पूरी दुनिया की नजर इन दिनों लद्दाख के गलवान घाटी पर टिकी है, जहां कुछ दिन पहले भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प हुई, इन सबके बीच चीन की चालबाजी में अब पड़ोसी देश नेपाल फंस चुका है, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत के खिलाफ नक्शा बदलने में लगे रहे, दूसरी ओर चीन ने उन्हें धोखा देते हुए उत्तरी गोरखा के रुई गांव पर कब्जा कर लिया है, जानकारी के मुताबिक ओली ने इसी बात को दबाने के लिये कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा का मामला उठाया था।
एक्सपर्ट के मुताबिक इधर नेपाल सरकार भारत के साथ सीमा विवाद में लगी हुई है, नेपाल की सरकार भारत के साथ कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा क्षेत्र में भारत पर अतिक्रमण की बात कह रही है, जबकि गोरखा गांव में चीन के अतिक्रमण की बातों को सरकार ने छुपाने की कोशिश की है, गोरखा का रुई गांव को गोरखा रुई भोट के अंतर्गत आता है, अब वहां चीन के स्वायत्त क्षेत्र तिब्बत के कब्जे में आ गया है।
नेपाल सरकार और उच्च अधिकारियों की लापरवाही की वजह से 72 घरों वाले इस गांव में चीन ने घुसपैठ करके कब्जा कर लिया है, हालांकि अभी भी रुई गांव नेपाल के मानचित्र में शामिल है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि वहां पर पूरी तरह से चीन का नियंत्रण हो चुका है, यहां के सीमा स्तंभों को अतिक्रमण को वैध बनाने के लिये हटा दिया गया है। लेकिन फिर भी नेपाल सरकार चुप है।
विदेश मामलों के जानकार का कहना है कि चीन के बहकावे में आकर ही हमारा पड़ोसी देश सीमा विवाद को सुलझाने के बजाय उलझाने की कोशिश में लगा है, हालांकि अधिकारिक स्तर पर ऐसी कोई बात नहीं हुई है, लेकिन कहा जा रहा है कि चीन से जुड़े मामलों को छुपाने के लिये नेपाल भारत के साथ दूसरी बातों को मुद्दा बना रहा है, ताकि इन मुद्दों से ध्यान हटा रहे।
अत्यंत लापरवाही
इतिहासकार धुंगेल ने इसे नेपाल सरकार की अत्यंत लापरवाही बताया है, उन्होने इस मामले में जानकारी देते हुए कहा कि भारत के साथ नेपाल की सीमा सुलभ है, लोग इसके दोनों तरफ आते-जाते हैं, इसलिये भारत के साथ सीमा मुद्दे सभी को दिखाई दे रहे हैं, लेकिन उत्तरी सीमा में तिब्बत से लगे नेपाल का हाल बेहद खराब है, लेकिन सरकार उन मामलों को छुपाने की कोशिश कर रही है।