क्यों सेंगर के सियासी रसूख के आगे दुबकी नजर आती है योगी सरकार?

लखनऊ। नाबालिग से बलात्कार के आरोपी बीजेपी के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव की सियासत के बादशाह माने जाते हैं. ब्राह्मण बहुल उन्नाव में सेंगर सबसे कद्दावर राजपूत चेहरा हैं, जो जिले के ठाकुरों को एकजुट करने वाले नेताओं और सूबे के बहुबलियों में शुमार होते हैं. यही वजह रही कि बलात्कार पीड़िता इंसाफ के लिए दर-दर भटकती रही, लेकिन सेंगर के सियासी रसूख के आगे योगी सरकार दुबकी नजर आई.

उन्नाव में एक लड़की से रेप हुआ, पीड़िता के पिता को पीट-पीटकर मार डाला गया, चाचा को जेल में डाल दिया गया, चाची और मौसी की अब जान चली गई. पीड़िता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक से मिली, लेकिन इंसाफ मिलना तो दूर अब उसकी खुद की जिंदगी खतरे में है.

उन्नाव के बांगरमऊ से बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर नाबालिग लड़की ने जून 2017 में बलात्कार करने का आरोप लगाया था. पीड़िता ने आरोप लगाया था कि विधायक कुलदीप सेंगर ने अपने घर पर उस वक़्त उसके साथ बलात्कार किया, जब वो अपने एक रिश्तेदार के साथ वहां नौकरी मांगने गई थी.

उस वक्त सत्ता के दबाव में पीड़ित लड़की की एफआईआर तक पुलिस ने नहीं लिखी. लड़की के परिवार वालों ने कोर्ट का सहारा लिया लेकिन इसके बाद भी पुलिस विधायक पर कार्रवाई करने से बचती रही. पीड़िता का आरोप है कि विधायक और उसके साथी पुलिस में शिकायत नहीं करने का दबाव बनाते रहे और इसी क्रम में विधायक के भाई ने तीन अप्रैल 2017 को उनके पिता को मारा-पीटा. इसके बाद पुलिस हिरासत में लड़की के पिता की मौत हो गई. तब भी योगी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही.

दरअसल कुलदीप सेंगर का राजनीतिक रसूख इस कदर है कि वो बसपा, सपा और बीजेपी से विधायक रह चुके हैं. तीनों पार्टियों की सरकारों में उन्होंने सत्ता सुख उठाया है. प्रदेश के दबंग और सजातीय नेताओं से उनके अच्छे रिश्ते हैं. सेंगर के सूबे के ठाकुर नेताओं से रिश्ते जगजाहिर हैं. इनमें राजा भैया और सपा के अरविंद सिंह गोप ही नहीं बल्कि कई और राजपूत नेताओं के भी नाम शामिल हैं. सेंगर एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कुंडा से निर्दलीय विधायक राजा भैया और विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित के साथ मंच साझा कर चुके हैं.

पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत के बाद जब मामला उछला तब योगी सरकार जागी. इसके बाद सेंगर जब लखनऊ में एसएसपी ऑफिस में आत्मसमर्पण करने पहुंचे तो उनके साथ प्रतापगढ़ के एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह, बसपा के बागी विधायक अनिल सिंह, विधायक शैलेंद्र सिंह शैलू और पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह मौजूद थे. बलिया के बैरिया से बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने उनके पक्ष में यहां तक कह दिया था कि तीन बच्चों की मां के साथ कौन बलात्कार करेगा.

सेंगर की राजनीतिक ताकत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जाता है कि साक्षी महाराज जैसे नेता भी उनके सामने नतमस्तक नजर आते हैं. उन्नाव संसदीय सीट से चुनाव जीतने के बाद साक्षी महाराज ने सीतापुर जिला जेल जाकर कुलदीप सेंगर से मुलाकात की थी. उस वक्त साक्षी महाराज ने कहा था, ‘हमारे यहां के बहुत ही यशस्वी और लोकप्रिय विधायक कुलदीप सेंगर जी काफी दिन से यहां हैं. चुनाव के बाद उन्हें धन्यवाद देना उचित समझा तो मिलने आ गया.’ पिछले साल यूपी में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान बसपा के विधायक अनिल सिंह ने कुलदीप सेंगर के कहने पर ही बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट दिया था.

आजादी के बाद से ही उन्नाव के माखी गांव की प्रधानी सेंगर परिवार के पास रही. महज दो बार गांव की प्रधानी उनके हाथों से गई. आजादी के बाद उनके नाना बाबू सिंह गांव के प्रधान बने और 36 साल तक रहे. नाना की उंगली पकड़कर बड़े हुए कुलदीप सिंह सेंगर ने उनकी सियासी विरासत संभाली. सेंगर पहली बार 1987 में  गांव के प्रधान बने और साढ़े सात साल तक उन्होंने प्रधानी की.

गांव की सियासत सेंगर की धमक

विधायक बनने से पहले सेंगर ने अपनी मां चुन्नी देवी को 2000 में गांव का प्रधान बनवा दिया. इसके बाद वो लगातार दो बार प्रधान रहीं. वर्तमान में हत्या के आरोप में जेल में बंद विधायक के भाई अतुल सिंह की पत्नी अर्चना सिंह गांव की प्रधान हैं. खुद कुलदीप सिंह की पत्नी संगीता सेंगर जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. एक भाई मनोज सिंह ब्लॉक प्रमुख हैं. इस तरह से उन्नाव की सियासत में सेंगर का वर्चस्व पूरी तरह कायम है.

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