राकेश टिकैत ने बताया, आखिर किसान क्यों कर रहे हैं मोदी सरकार के बिल का विरोध

मुजफ्फरनगर। मोदी सरकार के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान कई महीनों से सड़क पर उतरकर तीन बिल का विरोध कर रहे हैं. आजतक से बात करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि यह तीनों कानून किसानों के हितों के खिलाफ हैं. सबसे पहले मंडियां बंद हो जाएंगी. दूसरे कानून से जमाखोरी बढ़ेगी और महंगाई बढ़ेगी.

राकेश टिकैत ने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसान कुछ ही साल में बर्बाद हो जाएगा. अगर सरकार किसान फल बेचने के लिए और ऑप्शन देना चाहती है तो मंडियों को टैक्स फ्री करे।. अगर किसान मंडियों के बाहर अपना प्रोडक्ट बेचेगा तो अगले एक-दो साल में मंडिया बंद हो जाएंगी. अगर किसान मंडियों से बाहर अपनी फसल बेचेगा तो उसे टैक्स नहीं देना होगा. हमारी मांग है कि मंडियों को टैक्स फ्री कर दिया जाए.

आजतक से राकेश टिकैत ने कहा कि भंडारण को जिस तरह से सरकार ने छूट दी है कि इससे कहीं भी कितना भंडारण कर ले, उससे अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाएगी और महंगाई बढ़ेगी. जब माल की कमी होगी तब वो भंडार से माल निकालेंगे, जिससे महंगाई खड़ी होगी और जमाखोरी बढ़ेगी.

राकेश टिकैत का कहना है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कंपनियों से मेरी बात हुई, जिनका कहना है कि हम किसानों से कॉन्ट्रैक्ट पर खेती करवाएंगे लेकिन रेट अभी तय नहीं करेंगे बल्कि बाद में मार्केट रेट के हिसाब से उन्हें थोड़ा ज्यादा देंगे. आने वाले समय में जमीनों का कॉन्ट्रैक्ट होगा और किसान बर्बाद होगे. अगर ठेकेदार किसानों को पैसा ना दे तो आप कोर्ट नहीं जा सकते और मामले का निस्तारण प्रशासनिक अधिकारी करेंगे.

राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के पक्ष में एक कानून की मांग हो रही है, लेकिन सरकार वह करने को तैयार नहीं. किसानों को अलग-अलग दलों में बांटा जा रहा है. मंडिया बंद हो जाएंगी तो बड़े-बड़े उद्योगपतियों को यह मंडिया बेच दी जाएंगी. एमएसपी खत्म करने और मंडियों को बेचने का सबसे आसान रास्ता सरकार ने निकाला है. यह कानून सीधे-सीधे पूंजीपतियों को फायदा देगा और पूंजीपतियों ने पौने दाम पर फसल खरीदेंगे और मनमर्जी बेचेंगे.

राकेश टिकैत ने कहा कि किसान अपनी फसल लेकर मंडियों में बेचने जाता था कल को 20 किलो सब्जी में क्या वह ठेले पर बेचेगा? आलू की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हो गई है, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में गुजरात के किसानों पर मुकदमे हुए, मक्का की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग हुई लेकिन वह बर्बाद हो गए. कंपनियां भाग गई. हर्जाना कौन देगा या सरकार यह सुनिश्चित करें कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसी भी हाल में नुकसान पर मुआवजा मिलेगा.