कोलकाता। एक तरफ दुश्मन हर तरफ से भारत पर नजरें गढ़ाए हुए हैं. थल और वायु के अलावा जल के रास्ते भी भारत में घुसपैठ करने की कोशिश में लगे रहते हैं. मुंबई में 26/11 को हुए हमले में शामिल आतंकवादी भी समुद्र के रास्ते ही भारत में दाखिल हुए थे. ऐसे में समुद्री सीमा की सुरक्षा कितने मायने रखती है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. इसी बीच भारतीय नौसेना के अफसर ने एक ऐसी सूचना दी है जो हर देशवासी की चिंता बढ़ाने वाली है. भारतीय नौसेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि पूर्वी एवं पश्चिमी समुद्री सीमा क्षेत्र में हजारों किलोमीटर लंबी तटरेखा में फैले समुद्री मार्गों और बंदरगाहों की हिफाजत के लिए नौसेना के पास अभी सिर्फ दो ‘माइनस्वीपर’ हैं.
‘माइनस्वीपर’ ऐसे जहाज को कहते हैं जो पानी के भीतर बनाई गई बारूदी सुरंगों का पता लगाकर उन्हें नष्ट करते हैं. नौसेना में सहायक सामग्री प्रमुख रियर एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन ने बताया कि नौसेना को बारूदी सुरंग हटाने वाले 12 जहाजों की जरूात है लेकिन अभी उसके पास सिर्फ दो ऐसे जहाज हैं. स्वामीनाथन ने कहा, ‘‘नौसेना इन जहाजों की तुरंत जरूरत है.’’
शुक्रवार को नौसेना के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वामीनाथन ने कहा कि रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनी गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ‘माइनस्वीपरों’ के निर्माण के लिए एक विदेशी कंपनी से गठजोड़ की प्रक्रिया में है.
सरकार 32,000 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजना के लिए एक विदेशी कंपनी की तलाश में है ताकि 12 माइनस्वीपर जहाजों की खरीद की जा सके. इन जहाजों का बुनियादी काम पानी के भीतर बनाई गई बारूदी सुरंगों का पता लगाना, उसे श्रेणीबद्ध करना और नष्ट करना है.
मालूम हो कि भारत के बड़े हिस्से की सीमा समुद्र से जुड़ी है. भारत का 7516.6 किलोमीटर हिस्सा समुद्री सीमा है. भारत सरकार भी इस बात की अहमियत को समझती है. पिछले दिनों भारत सरकार ने समुद्री सीमाओं को महफूज करने के लिए अत्याधुनिक उपकरण भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड ने तैयार करने की बात कही थी. तटीय सामा पर बेहद संवेदनशील सर्विलांस सिस्टम लगाया जा रहा है. इसकी मदद से समुद्र में 20 किमी तक के इलाके में चप्पे चप्पे पर हर एक गति विधि पर नजर रखी जा सकती है.
अत्याधुनिक राडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिक सेंसर और कमांड एंड कंट्रोल सॉफ्टवेयर से तैयार किए गए इस सिस्टम को समुद्री सीमा पर लगाने का काम चल रहा है. इसका नियंत्रण केंद्र राजधानी दिल्ली में होगा और नियंत्रण केंद्र से ही समूचे तटीय इलाके पर नजर रखी जा सकेगी.