कोर्ट का वह आदेश जिसके आधार पर ममता की पुलिस ने CBI को दबोच लिया!

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में पुलिस कमिश्नर के घर सीबीआई टीम द्वारा रेड की कोशिश पर तकरार पैदा हो गया है. शारदा चिट फंड केस में पुलिस के खिलाफ सीबीआई एक्शन को मोदी सरकार की तानाशाही करार देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धरने पर बैठ गई हैं. इस बीच हमें कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश की जानकारी मिली है, जिसके आधार ममता बनर्जी सरकार, तृणमूल कांग्रेस और बंगाल पुलिस सीबीआई कार्रवाई का विरोध करने का दावा कर रही है.

हाई कोर्ट के इस आदेश में कहा गया है कि जो नोटिस जारी किए गए हैं, वो कानून सम्मत नहीं हैं. इसी आदेश के आधार पर टीएमसी कह रही है कि जिस तरह पुलिस अफसर कलकत्ता हाई कोर्ट में पहुंचे थे, सीबीआई अफसरों को भी पहले कोर्ट का रुख करना चाहिए थे. टीएमसी के इस दावे को कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी तफ्सील से समझाया है.

कांग्रेस नेता और वकील ने बताया क्या है आदेश

वरिष्ठ वकील और कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाई कोर्ट का आदेश बताते हुए सीबीआई के एक्शन को गलत ठहराया है. उन्होंने बताया कि इस केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि अगर प्रदेश की पुलिस को सीबीआई की पूछताछ पर कोई आपत्ति है तो वह कलकत्ता हाई कोर्ट जा सकते हैं. सिंघवी ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद ही बंगाल पुलिस के अफसर कलकत्ता हाई कोर्ट पहुंचे, जहां से उन्हें आतंरिक सुरक्षा मिल गई.

अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि कलकत्ता हाई कोर्ट का यह आदेश अभी तक चल रहा है. सीबीआई की टीम कैसे राजीव कुमार के घर पहुंच गई, इस पर सफाई देते हुए सिंघवी ने कहा कि अगर सीबीआई टीम को ऐसा करना था तो पहले कलकत्ता हाई कोर्ट से स्पष्टीकरण या संशोधित आदेश लेना था. लेकिन सीबीआई ने ऐसा नहीं किया.

अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि सीबीआई का यह एक्शन न सिर्फ गलत है, बल्कि कोर्ट की अवमानना भी है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि खुद राजीव कुमार इस मसले पर हाई कोर्ट नहीं पहुंचे थे, लेकिन उनके साथ काम करने वाले अफसरों ने हाई कोर्ट में अपील की थी. सिंघवी ने यह भी बताया कि राजीव कुमार कोई आरोपी या अभियुक्त नहीं हैं, उन्हें सिर्फ गवाह के तौर पर नोटिस गया है.

सीबीआई का दावा

सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने बताया है कि इस केस में राज्य सरकार ने राजीव कुमार की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई जांच में पाया गया कि SIT ने कई सबूत जब्त किए थे, लेकिन ये सबूत सीबीआई टीम को नहीं दिए गए. उन्होंने दावा किया कि सीबीआई ने राजीव कुमार और पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी किया था, लेकिन किसी ने जांच में सहयोग नहीं किया. इसके बाद जब कोई रास्ता नहीं बचा तो सीबीआई ने पूछताछ की कार्रवाई शुरू की. हालांकि, टीएमसी सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि राजीव कुमार स्वयं सीबीआई को पत्र लिखकर पूछताछ के लिए कह चुके हैं.

वहीं, रविवार को जब यह घटनाक्रम हुआ तो उसके बाद बंगाल पुलिस ने बताया कि सीबीआई अफसरों ने एक गोपनीय अभियान पर होने की बात बताई और उनके पास संतोषजनक दस्तावेज नहीं थे. हालांकि, सीबीआई टीम कानून के दायरे में पूछताछ के लिए जाने का दावा कर रही है. बहरहाल, पुलिस और सीबीआई की यह जंग सियासी मोड़ लेते हुए अब सुप्रीम कोर्ट के दर तक पहुंच रही है.

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