दुनियाभर में वर्ष 2022 तक करीब 13.3 करोड़ नौकरियां उपलब्ध होंगी, जिनमें मानव प्रयास, मशीनें और एल्गोरिदम से संबंधित नौकरियां शामिल हैं। एक गैर लाभकारी संगठन ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इसने साथ ही भारत में युवाओं के लिए डिजिटल और अंग्रेजी साक्षरता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
संगठन ने कहा कि अकादमिक स्तर पर जो तैयार किया जा रहा है और इंडस्ट्री जो चाहती है, उसमें काफी अंतर है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि युवाओं को प्रौद्योगिकी के उभरते क्षेत्रों जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन का ज्ञान, हरित ऊर्जा समेत अन्य क्षेत्रों की जरूरतों के हिसाब से कौशल प्रदान किया जाए। ये टिप्पणियां गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) वाधवानी फाउंडेशन की ओर से विश्व युवा कौशल दिवस (15 जुलाई) की पूर्व संध्या पर की गईं।
रिपोर्ट में कहा गया है, परसेंटेज के लिहाज से यह रुझान 2015 में 21.7 फीसद से बढ़कर 2020 में 22.4 फीसद हो गया है। इसका मतलब है कि 2020 तक NEET की दर को कम करने का अंतरराष्ट्रीय लक्ष्य चूक सकता है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के हवाले से आंकड़ों की जरूरत पर जोर देते हुए फाउंडेशन के अध्यक्ष और सीईओ अजय केला ने कहा कि कम से कम 133 मिलियन नौकरियां ऐसी होंगी जो 2022 तक वैश्विक स्तर पर मनुष्यों, मशीनों और एल्गोरिदम के बीच श्रम के विभाजन से मिलेंगी।