भोपाल। मध्य प्रदेश में 27 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव बीजेपी और कांग्रेस के लिए बहुत ही अहम हैं। प्रदेश की सत्ता में दोबारा वापसी के लिए कांग्रेस के सामने सभी सीट जीतने की चुनौती होगी तो सरकार बचाए रखने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कम से कम 9 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। ऐसे में सभी पार्टियाँ उपचुनाव की तारीखों के ऐलान का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं।
भाजपा और कांग्रेस जीत के पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए ये उपचुनाव कहीं बड़ी चुनौती हैं, क्योंकि उन्हें शिवराज सरकार को बेदखल करने के लिए सभी 27 सीटों पर जीत हासिल करनी है।
ऐसा है एमपी विधान सभा का सियासी गणित
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं, जिनमें से 27 खाली हैं। इस समय 203 सीटों वाली विधानसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सरकार के पास 107 विधायक हैं, जो बहुमत के आंकड़े से पांच ज्यादा हैं, जबकि कांग्रेस के पास 89 विधायक हैं। 27 सीटों पर उपचुनाव के साथ विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 116 विधायक का हो जाएगा। इस आंकड़े तक पहुंचने के लिए बीजेपी को कम से कम नौ सीटों पर जीत हासिल करनी ही होगी, जबकि कांग्रेस को फिर से सीएम की कुर्सी पर कब्जा जमाने के लिए सभी 27 सीटों पर कांग्रेस का परचम लहराना होगा।
अगर हुआ ऐसा तो बदल सकती है मुख्यमंत्री की सीट
अगर उपचुनाव में भाजपा 9 से कम सीटें लाती है, तो उसे समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवारों का साथ चाहिए होगा। वहीं, 89 विधायकों के साथ उपचुनाव में उतरने वाली कांग्रेस को सभी सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। फिलहाल, भाजपा नौ से कम सीट पर सिमटती है और कांग्रेस 20 से अधिक सीटें जीत लेती है तो ऐसी स्थिति में कमलनाथ चार निर्दलीय विधायकों के अलावा बसपा के दो और सपा के एक विधायक की मदद से एक बार फिर मुख्यमंत्री बन सकते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ बोले- ये उपचुनाव, आम चुनाव नहीं
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के बारे में कहा, ये उपचुनाव, आम चुनाव नहीं हैं। मैं इसे उपचुनाव भी नहीं मानता। ये चुनाव मध्य प्रदेश के भविष्य के लिए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले चार महीने से मैंने पार्टी को मजबूत करने का काम किया है, क्योंकि हमारी लड़ाई भाजपा की उपलब्धियों के साथ नहीं बल्कि उनके संगठन के साथ है। उन्होंने कहा कि मैं मध्य प्रदेश की पहचान बदलने की कोशिश कर रहा था लेकिन भाजपा इसे स्वीकार नहीं कर पा रही थी और इसलिए उन्होंने मेरी सरकार गिरा दी।
गौरतलब है कि इस साल मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी थी और वे अब भाजपा के साथ हैं। इसी वजह से कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हुई थी। यही नहीं, इसके बाद कांग्रेस के तीन अन्य विधायक भी विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए। वहीं, दो सीट विधायकों के निधन के कारण खाली हैं। इसी वजह से 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में 27 सीट खाली हो गई।