क्यों केरल में ‘पाकिस्तानी झंडा’ दिखने की खब़रों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना चाहिए

नई दिल्ली। हाल में केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैली में कथित रूप से ‘पाकिस्तानी झंडे’ लहराए जाने का मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है. फ़र्ज़ी ख़बरों का भंडाफोड़ करने वाली कई वेबसाइटों ने इसका सच बता दिया है. हालांकि राजनीतिक ख़बरों और भारत-पाकिस्तान मामलों की ठीकठाक जानकारी रखने वाला कोई भी शख़्स बता सकता है कि रैली में लहराया गया झंडा पाकिस्तान का नहीं है. बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि दरअसल यह झंडा केरल के प्रमुख राजनीतिक दल इंडियन यूनियम मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) का है.

सत्याग्रह ने भी इस बारे में कुछ जांच-पड़ताल की जिसका निष्कर्ष यह निकला कि सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी झंडे लहराए जाने से जुड़ी ख़बरों को तुरंत गंभीरता से नहीं लेना चाहिए, विशेष रूप से अगर वह ख़बर केरल के संदर्भ में हो. इसके दो प्रमुख कारण हैं. एक यह कि केरल में किसी भी स्तर के चुनाव से ठीक पहले ‘पाकिस्तानी झंडे’ दिखने लगते हैं और ग़ैर-दक्षिणपंथी राजनीतिक दलों को ‘इस्लाम-पाकिस्तान समर्थक’ बताया जाने लगता है.

लेकिन तस्वीर में इमारत के ऊपरी हिस्से के बाईं तरफ़ सीढ़ी का डिज़ाइन बना हुआ है जो असल में आईयूएमएल का चुनाव चिह्न है. इससे साफ़ हो जाता है कि इस इमारत का कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है. वहीं, इमारत पर लिखी मलयालम का क्या मतलब है यह जानने के लिए हमने केरल के रहने वाले रजत थॉमस से बातचीत की. हमने पूछा कि इमारत पर लिखे शब्दों को हिंदी में क्या कहेंगे. उन्होंने बताया, ‘दाईं तरफ़ मोईदू हाजी (मोहम्मद हाजी) लिखा है. बीच में स्मारक सौदम (मेमोरियल हाउस) और बाईं तरफ़ इक़बाल नगर, लीग हाउस लिखा है. मतलब इमारत का नाम लीग हाउस है.’

वहीं, ऑल्ट न्यूज़ ने इमारत पर लगे पोस्टर पर छपी तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति को सैयद मोहम्मद अली शिहाब बताया है जो केरल में आईयूएमएल की राज्य समिति के अध्यक्ष रहे थे. साल 2009 में उनका निधन हो गया था. यह भी बता दें कि वायनाड केरल का एक ज़िला है, जबकि इक़बाल नगर तिरुवनंतपुरम ज़िले के तहत आता है.

केरल के संदर्भ में इस तरह की पोस्टों पर यक़ीन न करने की दूसरी वजह यहां चुनाव से ऐन पहले ‘पाकिस्तानी झंडे’ दिखने का इतिहास है. 2016 में केरल विधानसभा चुनावों से कुछ दिन पहले एक आईयूएमएल विधायक की कार की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. कार के बोनट के ठीक आगे आईयूएमएल का झंडा लगा हुआ था. तब यह दावा किया गया कि ‘केरल पाकिस्तान बनता जा रहा है’ जहां मुस्लिम समुदाय का पक्ष का रखने वाली आईयूएमएल के विधायक खुलेआम ‘पाकिस्तानी झंडा’ अपनी कार पर लगाए हुए हैं और मीडिया और केरल सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

उस समय नवभारतटाइम्स डॉट कॉम ने अपनी एक रिपोर्ट इस झूठ का सच बताया था. साथ ही, केरल में पाकिस्तानी झंडे दिखने को क्यों गंभीरता नहीं लेना चाहिए, इसकी वजह भी उस रिपोर्ट में बताई गई थी.

दरअसल केरल को लेकर इस तरह की अफ़वाहबाज़ी करना सांप्रदायिक राजनीति का हिस्सा है. 2011 की जनगणना के मुताबिक़ यहां हिंदुओं की आबादी क़रीब 55 प्रतिशत हैं, जबकि मुस्लिम 26 प्रतिशत से ज़्यादा हैं. 18 प्रतिशत ईसाई हैं और बाक़ी आबादी में अन्य समुदाय आते हैं. यानी बहुसंख्यक आबादी के साथ अल्पसंख्यक भी अच्छी ख़ासी तादाद (44 प्रतिशत) में हैं. यह प्रमुख कारण है कि भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी दल केरल के हवाले से मुसलमानों की बढ़ती आबादी को हिंदुओं के लिए ख़तरा बताते हैं. हाल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि ‘मुस्लिम लीग एक संक्रमण है’. फिर आईयूएमएल के झंडे से अनजान लोग उसे पहली नज़र में पाकिस्तान का झंडे ही समझेंगे. इस आधार पर यह कहना ग़लत नहीं होगा कि भविष्य में इस तरह की ख़बरें बार-बार उड़ाई जा सकती हैं, जिन्हें जल्दी गंभीरता से नहीं लेना चाहिए.

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