नई दिल्ली। बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक के विलय की खबर से तीनों बैंकों के कर्मी डरे हुए हैं. वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा के कर्मियों ने मंगलवार को पूरे देश में प्रदर्शन कर सरकार के इस निर्णय का विरोध किया. बैंक कर्मियों में जहां इस विलय से कई कर्मियों की नौकरी जाने का डर है वहीं बहुत से बैंकिग जानकारों का मानना है कि इस तरह से विलय से बहुत से ग्राहक भी अपना खाता बंद कर दूसरे बैंकों में शिफ्ट हो जाते हैं.
बढ़ेगी बैंक कर्मियों की मुश्किल
बैंक ऑफ बड़ौदा के कर्मियों में इस विलय की खबर का काफी विरोध है नेशलन बैंक ऑफीसर्स कांग्रेस के कमेटी मैम्बर व ऑल इंडिया बैंक ऑफ बड़ौदा ऑफीसर्स एसोसिएशन के बड़ौदा के जनरल सेक्रेट्री सुनील उपाध्याय ने बताया कि इस विलय से सबसे अधिक नुकसान बैंक ऑफ बड़ौदा के कर्मियों को होगा. अभी बैंक की वित्तीय हालात बेहतर होने और बड़े नेटवर्क के चलते कर्मियों को कई सुविधाएं मिलती हैं जो विलय के बाद बंद हो सकती हैं. वहीं विजया बैंक और देना बैंक के विलय के बाद बड़े पैमानें में बैंक कर्मियों को ट्रांस्फर किया जाएगा. ऐसे में ये संभव हो सकेगा कि उत्तर भारत के कर्मचारी को दक्षिण भारत भेज दिया जाए और पश्चिम भारत के कर्मी को पूर्व में भेज दिया जाए. वहीं निचले स्तर के कर्मियों में नौकरी जाने का खतरा बहुत अधिक है. बैंकों के कर्मी नेताओं व अधिकारियों से बार – बार ये जानने का प्रयास कर रहे हैं कि उनकी नौकरियां इस विलय के बाद सुरक्षित रहेंगी की नहीं. उन्होंने बताया कि जल्द ही सभी बैंकों की यूनियनें बैठ कर इस विलय के विरोध में देशव्यापी आंदोलन की रणनीति तैयार केरेंगी.
ग्राहकों के भी खाता बंद करने का खतरा
वर्ष 2017 में ग्लोबल मार्केटिंग फर्म जेडी पावर की ओर से एक अध्ययन कराया गया. इस रीटेल बैंकिंग सेटिस्फेक्शन स्टडी में ऐसे लोगों से बात की गई जिनके बैंक का मर्जर पिछले 12 महीने में हुआ हो लगभग 46 फीसदी लोगों ने कहा कि उनके बैंक के विलय के बाद उन्होंने अपना बैंक बदल दिया. कुछ समय पहले डिलॉयट सेंटर ऑफ बैंकिंग सल्यूशंस की ओर से ऐसे लोगों के ऊपर अध्ययन कराया गया जिन्होंने अपना बैंक बदला. अध्ययन में 36 फीसदी लोगों ने कहा कि बैंक के विलय के बाद इस लिए उन्होंने अपना बैंक बदल दिया क्योंकि वो पहले अपने बैंक से भावनात्मक कारणों से जुड़े थे. बैंक का विलय होने के बाद ऐसा कोई कारण नहीं रहा.