माले। इस रविवार (23 सितंबर 2018) को मालदीव अपने राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोटिंग करेगा. इन चुनावों पर भारत की भी पैनी नजर है. लेकिन भारत के लिए यहां से अच्छी खबर आए, ऐसी उम्मीद नहीं है. हिंद महासागर के इस छोटे से द्वीप में अभी जिस पार्टी का शासन है, अनुमान है कि उसी पार्टी की वापसी होगी. इस समय मालदीव में अब्दुल्ला यमीन राष्ट्रपति हैं. उन्होंने कई नेताओं को जेल में भेज दिया है, वहीं कुछ को देश से बाहर भी जाना पड़ा है. इन चुनावों में यमीन के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट होकर उतरा है.
भारत के लिए ये परिणाम इसलिए चिंता का विषय हैं, क्योंकि यमीन चीन परस्त माने जाते हैं. उन्हीं की सत्ता में वापसी होती लग रही है. भारत समर्थक नौशीद को मालदीव छोड़कर जाना पड़ा था. मौजूदा राष्ट्रपति यमीन पर आरोप हैं कि उन्होंने अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल करते हुए विपक्षी नेताओं की आवाज को कुचल दिया था.
द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार, मालदीव में इस समय राष्ट्रपति यमीन खुद को एक ऐसे शख्स के रूप में पेश कर रहे हैं, जो देश की भलाई के लिए बड़े प्रोजेक्ट ला रहा है. वह उस 2 किमी लंबे ब्रिज को बनाने में भी खुद को क्रेडिट दे रहे हैं, जिसके लिए उन्हें पूरा पैसा चीन ने दिया है. ये 2 किमी लंबा ब्रिज माले को इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ता है. इस महीने के शुरुआत में इसे खोल दिया गया है.
कई सारे प्रोजेक्ट के लिए मालदीव को चीन ने 1.3 अरब डॉलर का भारी भरकम कर्ज दिया हुआ है. ये लोन इतना है, जो मालदीव की एक तिमाही की जीडीपी के बराबर है. चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण ही मालदीव यमीन के शासनकाल में भारत से दूर होता चला गया है.
माले में सभी जगह सिर्फ यमीन
माले की सड़कों पर इन दिनों सिर्फ मौजूदा राष्ट्रपति यमीन और उनकी प्रोग्रेसिव पार्टी का ही प्रचार दिख रहा है. बाकी के नेताओं को बहुत कम जगह मिल रही है. कई जगह यमीन के आदमकद कटआउट बता रहे हैं कि मुकाबला एकतरफा है.