नई दिल्ली। कांग्रेस के सोशल मीडिया विंग की चीफ दिव्या स्पंदना उर्फ राम्या के हाल में इस्तीफे की अटकलों ने खूब हलचल पैदा की. बाद में दिव्या ने खुद ऐसी अटकलों को भ्रामक बता कर इन्हें थामने की कोशिश की.
लेकिन सूत्रों की मानें तो बिना आग के धुंआ नहीं उठता. वैसा ही कुछ इस मसले के साथ है. दरअसल, शुरुआत में दिव्या को जब सोशल मीडिया की ज़िम्मेदारी मिली तो राहुल गांधी का ट्विटर हैंडल, फेसबुक पेज, इंस्ट्राग्राम और कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल inc india को देखना भी उन्हीं के हवाले किया गया.
पीएम को लेकर कुछ ट्वीट पर ऐतराज
लेकिन दिव्या की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को टाइटैनिक जैसे पोज़ में दिखाने वाले जैसे कुछ ऐसे ट्वीट आए. पार्टी के ट्विटर हैंडल पर चली सवालों की सीरीज में ही नेहरू पर सवाल उठ गए, तो पार्टी को बैकफुट पर आना पड़ा. इसी तरह राखी सावंत का नाम लेकर मोदी पर कटाक्ष करने वाला ट्वीट भी दिव्या के खिलाफ ही गया. ये भी हकीकत है कि दिव्या ने कई बेहतर ट्वीट और सोशल मीडिया पर पार्टी को मजबूत करने का काम तो किया, लेकिन गाहे बगाहे कुछ बचकाने ट्वीट भी कर डाले, जिससे सवालों के घेरे में आने की वजह से उनका कद घट गया.
कई नेताओं को निर्देश लेना रास नहीं आया
इसके अलावा कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि दिव्या ने सोशल मीडिया पर अलग- अलग क्षेत्र में पार्टी की राय बनाने के लिए कई व्हाट्सऐप ग्रुप बनाये, लेकिन नेताओं का उनका कई चीजों पर निर्देशित करना रास नहीं आया. आनन्द शर्मा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और आरपीएन सिंह सरीखे वरिष्ठ नेताओं ने खुद ही ऐसे ग्रुप छोड़ दिए.
कई नेता व्हाट्सऐप ग्रुप से बाहर आए
सूत्रों के मुताबिक, कई नेताओं के अलावा निखिल अल्वा (मार्गरेट अल्वा के बेटे) ने दिव्या से कहा कि वह जरुरत पड़ने पर फोन कर लें, ये सब व्हाट्सऐप पर संभव नहीं. कुछ इस तरह दिव्या को लेकर पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ने लगा. कहा तो यहां तक गया कि ऐसे ही बनाए गए एक ग्रुप से पहले राहुल और फिर रणदीप सुरजेवाला एग्जिट कर गए.
मीडिया विंग ने बनाई दूरी
कुछ इस तरह दिव्या का कद घटा, लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कुछ बचकाना हरकतों के बावजूद दिव्या की लगन, मेहनत और ईमानदारी के चलते वो अपने पद पर बनी रहीं. जबकि दिव्या के सोशल मीडिया पर उल्टे पड़े दावों के चलते पार्टी के मीडिया विभाग ने पहले ही उनसे दूरी बना ली. यही वजह रही कि वर्धा में पार्टी के इतने बड़े इवेंट पर दिव्या नदारद रहीं.
हिंदी भाषी को दी गई हिंदी ट्वीट की जिम्मेदारी
हालांकि, राहुल के ट्वीट उनसे अप्रूवल लेकर ही किये जाते रहे हैं. साथ ही राहुल भी चाहते थे कि ट्विटर पर उनके ट्वीट की भाषा कुछ चुटीली और ऐसी हो, जिससे लोग आकर्षित हों और दिलचस्पी लें. इसके बाद जेएनयू के छात्र और हिंदी में पकड़ रखने वाले संदीप सिंह को हिंदी के ट्विटर हैंडल की भाषा लिखने की ज़िम्मेदारी दी गयी, जो किसी विषय पर राहुल की भावना को अपने अंदाज में लिखते हैं, जिसको पहले राहुल खुद अपनी सहमति देते हैं. इसके अलावा कई राज्यों की तरफ से और नेताओं की तरफ से भी गुज़ारिश आती है कि राहुल उनके राज्य के या किसी अहम मुद्दे पर ट्वीट कर दें. वहीं राहुल के ट्विटर हैंडल का अंग्रेज़ी का काम और उसे राहुल से अनुमति लेने का काम निखिल अल्वा के पास है.
जयराम ने बढ़ाया दखल
लेकिन हाल में कोर कमेटी के कन्वीनर बनाये गए जयराम रमेश ने जिम्मा संभाला तो उन्होंने हर विभाग को कॉर्डिनेट करना शुरू कर दिया. कई मौकों पर जयराम ने पार्टी के ट्विटर हैंडल से कोई वीडियो ट्वीट करने या कुछ अचानक लिखने को कहा तो दिव्या उपलब्ध नहीं रहीं, तो उनके असिस्टेंट चिराग ने ऐसा करने से ये कहकर मना कर दिया कि, बिना दिव्या से पूछे वो नहीं कर सकते. इसके अलावा जयराम ने पार्टी हित में अपना दखल बढ़ा दिया. जयराम कांग्रेस के वार रूम ‘15, गुरुद्वारा रकाबगंज’ का भी कॉर्डिनेशन देख रहे हैं. वे अमूमन रोज वहां होते हैं और जरुरत पड़ने पर पार्टी हित में निर्देश देते हैं और वो चाहते हैं कि उस पर फौरन अमल हो.
दिल्ली में कम वक्त दे रहीं दिव्या
दिव्या कम वक्त के लिए दिल्ली रहती हैं. जयराम के बढ़ते दखल से दिव्या का असहज होना लाजमी ही था. जयराम हों, सिंधिया हों या पब्लिसिटी कमेटी के चेयरमैन आनंद शर्मा हों, इस कद के नेताओं को दिव्या का निर्देशित करना भी रास नहीं आया. दरअसल, दिव्या जब सोशल मीडिया की प्रमुख बनीं तो उनको लगा कि, इस विभाग पर उनकी ही चलेगी. लेकिन पहले ट्विटर, फिर नेताओं की बेरुखी और कुछ दिव्या के ट्वीट ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दीं, जिससे उनकी भूमिका सीमित हो गई.
जयराम बढ़ा रहे दबाव?
फिल्मों में अभिनय से राजनीति में आईं दिव्या फिलहाल राहुल का फेसबुक पेज, inc india का हैंडल और राहुल का इंस्टाग्राम अकाउंट देख रही हैं. राहुल के ट्विटर हैंडल की बढ़ी लोकप्रियता के बाद अब दिव्या से फेसबुक पेज लेकर किसी और को देने की चर्चा चल निकली. लेकिन फिलहाल मामला यहीं पर अटका है. लेकिन जयराम का सीधा दखल जरूर दिव्या को सिरदर्द दे रहा है, क्योंकि जहां पूर्व सांसद दिव्या राहुल के करीबी होने का दावा करती रहीं, जो कांग्रेसियों को रास नहीं आया. लेकिन 2004 के वक्त पार्टी का वॉर रूम संभालने वाले जयराम खुद राहुल से सीधे मैंडेट लेकर काम कर रहे हैं, ऐसे में दिव्या पर दबाव बढ़ना लाज़मी है.