जानें सुषमा स्वराज का दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने से लेकर विदेश मंत्री बनने तक का सफर

नई दिल्ली। भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हो गया है. बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार रहीं सुषमा स्वराज को उनकी शानदार भाषण शैली के लिए जाना जाता था. एक वक्त पर उनका नाम प्रधानमंत्री पद के लिए भी पेश किया गया था. मोदी सरकार एक में उन्होंने विदेश मंत्री का पद संभाला था. इस दौरान उन्होंने विदेश में रह रहे भारतीयों के लिए जिस तरह से काम किया था, उसके लिए उनकी काफी तारीफ की गई थी. आज हम आपको उनके राजनीति के शरुआती सफर से लेकर अंत तक के बारे में बताते हैं.

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1953 को हरियाणा (तक पंजाब) में हुआ था. उनके पिता का नाम हरदेव शर्मा और मां का नाम लक्ष्मी देवी था. उनके पिता आरएसएस के प्रमुख सदस्य थे. सुषमा स्वराज का परिवार मूल रूप से पाकिस्तान का रहने वाला था. सुषमा स्वाराज कॉलेज के दिन से ही भाषण देने के कला में माहिर थीं. उन्हें तीन साल तक राज्य का श्रेष्ठ वक्ता चुना गया था. उन्होंने पंजाब विश्वविधालय से लॉ की डिग्री हासिल की थी. इसके बाद वो 1973 से सुप्रीम कोर्ट में वकील के रूप में प्रैक्टिस शुरू की. उन्होंने 1975 में अपने साथी वकील स्वराज कौशल से शादी की थी.

जेपी के आंदोलन में लिया था हिस्सा

सुषमा स्वराज काफी कम उम्र में ही ABVP से जुड़ गई थीं. आपातकाल के वक्त उन्होंने जेपी के आंदोलन में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. अपातकाल के बाद वो जनता पार्टी की सदस्य बन गईं थीं. 1977 से 1982 के बीच हरियाणा विधानसभा की सदस्य भी रहीं. उन्होंने 25 साल की उम्र में अंबाला कैंट की सीट पर जीत हासिल की थी. महज 27 साल की उम्र में जनता पार्टी की हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष बनकर उन्होंने अपनी सांगठनिक शक्ति का परिचय दे दिया था. 1987 से  90 के दौरान बीजेपी-लोकदल की गठबंधन सरकार में सुषमा स्वराज हरियाणा में शिक्षा मंत्री रहीं.

1990 में सुषमा स्वराज को राज्यसभा का सदस्य बनाया गया. 1996 में उन्होंने दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता, जिसके बाद वो 13 दिन की वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री रहीं. 1998 में उन्होंने एक बार फिर से दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता. इस बार फिर से उन्हें वाजपेयी सरकार में दूरसंचार मंत्रालय के अतिरिक्त प्रभार के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया. इस दौरान उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को एक उद्योग घोषित किया था, जिससे फिल्म निर्माताओं को बैंक से कर्ज मिलना आसान हो गया था. 

1998 में बनीं थीं दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री

इसके बाद 12 अक्टूबर 1998 को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. 3 दिसंबर 1998 को विधानसभा से इस्तीफा देकर वो एक फिर से राष्ट्रीय राजनीति में आ गईं. उन्होंने 1999 में कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ कर्नाटक के बेल्लारी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा, हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद वो साल 2000 में उत्तरप्रदेश से राज्यसभा पहुंचीं. लेकिन जब उत्तर प्रदेश का बंटवारा हुआ और उत्तराखंड बना तो उन्हें उत्तराखंड भेज दिया गया. इसके बाद उन्हें सूचना और प्रसारण मंत्री की जिम्मेदारी दी गई. 2003 में उन्हें स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और संसदीय मामलों में मंत्री बनाया गया. इस पद पर 2004 तक बनी रहीं.

 

2006 में उन्हें मध्य प्रदेश से राज्यसभा में भेजा गया. 2009 में सुषमा स्वराज ने विदिशा लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल की. 15वीं लोकसभा में उन्हें लालकृष्ण आडवाणी की जगह विपक्ष का नेता बनाया गया. 2014 में मोदी सरकार की जीत के बाद उन्हें भारत की पहली विदेश मंत्री बनाया गया. लेकिन 2019 में मोदी सरकार 2 में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से किसी भी पद को लेने से इनकार कर दिया था.

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