अनिल अंबानी को गलत तरीके से दिया था फेवर, SC ने दो कोर्ट स्‍टाफ को नौकरी से निकाला

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना से जुड़े मामले में अनिल अंबानी को ग़लत तरीक़े फेवर करने वाले दो कोर्ट स्टाफ (असिस्टेंट रजिस्ट्रार) को नौकरी से निकाल दिया गया है. इन्होंने आर्डरशीट टाइप करने में अंबानी को सुप्रीम कोर्ट में पेशी से छूट दे दी थी जबकि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर में अनिल अंबानी को पेशी से छूट नहीं दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को दिए अपने इस आदेश में अंबानी को 12 फरवरी को कोर्ट में पेश होने को कहा था लेकिन कोर्ट का ऑर्डर जब सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर पब्लिक डोमेन में आया तो उसमें अंबानी की पेशी की बात को हटा दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में जब ये मामला आया तो मामले की जांच कराई गई और दो कोर्ट स्टाफ इसके लिए दोषी पाए गए जिसके बाद चीफ जस्टिस के आदेश पर इन दोनों स्टाफ को तुरंत प्रभाव से नौकरी से निकाल दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट में असिस्‍टेंट रजिस्‍ट्रार एवं कोर्ट मास्टर मानव शर्मा और तपन कुमार चक्रवर्ती पर सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 311 के तहत कार्रवाई की है. कोर्ट मास्टर की ओपन कोर्ट और जजों के चैंबर्स में दिए गए सभी फैसलों को लिखने में भूमिका होती है.

अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ एरिक्सन की अवमानना याचिका पर सुनवाई पूरी
उल्‍लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लि के चेयरमैन अनिल अंबानी और दो अन्य के खिलाफ 550 करोड़ रूपए की बकाया राशि का भुगतान नहीं करने के कारण उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिये एरिक्सन इंडिया की याचिका पर बुधवार को सुनवाई पूरी कर ली. न्यायालय इस पर बाद में फैसला सुनायेगा.

न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति विनीत शरण की पीठ ने संबंधित पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा. इस मामले की सुनवाई के दौरान एरिक्सन इंडिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश की जानबूझ कर अवज्ञा की गयी है और इसके लिेये उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए.

आरकाम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि इसमें अवमानना कार्रवाई का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि शीर्ष अदालत के किसी आदेश का उल्लंघन नहीं किया गया है. अनिल अंबानी, रिलायंस टेलीकाम लि के चेयरमैन सतीश सेठ और रिलायंस इंफ्राटेल लि की चेयरपर्सन छाया विरानी इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय में मौजूद थे.

न्यायालय ने पिछले साल 23 अक्टूबर को आरकाम से कहा था कि वह 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि का भुगतान करे और ऐसा नहीं करने पर उसे 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज भी देना होगा. एरिक्सन ने अनिल अंबानी और दो अन्य के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुये याचिका में दावा किया कि उन्होंने 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है.

इससे पहले, मंगलवार को दवे ने शीर्ष अदालत से कहा था कि रिलायंस ने कई बार न्यायालय की अवमानना की है और उन्होंने खुद में बदलाव नहीं किया है. उन्होंने कहा था कि आरकाम ने शीर्ष अदालत के दो आदेशों का उल्लंघन किया है ओर यहां तक कि शपथ के तहत सूचना छिपाते हुये गलत जानकारी दी.

रोहतगी ने कहा कि संचार कंपनी की 25,000 करोड़ रूपए की संपत्ति रिलायंस जियो को बेचने का सौदा विफल हो गया और अब वे दिवालिया स्थिति में हैं. दवे ने दावा किया कि बंबई स्टाक एक्सचेंज में दाखिल दस्तावेज में रिलायंस ने दावा किया है कि उसे हाल ही में रिलायंस जियो सहित अलग अलग कंपनियों को बेचने से तीन हजार करोड़ रूपए और दो हजार करोड़ रूपए मिले हैं. रोहतगी ने कहा कि यह रकम रिलायंस को नहीं मिली है. आरकाम ने सात जनवरी को कहा था कि वह धन लौटाने के प्रति अपनी इच्छा स्पष्ट करने के लिये 118 करोड़ रूपए के दो डिमांड ड्राफ्ट शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा करेगा और शेष राशि भी कुछ समय में अदा कर देगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *