फायदा हो सकता है. प्रमोद तिवारी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को पार्टी के लिए जरूरी बताया. इस पर राहुल गांधी ने उनसे कहा कि ‘फिर तो आपको प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ना चाहिए’. राहुल के इस जवाब से प्रमोद तिवारी हैरान रह गए. उन्होंने कहा कि मैं तो अभी राज्य सभा सांसद हूं, पर आप कहेंगे तो चुनाव लड़ेंगे.

राहुल गांधी ने अपने साथी नेताओं की बात ध्यान से सुनी. फिर उन्होंने कहा, ‘मायावती जी का तो कुछ पता नहीं है, वे क्या करेंगी’. राहुल गांधी ने कहा कि अभी हम समाजवादी पार्टी के साथ हैं और उनके साथ ही चुनाव में जाना है. इस दौरान प्रियंका गांधी खामोश रहीं.