जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक मुसीबत में फंसते जा रहे हैं. गुरुवार को सीबीआई ने सत्यपाल मलिक के घर और उनसे जुड़े 29 ठिकानों पर छापेमारी की. ये छापेमारी कीरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में की गई थी.
सीबीआई ने बताया कि जम्मू, श्रीनगर, दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई, बागपत, नोएडा, पटना, जयपुर, जोधपुर, बाड़मेर, नागपुर और चंडीगढ़ में छापेमारी की गई थी.
सीबीआई ने दावा किया है कि छापेमारी के दौरान कैश डिपॉजिट, एफडी में निवेश, अलग-अलग शहरों में प्रॉपर्टी में निवेश के साथ-साथ डिजिटल और डॉक्यूमेंट्री एविडेंस बरामद किए गए हैं.
जांच एजेंसी की एक टीम यूपी के बागपत में मलिक के पैतृक घर में गई थी. उनका पैतृक घर हिसावडा गांव में है. सीबीआई की टीम ने यहां जाकर गांव में उनकी संपत्तियों के बारे में जानकारी मांगी.
कहां-कहां हुई छापेमारी?
सीबीआई की टीम ने सत्यपाल मलिक के दिल्ली के आरके पुरम, द्वारका और एशियन गेम्स विलेज स्थित घर पर छापेमारी की. इसके साथ-साथ गुरुग्राम और बागपत में भी उनकी संपत्तियों पर छापा मारा.
बागपत में उनके पैतृक घर की भी तलाशी ली. सीबीआई ने उनके घर का दरवाजा खोला और वीडियोग्राफी की. रिश्तेदारों ने सीबीआई को बताया कि गांव में मलिक की और कोई संपत्ति नहीं है.
मलिक के अलावा सीबीआई ने चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) के पूर्व चेयरमैन नवीन कुमार चौधरी और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के अधिकारियों के ठिकानों पर भी छापा मारा.
पर ये छापेमारी क्यों?
ये पूरी छापेमारी चिनाब नदी पर बन रहे कीरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (HEP) में 2,200 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में हुई.
इस मामले में सीबीआई ने 22 अप्रैल 2022 को केस दर्ज किया था. आरोप है कि हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट से जुड़े 2,200 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट 2019 में एक प्राइवेट कंपनी को दिया गया. इस कॉन्ट्रैक्ट को देने में धांधली बरतने का आरोप है.
मामले में सीबीआई ने CVPPPL के पूर्व चेयरमैन नवीन चौधरी, एमएस बाबू, एमके मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के पूर्व अधिकारियों पर केस दर्ज किया था.
इसी कथित भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने इस साल जनवरी में पांच लोगों के ठिकानों पर भी तलाशी ली थी.
ये प्रोजेक्ट क्या है?
इस प्रोजेक्ट को चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट लिमिटेड (CVPPPL) नाम की कंपनी बना रही है. इस कंपनी में केंद्र सरकार की नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHPC) की 51% और जम्मू-कश्मीर की जम्मू-कश्मीर पावर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (JKSPDC) की 49% हिस्सेदारी है.
ये प्रोजेक्ट जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर बन रहा है. ये एक रन ऑफ रिवर प्रोजेक्ट है. यानी, नदी के पानी के बहाव की ऊर्जा का इस्तेमाल कर बिजली पैदा की जाएगी.
इसके तहत, चिनाब नदी पर एक बांध बनाया जा रहा है जिसकी ऊंचाई 135 मीटर है. चार पावरहाउस होंगे और हर एक से 156 मेगावॉट की बिजली पैदा की जाएगी. यानी, कुल मिलाकर 624 मेगावॉट बिजली.
इसका शिलान्यास फरवरी 2019 में किया गया था. इस प्रोजेक्ट की लागत 4,287 करोड़ रुपये है. 2025 तक इसे पूरा करने का टारगेट है.
करप्शन का क्या है मामला?
ये पूरा मामला टेंडर से जुड़ा हुआ है. 2019 में इस प्रोजेक्ट से जुड़े सिविल वर्क का कॉन्ट्रैक्ट पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को दिया गया. ये कॉन्ट्रैक्ट 2,200 करोड़ रुपये का था. दर्ज एफआईआर में आरोप है कि 2,200 करोड़ रुपये का ये टेंडर जारी करते वक्त गाइडलाइंस का पालन नहीं किया गया.
सत्यपाल मलिक कैसे फंसे?
सत्यपाल मलिक 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे थे. मलिक ने दावा किया था कि उन्हें दो फाइलें क्लियर करने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. इनमें से एक फाइल कीरू प्रोजेक्ट से जुड़ी थी.
सत्यपाल मलिक ने जब रिश्वत का ऑफर मिलने का दावा किया था, तब वो मेघालय के राज्यपाल थे. उनके दावे के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सीबीआई से इस प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग की थी.
ये पहले बार नहीं है, जब सत्यपाल मलिक और उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर सीबीआई ने छापा मारा है. पिछले साल मई में भी सीबीआई ने मलिक के मीडिया एडवाइजर रहे सुनक बाली के घर पर छापेमारी की थी.
गुरुवार की छापेमारी पर मलिक ने एक्स पर लिखा, ‘मैं 3-4 दिन से बीमार हूं और अस्पताल में भर्ती हूं. इसके बावजूद तानशाह सरकारी एजेंसियों के माध्यम से मेरे घर पर रेड डलवा रहे हैं. मेरे ड्राइवर और असिस्टेंट के घर भी छापा मारा गया और जबरन परेशान किया गया. मैं किसान का बेटा हूं. मैं इन सबसे नहीं डरूंगा. मैं किसानों के साथ हूं.’