नई दिल्ली। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के पूर्व प्रमुख टी एस राजू की ओर से राफेल डील को लेकर किए गए दावों के बादकांग्रेस ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से इस्तीफा मांगा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी के मुताबिक रक्षा मंत्री ने बुधवार को जो बयान दिया वो बहुत परेशान करने वाला है.
मनीष तिवारी ने कहा, “रक्षा मंत्री ने HAL का दसॉ एविएशन के साथ कॉन्ट्रेक्ट नहीं होने की बात कही थी. HAL के पूर्व प्रमुख जो 2018 में रिटायर हुए, उन्होंने कुछ वाजिब बातें रखी हैं जिनसे एनडीए के दावे ध्वस्त हो जाते हैं. HAL के पूर्व प्रमुख राजू ने कहा है कि HAL और दसां एविएशन के बीच म्यूच्यूअल वर्कशेयर कॉन्ट्रेक्ट पर दस्तखत हुए थे और इसे सरकार को सौंपा गया था.”
बता दें कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल डील से HAL के बाहर होने को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली UPA सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. रक्षा मंत्री के मुताबिक पिछली सरकार के समय में ही सरकारी कंपनी HAL निर्माण शर्तों पर दसॉ एविएशन से सहमत नहीं हो सकी, ऐसे में यूपीए सरकार के समय में ही HAL डील से बाहर हो गई थी.
मनीष तिवारी ने कहा, “सवाल ये उठता है कि क्या रक्षा मंत्री ने जानबूझ कर कोशिश की और भारत के लोगों को गुमराह किया?”
तिवारी ने कहा, ‘HAL के पूर्व प्रमुख राजू ने दूसरी अहम बात ये कही है कि HAL की ओर से 108 राफेल विमानों का निर्माण किया जा सकता था, अगर सरकार ने आगे बढ़कर कॉन्ट्रेक्ट पूरा किया होता. हम देश को गुमराह करने के आरोप में रक्षा मंत्री से इस्तीफे की मांग करते हैं.’
राजू ने दावा किया है कि HAL राफेल लड़ाकू विमानों को देश में ही बना सकता था, अगर केंद्र सरकार मूल स्वरूप में जो बातचीत थी, उसी पर बरकरार रहती और दसॉ के साथ वर्कशेयर कॉन्ट्रेक्ट करती.
राजू के दावों पर तिवारी ने कहा, ‘HAL के पूर्व प्रमुख ने ये भी कहा है कि HAL के उत्पादित जेट विमानों की लाइफ-साइकल कीमत मोदी सरकार की की गई डील से कहीं सस्ती पड़ती और भारत इस दिशा में आत्मनिर्भर हो सकता था. उन्होंने ये भी कहा कि HAL और दसॉ एविएशन के बीच सारे मुद्दे हल हो चुके थे. ऐसे में एनडीए सरकार की ओर से झूठ का जो जाल बुनने की जो कोशिशें हो रही हैं, वो पूरी तरह ध्वस्त हो जाती हैं.’
कांग्रेस प्रवक्ता ने सरकार से सभी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग की. कांग्रेस राफेल मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग पहले ही कर चुकी है. इस मामले में कांग्रेस CAG का दरवाजा खटखटा चुकी है और अब इसे CVC तक भी ले जाने वाली है.