स्मिथ ने खोला राज, कहा- गर्दन में गेंद लगने के बाद लग रहा था जैसे 6 बीयर पी ली हो

ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज स्टीव स्मिथ ने कहा है कि एशेज सीरीज (Ashes Series) के दूसरे टेस्ट में जब जोफ्रा आर्चर की गेंद उनकी गर्दन पर लगी तब उन्हें अपने पूर्व साथी खिलाड़ी फिलिप ह्यूज की याद आ गई थी. फिलिप ह्यूज (Phillip Hughes) की घरेलू मैच में सिर में गेंद लगने के कारण मौत हो चुकी है. ह्यूज के सिर में 2014 में ऑस्ट्रेलिया के घरेलू टूर्नामेंट शेफील्ड शील्ड के एक मुकाबले के दौरान गेंद लगी थी. यह मैच न्यूज साउथ वेल्स और साउथ ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था.

न्यूज डॉट कॉम डॉट एयू ने स्टीव स्मिथ (Steve Smith) के हवाले से लिखा, ‘मेरे दिमाग में कुछ चीजें चल रही थीं. खासकर जब मुझे गेंद लगी तो मेरे दिमाग में अतीत छा गया था. आप समझ गए होंगे मेरा क्या मतलब है. कुछ साल पहले की बात याद आ गई थी.’ इस बात से स्मिथ का मतलब ह्यूज के सिर में लगी गेंद वाले हादसे से था, जिसमें उनकी जान चली गई थी. पूर्व कप्तान ने कहा, ‘यह शायद पहली चीज थी जो मेरे दिमाग में आई थी. इसके बाद मैंने सोचा कि मैं ठीक हूं.’

लॉर्ड्स में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच के चौथे दिन स्टीव स्मिथ जब 80 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे, तब इंग्लैंड (England) के आर्चर की गेंद उनके कान के नीचे गर्दन पर लगी थी. स्मिथ मैदान पर गिर पड़े थे. कुछ देर के लिए वे बाहर भी गए थे. जब स्मिथ वापस आए तो अपने खाते में उन्होंने 12 रन का इजाफा किया लेकिन वे शतक पूरा नहीं कर पाए और 92 रन पर आउट हो गए.

स्टीव स्मिथ ने कहा, ‘मैं थोड़ा दुखी हुआ था लेकिन बाकी पूरे दिन में ठीक रहा. मैं अच्छा महसूस कर रहा था और मैंने अपने सभी टेस्ट पास कर लिए थे. मैं बल्लेबाजी भी करने गया था लेकिन देर शाम को मुझे कुछ हुआ.’ दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने बताया, ‘जब डॉक्टर ने मुझसे पूछा कि मुझे कैसा महसूस हो रहा है तो मैंने कहा कि मुझे लग रहा है कि मैंने छह बीयर पी ली हैं. मुझे इस तरह की भावनाएं आ रही थीं और इन्हीं के साथ मैं कुछ दिनों तक रहा.’

हालांकि, स्टीव स्मिथ ने इस हादसे के बाद से स्टेमगार्ड पहनने का मन नहीं बनाया है. उन्होंने कहा, ‘मैंने पहले स्टेमगार्ड पहने हैं और एक दिन पहले जब मैं नेट्स में बल्लेबाजी कर रहा था तब भी मैंने इनका उपयोग किया था. मुझे लगा कि मेरे दिल की धड़कन सीधे 30 से 40 तक बढ़ गई. मुझे उन्हें पहन कर कुछ कसा हुआ महसूस होता है. मैं इसकी तुलना एमआरआई स्कैन मशीन में फंसने से कर सकता हूं.’

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