पिता की विरासत नहीं संभाल पा रहे अखिलेश यादव, एक के बाद एक दिग्गज नेता छोड़ रहे साथ

लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे हैं, लेकिन अभी तक वो खुद को साबित नहीं कर पा रहे हैं, राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक वो पिता की विरासत नहीं संभाल पाये, पार्टी में एक के बाद एक बड़े नेता उनका साथ छोड़ रहे हैं, पूर्वांचल और मध्य यूपी के बड़े राजपूत नेताओं ने पार्टी छोड़कर ये साबित कर दिया, कि उनका साथ मुलायम सिंह यादव के साथ था, ना कि अखिलेश के साथ।

अखिलेश ने डुबो दी नैय्या 
अमर सिंह, फिर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, और अब पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर, एक के बाद एक सबने अखिलेश से दूरी बना ली, या किनारे हो गये। अब सवाल ये उठता है कि क्या इसके पीछे अखिलेश यादव की अपरिपक्वता है या फिर कम समय में ज्यादा ताकत मिलने की वजह से उनके भीतर पनपा अहंकार, क्या अखिलेश यादव पार्टी की नैय्या डुबोने को तैयार हैं।

पिता सबको साथ लेकर चलते थे 
सपा में लंबे समय तक मुलायम सिंह यादव के साथ रहने वाले पूर्वांचल के नेता और विधान परिषद यशवंत सिंह ने कहा कि अखिलेश पिता की कभी बराबरी नहीं कर सकते, मुलायम सिंह यादव अमर सिंह से लेकर राजा भैया तक सबको साथ लेकर चलते थे, चंद्रशेखर और मुलायम सिंह जी एक-दूसरे के लिये सदन में भी खड़े होते थे, लेकिन अखिलेश ने चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को कोई सम्मान नहीं दिया, इतना ही नहीं राजा भैया को भी अखिलेश प्रतिद्वंदी समझने लगे, जिसकी वजह से उन्होने अखिलेश से दूरी बना ली, यशवंत सिंह स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि अखिलेश राजनीतिक तौर पर सधे हुए व्यक्ति नहीं हैं, यही वजह है कि वो लोगों का सम्मान नहीं करते, जिसकी वजह से एक के बाद एक लोग उन्हें छोड़-छोड़ कर जा रहे हैं।

पार्टी चलाने में सक्षम नहीं 
बीजेपी के अनुसार अखिलेश यादव में मुलायम सिंह यादव जैसी बात नहीं है, वो पार्टी चलाने में सक्षम नहीं हैं, अब धीरे-धीरे लोगों का भरोसा भी उन से उठ रहा है, एक वरिष्ठ पत्रकार के मुताबिक मुलायम सिंह यादव ने प्रेस कांफ्रेंस कर प्रदेश के सबसे बड़े सूबे का उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया, पार्टी की कमान सौंप दी, जिसकी वजह से अखिलेश तानाशाह हो गये, वो पिता और चाचा की भी इज्जत नहीं करने लगे।

राजनीतिक अपरिपक्वता 
वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि अखिलेश में राजनीतिक अपरिपक्वता है, इसलिये तो मुलायम सिंह की इच्छा के खिलाफ जाकर पहले कांग्रेस फिर बसपा से उन्होने गठबंधन किया, दोनों ही गठबंधन पूरी तरह से फेल रहा, ये दिखाता है कि उनके भीतर राजनीतिक अपरिपक्वता है, वो लोगों की बात नहीं सुनते हैं, पिता की बात भी नहीं मानते हैं, कम समय में ज्यादा पावर मिल जाने की वजह से वो लोगों को नजरअंदाज करने लगे हैं, अगर समय रहते नहीं चेते, तो फिर मुलायम सिंह यादव ने जो भी खड़ा किया था, वो सब गंवा देंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *