नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में और उनके साथ नई सरकार में बतौर उप मुख्यमंत्री शामिल हुए सचिन पायलट ने सोमवार को पद की शपथ ली. शपथ ग्रहण समारोह में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शामिल हुईं, जहां बीजेपी नेत्री की मुलाकात अपने भतीजे व कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से हुई. इस मौके पर वसुंधरा ने राजनीतिक मतभेदों की सीमा को लांघते हुए ज्योतिरादित्य को स्नेहपूर्वक गले से लगा लिया. बुआ-भतीजे के मिलन की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी पसंद की जा रही है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कई अन्य विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में जयपुर के अल्बर्ट हॉल में दोनों नेताओं का शपथ ग्रहण कार्यक्रम हुआ. इस समारोह में शरीक होने पहुंचीं राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने गर्मजोशी से डिप्टी सीएम सचिन पायलट से मुलाकात की. इसके बाद बीजेपी नेत्री मंच पर मौजूद अपने भतीजे और कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को गले लगाया.
बता दें कि मध्य प्रदेश और राजस्थान की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले सिंधिया परिवार का ताल्लुक ग्वालियर रियासत के राजघराने से है. इस राजपरिवार की राजमाता विजयाराजे सिंधिया भारतीन जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य रह चुकी हैं. राजमाता के बेटे दिवंगत माधवराव सिंधिया कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री थे. अब माधवराव के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश की गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से मौजूदा सांसद हैं. केंद्र की मनमोहन सरकार में ज्योतिरादित्य केंद्रीय राज्य मंत्री भी रह चुके हैं.
वहीं, माधवराव की बहन यानी ज्योतिरादित्य की बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेत्री हैं. वहीं, दूसरी बुआ यशोधरा राजे सिंधिया एमपी की शिवपुरी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक हैं. वह शिवराज सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं.
उधर, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में भी बेहद चौंकाने वाली घटना दिखी. शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे. दिलचस्प बात यह है कि मंच पर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ पकड़कर उसे उठाते हुए दिखे. आमतौर पर राजनेता ऐसा एकता दिखाने के लिए करते हैं. माना जा रहा है कि शिवराज इस घटना के जरिए संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि विकास की यात्रा में वे सत्तापक्ष पर पूरा सहयोग करेंगे. मालूम हो कि इस बार का मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ की अगुवाई में लड़ा गया था.