नई दिल्ली। लोकसभा के चुनावी समर में उतरते ही राहुल-प्रियंका की पार्टी कांग्रेस को झटके लगने लगे हैं। पहले गुजरात में भागमभाग मची, उसके बाद महाराष्ट्र में नेता साथ छोड़ रहे हैं तो वहीं सहयोगी दल आंख दिखा रहे हैं। साफ-साफ कह रहे हैं कि मनमाफिक सीटें दो वरना साथ छोड़ो। मंगलवार को गांधी की धरती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ से जब प्रियंका गांधी मंच पर बोलने के लिए खड़ी हुई तब लाखों की भीड़ में इंदिरा इंदिरा के नारे गूंजे। जब पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी लोगों को हुक्मरान से अलर्ट करवा रही थी ठीक उसी वक्त महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक कांग्रेस की जमीन खिसक रही थी।
प्रियंका गांधी और उनके भाई की पुश्तैनी पार्टी को लगातार एक के बाद एक ताबड़तोड़ चार हाईवोल्टेज सियासी झटके लग रहे थे। पहला झटका महाराष्ट्र में सुजय पाटिल ने दिया, दूसरा झटका प्रकाश अम्बेडकर के ऐलान से लगा, कांग्रेस को तीसरा झटका राजू शेट्टी ने दिया और जो रही सही कसर बची थी उसे मायावती ने पूरी कर दी। मायावती ने कह दिया कि सिर्फ यूपी ही नहीं कहीं भी कांग्रेस के साथ वो गठबंधन नहीं कर रहीं हैं।
गुजरात कांग्रेस से शुरू हुआ भागमभाग महाराष्ट्र कांग्रेस के बड़े नेताओं तक जा पहुंचा। महाराष्ट्र में कांग्रेस के कद्दावर नेता और असेंबली में विरोधी दल के लीडर राधाकृष्ण विखे पाटिल के बेटे सुजय पाटिल बीजेपी में शामिल हो गए। सुजय अहमदनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
तस्वीर साफ है, कांग्रेस के अपने भी अब पराए हो रहे हैं। ऐसे में जब राहुल गांधी 2019 को विचारधारा की जंग बता रहे हैं, जनता को एक तरफ नफरत तो दूसरी तरफ महात्मा और अंबेडकर की विचारधारा समझा रहे थे तब अंबेडकर के पोते प्रकाश अम्बेडकर ने ऐलान कर दिया कि उनकी पार्टी बहुजन महासंघ कांग्रेस-NCP गठबंधन में शामिल नहीं होगी। बहुजन महासंघ महाराष्ट्र की सभी 48 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
इन भागमभाग के बीच मंगलवार को कांग्रेस के लिए राहत की एक खबर आई। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हो गए और नाराज अल्पेश ठाकोर भी गांधी परिवार के करीब दिखे लेकिन चुनाव के ऐलान के तीन दिन के अंदर जिस तरह से कांग्रेस के नेता और सहयोगी छिटक रहे हैं उससे मोदी के विजयी रथ को रोकने की पहाड़ जैसी चुनौती को पार पाना देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए मुश्किल हो सकता है।