नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का झंडा उठाने वाले सचिन पायलट राजस्थान के राजनीतिक मझधार में फंस गए हैं. न तो कांग्रेस में घर वापसी कर पा रहे हैं और न ही बीजेपी में शामिल होने का साहस दिखा रहे हैं. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से लेकर ओम माथुर और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया खुले तौर पर पायलट को पार्टी में आने का ऑफर दे रहे हैं, लेकिन वसुंधरा गुट राजी नहीं है. वहीं, पायलट के कुछ समर्थक विधायक भी बीजेपी का दामन थामने पर रजामंद नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि पायलट के बीजेपी में एंट्री का दरवाजा किसने बंद करा दिए हैं?
सचिन पायलट अपने 22 समर्थक विधायकों के साथ हरियाणा के मानेसर के एक होटल में पिछले छह दिनों से रुके हुए हैं. इनमें सचिन पायलट सहित 19 कांग्रेस के विधायक और 3 निर्दलीय शामिल हैं. पायलट अभी तक अपना राजनीतिक फैसला नहीं ले सके हैं जबकि कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम पद से हटा दिया है. इसके अलावा उनके दो समर्थक मंत्रियों की कैबिनेट से छुट्टी कर दी गई है और विधानसभा अध्यक्ष ने नोटिस देकर दो दिन में जवाब मांगा है.
बीजेपी में क्यों नहीं जाना चाहते पायलट समर्थक
गहलोत से बगावत करने के बाद सचिन पायलट को बीजेपी में जाने का खुला ऑफर दिया जा रहा है, लेकिन वो इससे इनकार कर रहे हैं. इसके पीछे वजह यह है कि पायलट खेमे के आठ विधायकों ने उन्हें साफ कह दिया कि यदि वे बीजेपी में जाने पर विचार करते हैं तो वे उनके साथ नहीं रहेंगे. इन विधायकों का कहना है कि भाजपा का जीवनभर विरोध किया, इस कारण अब वहां नहीं जा सकते. ऐसे में वे अपने पुराने घर में ही रहना पसंद करेंगे. पायलट कैंप के चार विधायक इसीलिए गहलोत कैंप में पहले ही वापस लौट आए थे कि उन्हें बीजेपी में नहीं जाना है.
पायलट कैंप में ऐसे विधायक भी शामिल हैं, जिनकी उम्र सत्तर पार हो गई है. इनमें हेमाराम चौधरी, दीपेंद्र सिंह और मास्टर भंवरलाल शर्मा शामिल हैं जो बीजेपी के साथ नहीं जाना चाहते हैं. इन नेताओं का मानना है कि जिंदगी भर कांग्रेस में रहने के बाद अब आखिरी चुनाव में बीजेपी में जाकर क्या करेंगे. इसके अलावा इनको अपने बेटों के भविष्य की चिंता भी है, बीजेपी में शायद उनके बेटों की कदर नहीं हो और उनकी राजनीतिक विरासत आगे नहीं बढ़ पाए. इसके अलावा बीजेपी में शामिल होने पर इन सभी विधायकों की सदस्यता भी खत्म हो सकती है, जो रुकावट की एक बड़ी वजह बन रही है.
पायलट समर्थक अगर भाजपा में जाने का रास्ता चुनते हैं तो उनके सामने अपने सियासी वजूद को बचाए रखने की एक बड़ी चिंता है. बीजेपी में पायलट को सीधे मुख्यमंत्री पद मिलना आसान नहीं है. बीजेपी में अभी वसुंधरा राजे हैं और अधिकतर विधायक उनके ही समर्थन में हैं. इसके अलावा ओम बिड़ला, गजेंद्र शेखावत जैसे केंद्रीय नेता भी हैं. ऐसे में अगर बीजेपी का सचिन पायलट दामन थामते हैं तो सीधे टॉप पर जाने की राह आसान नहीं होगी.
बीजेपी का एक गुट पायलट को लेने को राजी नहीं
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर शर्मा कहते हैं कि सचिन पायलट अगर बीजेपी में शामिल होते हैं तो पार्टी में भी सियासी खींचतान बढ़ेगी. भविष्य में बड़ा सिरदर्द बढ़ सकता है. बीजेपी में अभी भी गई गुट हैं. इनमें वसुंधरा राजे का गुट राजस्थान की सियासत में काफी हावी है जबकि पार्टी केंद्रीय नेतृत्व गजेंद्र शेखावत को आगे बढ़ा रहा है. यही वजह है कि भाजपा के वसुंधरा गुट के नेता पायलट को शामिल किए जाने की संभावनाओं का विरोध कर रहे हैं.
दरअसल, तीन साल बाद राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से सीएम पद की उम्मीदवारी को लेकर वसुंधरा राजे को गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया और अर्जुन मेघवाल जैसे नेताओं से जूझना पड़ेगा. ऐसे में सचिन पायलट बीजेपी में आ जाते हैं तो इस सूची में एक नाम और जुड़ जाएगा. शेखावत और पायलट एक साथ भी हो सकते हैं. वहीं, वसुंधरा राजस्थान में बीजेपी की सियासत में कोई और उनकी जगह आए, यह बात नहीं बर्दाश्त करेंगी.