नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज ही 19 दिन के दूसरे लॉकडाउन (Lockdown) का ऐलान किया है और आज ही मुंबई से चिंता बढ़ाने वाली तस्वीरें आई हैं. मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर आज मस्जिद के पास सैकड़ों की तादाद में भीड़ जमा हो गई. इनमें वो प्रवासी मजदूर थे, जो बिहार और बंगाल से हैं. ये लोग ट्रेन सेवा शुरू करने की मांग कर रहे थे. दिल्ली के आनंद विहार में क्या हुआ था. जब मज़दूरों ने अपने घर लौटने के लिए आनंद विहार बस अड्डे पर भीड़ लगा दी थी.
प्रवासी मजदूरों की मांग थी कि उन्हें घर पहुंचाने का इंतज़ाम किया जाए. बाद में इन्हें समझाया गया और फिर पुलिस को हल्का लाठीचार्ज भी करना पड़ा और इन लोगों को यहां से हटाया. लेकिन सवाल यही है कि क्या सोशल डिस्टेंसिंग ऐसे होगी? ये तस्वीरें इसलिए अहम हो जाती हैं क्योंकि महाराष्ट्र में 2337 कोरोना पॉजिटिव केस हो चुके हैं. और 160 लोगों की मौत पूरे महाराष्ट्र में हो चुकी है.
एक अफवाह के चलते इकट्ठा हुई भीड़
माना जा रहा है कि रेल सेवा शुरू होने की अफवाह के बाद मजदूर रेलवे स्टेशन पहुंचे थे. पुलिस को भीड़ को हटाने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा. मुख्यमंत्री ठाकरे ने भी अफवाह को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने देर शाम एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “आज ट्रेन शुरू होगी, ऐसी खबर मजदूरों को दी गई, इसलिए बांद्रा स्टेशन पर भीड़ इकट्ठा हुई. पता नहीं उन्हें खबर कहां से मिली थी?”
आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार पर हमला किया
मजदूरों को मस्जिद के बाहर कैसे कांग्रेस के पार्षद राजा रहबर खान ने वहां मौजूद भारी भीड़ को समझाया की कोरोना बहुत घातक और ऐसे वक्त में आप लोगों का घर जाना सही नहीं है. इसलिए लॉकडाउन का पालन करना पड़ेगा. आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर हमला किया है..महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ने कहा है कि बांद्रा स्टेशन की वर्तमान स्थिति अब सामान्य हो चुकी है और यहां तक कि सूरत में जो हुआ उसकी वजह ये है कि केंद्र सरकार प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने का सही इंतजाम नहीं कर पाई. मजदूर लोग रहने की जगह और खाना नहीं बल्कि अपने घर जाना चाहते हैं. जिस दिन से ट्रेन सेवा बंद हुई है तभी से राज्य सरकार ने चौबीसों घंटे ट्रेन चलाकर प्रवासी मजदूरों को घर भेजने में मदद की अपील की.
सीएम उद्धव ठाकरे ने ये मामला पीएम की वीडियो कॉन्फ्रेंस में भी उठाया और रोडमैप बनाने को कहा था. केंद्र और राज्यों की सहमति से बना रोड मैप प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए कारगर होता और वो अपने प्रदेशों में सुरक्षित पहुंच सकते थे. समय-समय पर ये मामला केंद्र के साथ उठाया गया. गुजरात के सूरत में कानून व्यवस्था को लेकर ऐसी ही स्थिति बनी हुई है और वहां के प्रवासी मजदूरों की हालत यहां के जैसी है कि उन्होंने वहां रुकने और राशन लेने से इंकार किया है. फिलहाल पूरे महाराष्ट्र में 6 लाख से ज्यादा लोग शेल्टर कैंप में मौजूद हैं.