अखिलेश के साथ मुलाकात के बाद बोले जंयत, ‘बात सीट की नहीं, आपसी भरोसे और विश्वास की है’

लखनऊ। यूपी में एसपी-बीएसपी गठबंधन के साथ रालोद के गठबंधन को लेकर बढ़ी हलचल के बीच राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच ये बैठक सकारात्मक रही. मुलाकात के बाद जंयत चौधरी ने कहा कि हमारी बातचीत सकारात्मक रही. पिछली बार जहां हमारी बातचीत खत्म हुई थी, उससे आगे की बातें हुईं. उन्होंने कहा कि अभी सीट शेयरिंग पर बात नहीं हुई है. इस मुलाकात के बाद उन्होंने साफ किया कि बात सीट की नहीं, आपसी भरोसे और विश्वास की है. कैराना उपचुनाव में हमने साथ मिलकर काम किया था, जिसे जनता ने पंसद किया.

आपको बता दें कि कि सपा-बसपा गठबंधन से पहले माना जा रहा था कि अजित सिंह की पार्टी राष्‍ट्रीय लोक दल (रालोद) को भी इसमें शामिल किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, रालोद गठबंधन में पांच-छह सीटें अपने लिए मांग रही थी, लेकिन इसके बावजूद जब मायावती और अखिलेश ने गठबंधन का ऐलान किया तो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्‍व के लिए दो सीटें छोड़ने के बाद 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा सपा-बसपा ने की. इस तरह बाकी दलों के लिए केवल दो सीटों की गुंजाइश गठबंधन ने छोड़ी. सूत्रों के मुताबिक, इस गठबंधन ने ये दो अन्‍य सीटें रालोद के लिए छोड़ी थीं लेकिन, रालोद इससे संतुष्‍ट नहीं है.

सूत्रों के मुताबिक, कैराना फॉर्मूले के तहत एक सीट रालोद को और दी जा सकती है. कैराना लोकसभा उपचुनाव के वक्‍त सपा और रालोद के बीच जो तालमेल हुआ था, उसके तहत कैराना में रालोद के चुनाव चिन्‍ह पर सपा के प्रत्‍याशी ने चुनाव लड़ा था. उसको ही कैराना फॉर्मूला कहा जाता है.

गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को मुंहमांगी सीटें न मिलने के बाद भी पार्टी के नेता नाउम्मीद नहीं हैं. पार्टी के नेताओं का कहना है कि अभी गठबंधन में शामिल नेताओं से बात की जाएगी और हमें हमारा वाजिब हक मिलेगा. रालोद के वरिष्ठ नेता मसूद अहमद कहा चुके हैं कि रालोद अभी भी गठबंधन में है, हमारे उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने कुछ दिनों पहले अखिलेश यादव से छह सीटों की मांग की थी, अभी हम नाउम्मीद नहीं है. हमारे नेता जयंत गठबंधन के नेताओं से बातचीत करेंगे और हमें हमारा हक मिलेगा. उन्होंने कहा कि एक हफ्ते में मामला साफ हो जाएगा और हमें उम्मीद है कि गठबंधन के नेता हमारी मांगों पर विचार करेंगे.

सूत्रों के मुताबिक, पिछले शनिवार (12 जनवरी) को गठबंधन की औपचारिक घोषणा के बाद दोनों दलों के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मायावती अगले एक सप्ताह में यह तय कर लेंगे कि कौन किस सीट पर चुनाव लड़ेगा. साथ ही दोनों दल साझा चुनाव अभियान की भी रूपरेखा जल्द तय कर लेंगे.

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