मेघायल खनन हादसा: गल चुके हैं श्रमिकों के शव, बचाव दल ने परिजनों से पूछा-क्या करना है?

नई दिल्ली। मेघालय खदान मामले में गुरुवार को बुरी खबर आई. बचाव अभियान में लगी टीम ने 3 मजदूरों के परिजनों को हादसा स्थल पर बुलाया और उन्हें आरओवी (रिमोटली ऑपरेटेड अंडरवाटर व्हीकल) से प्राप्त तस्वीरें दिखाईं. टीम ने इससे जुड़ी जानकारी भी दी. ऑपरेशन के डिप्टी कमिश्नर ने लुमथारी और चिरांग जिले से आए परिजनों को बताया कि खदान में मृत मजदूरों के शव लगभग गल चुके हैं और उन्हें बाहर निकाला गया तो क्षत-विक्षत हो जाएंगे. बचाव दल ने परिजनों से सुझाव मांगा कि आगे क्या करना है. मृतक मजदूरों के परिजन इस पर शुक्रवार को अपनी राय देंगे.

मेघालय के पूर्व जैंतिया हिल्स में पानी से भरे कोयला खदान में दिसंबर में 15 खनिक फंस गए थे जिन्हें सुरक्षित निकालने की कोशिशें अब भी जारी हैं लेकिन अब उनकी मौत की खबरें आ रही हैं. बचाव में लगे अधिकारियों ने पहले ही कह दिया था कि फंसे मजदूरों के जिंदा बचने की संभावना बहुत कम है.

जैसा कि पूर्व जैंतिया हिल्स के जिला पुलिस प्रमुख सिलवेस्टर नौंगटन्गर ने बताया, “खदान से शवों को अभी बरामद किया जाना बाकी है.” बचाव कार्य में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल को लगाया गया है. गौरतलब है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने 17 अप्रैल, 2014 से मेघालय में अवैध कोयला खनन पर अंतरिम रोक लगा दी थी. इसके बावजूद इस खदान में खनन का काम चल रहा था.

ऐसी खबरें आई थीं कि प्रतिबंध के बावजूद मजदूरों ने तीन-चार दिन पहले फिर से खनन शुरू किया था. बाद में फंसे लोगों को बचाने की मुहिम तेज कर दी गई. बड़ी क्षमता के पंप की मदद से खदान से पानी बाहर निकाला गया लेकिन पानी का स्तर कम नहीं हुआ.

भारतीय नौसेना के 15 गोताखोरों और ओडिशा के दमकल विभाग के 21 कर्मियों का एक दल बचाव में लगा है. जिला प्रशासन भी इस काम में लगा था लेकिन 24 दिसंबर से कोयला खदान से पानी बाहर निकालना अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया क्योंकि लगातार अभियान चालू रहने से 25 हॉर्सपॉवर के दो पंप कारगर नहीं हो पाए.

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ANI

@ANI

Meghalaya Coal Mine rescue: Dy Comm. today invited families of 3 miners from Lumthari&2 miners from Chirang Dist. to view video provided by the ROV, informed them that the body had decomposed&their retrieval will lead to total disintegration.Families to give views on it tomorrow.

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एनडीआरएफ की एक बचाव टीम ने कोयला खदान के मेन शाफ्ट में काफी खोजबीन की, फिर भी किसी खनिक का पता नहीं लग सका. खदान 370 फुट की है. बारिश के कारण इसमें लाखों गैलन पानी भर गया है. पीड़ितों को बचाने के लिए पंप बनाने वाली दिग्गज कंपनी किर्लोस्कर आगे आई और 10 हॉर्स पावर वाले पंप घटनास्थल भेजे हैं.

हाल में पानी का स्तर 1.4 फुट कम गया था लेकिन बाद में फिर बढ़ गया. समस्या से निबटने के लिए दमकल विभाग ने एक और पंप चलाया ताकि पानी निकालने के काम में तेजी आए. जिस जगह पर यह घटना हुई है वह कसान गांव शिलांग की राजधानी से 130 किलोमीटर दूर है. बचाव अभियान में बचाव दल के 200 से अधिक कर्मचीर जुटे हुए हैं. बाद में नेवी को भी लगाया गया. नेवी ने आरओवी जैसे अत्याधुनिक उपकरण लगाए हैं. इससे पल-पल की जानकारी मिल रही है जिसकी सूचना खनिकों के परिजनों को दी जा रही है.

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