लखनऊ। जरा-सी चर्चा भी कई बार सियासत का पारा चढ़ा देती है। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाने की चर्चा शनिवार को प्रदेशभर में फैली, और शाम तक तो बधाईयों का दौर भी चल पड़ा। दोपहर के बाद से ही बाजपेयी को सोशल साइटों पर शुभकामनाएं देने का दौर चला, जिस पर उन्होंने खुद विराम लगा दिया। इस खबर को राजनीतिक हलके में कई नजरिए से देखा जा रहा है। वाजपेयी को लेकर ऐसी चर्चाएं तीन बार उठ चुकी हैं।
मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन होने के बाद वहां नए राज्यपाल की नियुक्ति का इंतजार है। शुक्रवार देर रात फेसबुक पर लक्ष्मीकांत को मध्यप्रदेश का राज्यपाल बनाने की खबर चली। शनिवार दोपहर से ही मेरठ के दर्जनों भाजपाइयों ने उन्हें बधाई देना शुरू कर दिया। राजनीतिक क्षेत्र में अनुमान लगाया गया कि प्रदेश में ब्राह्मणों को और करीब लाने के लिए भाजपा नया कार्ड खेल सकती है। इसी कड़ी में माना गया कि लालजी टंडन की जगह डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को मध्यप्रदेश का नया राज्यपाल बनाया जाएगा।
भाजपाइयों ने इस सूचना को परखने के लिए लखनऊ से नई दिल्ली तक फोन घुमाया, लेकिन कहीं से पुख्ता जानकारी नहीं मिली। प्रदेश इकाई के कई वरिष्ठों ने भी अनभिज्ञता जताई। कार्यकर्ताओं ने बताया कि लक्ष्मीकांत के जरिए पार्टी पूर्वांचल से पश्चिम तक ब्राह्मणों को साध सकती है। शनिवार दोपहर तक चर्चा जोरों पर रही, लेकिन शाम होने तक सूचना अफवाह साबित हुई। इससे पहले भी बाजपेयी को एमएलसी और मंत्री बनाने की चर्चा चली थी, जो बाद में अफवाह साबित हुई। डॉ. लक्ष्मीकांत ने रात करीब दस बजे कहा कि अभी तक उन्हेंं इस बारे में कोई सूचना नहीं है। लोग लगातार फोन कर रहे हैं। इसके चलते मुझे फोन बंद भी करना पड़ा।