जम्मू। पूर्वी लद्दाख के गलवन में हिंसक संघर्ष में 20 सैनिकों की शहादत के बाद भारतीय सेना के तेवर सख्त हैं। चीन को करारा जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने अमेरिकी निर्मित एम777 होवित्जर तोपें तैनात कर दी हैं। साल 1999 में कारगिल युद्ध में बोफोर्स के नाम से मशहूर होवित्जर गनों ने पाकिस्तान पर खूब कहर ढहाया था। इसके बाद भी सेना की तैयारी जारी है और साउथ कोरिया की के-9 वज्र तोपें भी जल्द रणक्षेत्र में उतारी जा सकती हैं। इनसे सेना की मारक क्षमता और बढ़ी है। साथ ही लद्दाख में सेना की आर्टिलरी रेजीमेंटों को नई ताकत मिलेगी। सेना की आर्टिलरी के अधिकारी ने बताया कि अब चीन की कोई भी हिमाकत उसे बहुत भारी पड़ने वाली है।
लद्दाख में चीन सेना के प्रति भारतीय सेना की नीति शुरू से स्पष्ट रही है। ऐसे में एक ओर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने के लिए चीन के साथ बार्डर पर्सनल बैठकें जारी रही तो वहीं दूसरी ओर सेना के आधुनिकीकरण की मुहिम भी लगातार जारी रही। गलवन में चीनी सेना से हिसंक भिड़त से उपजे हालात में पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना किसी भी प्रकार के हालात से निपटने के लिए तैयार है। अचूक निशाने और लंबी दूरी की मारक क्षमता के कारण होवित्जर तोपें दुश्मन पर कहर बरपाने के लिए तैयार हैं।
पूर्वी लद्दाख में सेना की चीन को कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रही है। यह तैयारी गत वर्ष पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के युद्ध अभ्यास में भी दिखी थी। इस दौरान पूर्वी लद्दाख की सुरक्षा में तैनात सेना की सभी ब्रिगेडों ने मारक क्षमता दिखाई थी।
आधुनिक हथियारों का परीक्षण : हाल ही में सेना में शामिल किए टी -90 भीष्म टैंकों, आधुनिक हथियारों, उपकरणों का भी परीक्षण हुआ। लद्दाख में मौजूद पंद्रहवें वित्त आयोग की टीम ने सेना की भावी जरूरतों व बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए खाका बनाया था। सेना को मजबूत बनाने के लिए इसे हकीकत में बदला जा रहा है।
एम777 होवित्जर के खास बिंदु
- 25 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं एम777 होवित्जर तोपें
- एम777 होवित्जर तोपें 25 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन को आघात पहुंचा सकती है। जरूरत पड़ने पर इनकी रेंज को 30 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है।
- इस तोप से दुश्मन पर एक मिनट में पांच गोले दागे जा सकते हैं। इससे दुश्मन काें संभलने का मौका दिए बिना लगातार प्रहार किए जा सकते हैं।
- पर्वतीय क्षेत्रों में दुश्मन को मात देने के लिए तोपों का घातक होने के साथ उनका हलका होना भी जरूरी होता है। इससे उन्हें पहाड़ी इलाकों में एक जगह से दूसरी जगह लेना आसान हो जाता है। सेना के बेड़े में बोफोर्स तोप के नाम से मशहूर 155 एमएम की एफएच-77 होवित्जर तोपों की जगह ले रही 155 एमएम की आधुनिक एम777 होवित्जर तोपें, पुरानी तोपों से 41 फीसद हलकी हैं।
- इन्हें आसानी से हेलीकॉप्टर के जरिए पहाड़ों की चोटियों पर पहुंचाया जा सकता है।या फिर जल्दी से इनकी जगह बदली जा सकती है। माउंटेन वारफेयर में यह और भी कारगर रहेगी।
- ये तोपें सटीक निशाने के लिए जानी जाती हैं।