श्री राम को बालरूप में दिखाने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन …

अभिरंजन कुमार

इस पेंटिंग पर बहुत विवाद हो रहा है। इसमें जिस तरह से मोदी जी को विशाल रूप में और श्री राम प्रभु को लघु रूप में दर्शाया गया है, उसे “रामलला” का चित्रण कहकर जस्टिफाई भी किया जा रहा है। यह सही है कि अयोध्या में मंदिर “रामलला” का ही बन रहा है। नारा भी यही दिया गया था कि “रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे”, लेकिन “रामलला” को इस मंदिर में “महामानव” मोदी जी अपनी उंगली पकड़ाकर इस तरह से ले जाएंगे, ऐसा दिखाना और कुछ नहीं, बल्कि राजनीतिक चापलूसी का एक सटीक नमूना है। वैसे ही जैसे “हर हर मोदी” नारे में भी चापलूसी का चरम दिखाई दिया था।

ठीक है कि सनातन धर्म बंद कुएं जैसा नहीं है। कहा गया है- जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। इस देश में हर मां-पिता की ख्वाहिश रही है कि उन्हें राम और कृष्ण जैसी संतानें मिलें। बाल रूप में हम अनेक देवी देवताओं की पूजा भी करते हैं। रामनवमी और श्री कृष्ण जन्माष्टमी में तो करते ही हैं। माता, पिता, भाई, मित्र हर रूप में हम ईश्वर को देखते और पूजते हैं। त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव। मीरा ने तो पति रूप में श्रीकृष्ण की आराधना की।
इसलिए श्री राम को बालरूप में दिखाने में कोई समस्या नहीं है। उनके हाथ में धनुष दिखाने से भी कोई समस्या नहीं है, क्योंकि राजकुमारों को बचपन से ही शस्त्र और शास्त्र दोनों की शिक्षा दिए जाने का चलन था। भगवान श्री राम को धनुर्धारी कहा भी गया है। समस्या केवल उन्हें राजनीतिक रूप से सक्रिय एक नेता के साथ इस रूप में दिखाये जाने से है।

इसमें श्रद्धा, मान्यता और रचनात्मकता कम, चापलूसी अधिक दिखाई दे रही है। सच पूछिए, तो जिस भी नेता ने यह तस्वीर पोस्ट की है, उसे हड़बड़ी है, जल्द से जल्द मोदी जी की कृपा हासिल कर लेने की।

इसमें कोई शक नहीं कि नरेंद्र मोदी एक अत्यंत लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं और उनके अनेक कार्यों और नीतियों की हमने भी खुलकर तारीफ की है, लेकिन उनके चापलूसों से कहना चाहूंगा कि कृपया उन्हें भगवान महादेव और श्री राम के समतुल्य दर्शाने में इतनी हड़बड़ी न दिखाएं।

मुझे यकीन है कि भाजपा नेतृत्व या स्वयं नरेंद्र मोदी भी इस तरह की चापलूसी से सहज नहीं महसूस करते होंगे। मोदी जी को तो आज हमने भगवान श्री राम के सामने साष्टांग दंडवत देखा, इसलिए मुझे नहीं लगता कि सूक्ष्म रूप धरे श्री राम प्रभु को विराट रूप में दर्शन देने की उनकी कोई लालसा होगी।
इसलिए भाजपा नेतृत्व को चाहिए कि ऐसे चापलूसों को हतोत्साहित करें।