जयपुर। राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस जोर-शोर से तैयारियों में जुट गई है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया जनता के बीच जाकर विकास कार्यों को बखान कर बीजेपी के लिए वोट मांग रही हैं. कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी की कमजोर कड़ियों को जनता के बीच उजागर करने में जुटी है. इसी कड़ी में कांग्रेस ने जयपुर और आसपास के इलाकों में बीजेपी के हथियार से ही उसपर पलटवार करने की रणनीति बनाई है. मंदिर शब्द आते ही जेहन में बीजेपी का नाम आता है. मंदिर के मुद्दे को अबतक बीजेपी के लोग ही उठाते रहे हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की तैयारी में है. दरअसल, जयपुर में मेट्रो रेल परियोजना के दूसरे चरण और अन्य विकास कार्यों के लिए कई मंदिर हटाए गए हैं. कांग्रेस इस बात को जयपुर और आसपास के इलाकों में बीजेपी के खिलाफ हथियार के रूप में आजमाने की तैयारी में है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जयपुर के एक हिंदूवादी संगठन ने हाल ही में यहां फिर से बनाए जा रहे एक मंदिर में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पूजा के बाद इसकी गंगाजल से शुद्धि की है. यह संगठन आने वाले चुनाव में मंदिर हटाए जाने को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहा है. कांग्रेस ने इस मुद्दे को लपक लिया है और इसे बीजेपी के खिलाफ प्रचारित कर रही है.
मालूम हो कि जयपुर के परकोटा क्षेत्र में भूमिगत मेट्रो ट्रेन परियोजना का काम चल रहा है. यह काम अपने अतिम चरण में है. इस परियोजना के लिए जयपुर के मुख्य बाजारों में बने करीब 18 प्राचीन मंदिर मौजूदा सरकार ने हटा दिए. इसके अलावा शहर में अन्य स्थानों पर भी विकास कार्यों के लिए मंदिर हटाए गए. यह मामला 2015 में एक बडा मुद्दा बना था और राष्ट्रीय स्ववंसेवक संघ और कई अन्य हिंदूवादी संगठनों ने इस मामले को लेकर जयपुर में आधे दिन का चक्का जाम किया था.
इन्हीं में से एक संगठन धरोहर बचाओ समिति लगातार इस मामले पर सरकार और स्थानीय भाजपा विधायकों का विरोध कर रही है. समिति के सदस्यों ने ही दो दिन पहले जयपुर में फिर से बनाए जा रहे रोजगारेश्वर महादेव मंदिर में गंगाजल छिड़क कर इसका शुद्धिकरण किया. मुख्यमंत्री राजे ने हाल ही में इस मंदिर में पूजा-अर्चना की थी. यह मंदिर भी उसी दौरान हटाया गया था. यह मंदिर जयपुर की स्थापना के समय का है और इसे लेकर जयपुर के लोगों में काफी आस्था भी है.
इस मंदिर को हटाए जाने के बाद ही हिंदूवादी संगठनों का गुस्सा फूटा था. जनता के रोष को देखते हुए सरकार ने यह मंदिर वापस उसी स्थान पर बनाने के निर्देश दिए और अब मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. धरोहर बचाओ समिति के संयोजक भारत शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री राजे ने इस मंदिर को निर्दयतापूर्वक हटवाया था और अब 15 अगस्त को उन्होंने इसी मंदिर में आकर पूजा-अर्चना की. यह एक तरह का पाखंड है. मंदिर हटाए जाने के मामले को कांग्रेस भी यहां राजनीतिक मुद्दा बना रही है.
इस मामले में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी का कहना है कि सार्वजनिक कामों और जनसुविधाओं के लिए कुछ निर्णय लिए जाते हैं. कोशिश जनता के अनुसार निर्णय लेने की होती है. ऐसे में कुछ का विरोध भी होता है, लेकिन इसमें सिवाय समझौते के कुछ नहीं हो सकता है.